शराब ज्यादा घातक है या बीड़ी ? Perilous: Liquor or biri ??

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संदर्भ : बीड़ी के लिए श्रमिकों को देंने पड़ रहे हैं दस गुना से ज्यादा दाम : सरकार बैठी है आंख मूंदकर



Hazardous:aqua vitae or bidi(biri) ?




वरिष्ठ पत्रकार: महेश झालानी ✍🏻



यह सवाल पूछना लाजिमी हो गया है कि शराब ज्यादा घातक है या बीड़ी । हकीकत में दोनों ही जानलेवा है । फिर सरकार ने लोगों को मौत के घाट पर पहुँचाने के लिए शराब की दुकानें क्यो खोली ? जब शराब लोगो को सुलभ है तो गरीब और मजदूरों की "संजीवनी" बीड़ी की बिक्री पर रोक क्यो ?



मैं ना तो बीड़ी का पक्षधर हूँ और न ही शराब का । लेकिन वास्तविक स्थिति को परोसना मेरा दायित्व है । सरकार की गलत नीतियों की वजह से मजदूरों को दस गुना अधिक रेट पर बीड़ी खरीदने को विवश होना पड़ रहा है । या तो सरकार को शराब बन्द करनी चाहिए । अगर वह ऐसा करने में असहाय है तो मजदूरों की तलब व मजदूरों की छटपटाहट को ध्यान में रखते हुए बीड़ी की बिक्री के लिए आदेश जारी करे ।

मैं जानता हूँ कि सरकार ऐसा नही करेगी । क्योकि शराब से बहुत रेवेन्यू मिलता है । जबकि बीड़ी की बिक्री से सरकार को कुछ हासिल होने वाला नही है । वास्तविकता यह भी है कि बीड़ी से शराब कहीं ज्यादा घातक है । धूम्रपान से हर साल 4 लाख लोगों की मौत होती है तो शराब लेती है करीब 10 लाख लोगों की जान । फिर दोनों की बिक्री में भेदभाव क्यो ?


अध्ययन के मुताबिक धूम्रपान के लिए गरीब श्रमिक और कामगार लोग सर्वाधिक बीड़ी का ही उपयोग करते है । खाने को मिले या नही, लेकिन बीड़ी आज उसकी पहली आवश्यकता बन गई है । सब जानते है कि बिना बीड़ी के मजदूर काम करने में असहाय रहता है । कश लगाने के बाद ही उसके रिक्शे के पैडलो को गति मिलती है ।

अतः राज्य सरकार को मजदूरों का शोषण रोकने के लिए अविलम्ब केवल बीड़ी (सिगरेट, गुटखा तथा पान मसाला आदि नही) की बिक्री करने के आदेश जारी करने चाहिए । वरना शराब की बिक्री पर भी प्रतिबन्ध अनिवार्य है । घातक दोनों ही है । फर्क केवल इतना है कि एक चीज से सरकार को आय होती है । जबकि दूसरी चीज से सरकारी खजाने में कुछ नही आता है । नैतिकता का लबादा फेंककर सरकार व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ।

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