जो मजा साथ रहने में है वो अकेले रहकर विरोध सहन करने में नहीं है !

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ऐसा हो ही नहीं सकता कि सब्र करने वाला नाकाम हो -हजरत अली




जयपुर--हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों में जिस प्रकार की प्लानिंग कॉंग्रेस की अशोक गहलोत सरकार ने की वो किसी राजनीतिक रूप से मजबूत चाणक्य से कम नहीं थी।योजनाबद्ध तरीके से एसीडी में मुकदमा दर्ज करवाना, विधायकों की बाड़ेबंदी करना,उनको अच्छी होटल में वीवीआइपी फैसिलिटी देकर उनका मन मोह लेना और आखिरकार अपने टारगेट को हासिल करना।ये सब योजनाएं अनुभव से मिलती हैं और अनुभवी इंसान के साथ ही अनुभवी चेहरे जुड़ते हैं जो हमें पॉजिटिव राय देते हैं।मार्गदर्शन देते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात कि  अनुभव और अनुभवी लोग सबको मिलते हैं,लेकिन तब, जब समय आता है। समय का इंतजार करना पड़ता है,उसके लिए धैर्य रखना पड़ता है।
कुछ विद्वानों की कोटेशन यहां शेयर करना चाहूंगा क्योंकि मैं राय एक ऐसे व्यक्तित्व को दे रहा हूं जो खुद टैलेंटेड है।जिसको राजनीतिक परिवेश उत्तराधिकार में मिला है।जो खुद हर बात को सोचने,समझने व परखने में सक्षम है।




(1) जिसके पास धैर्य है उसे उसका फल अवश्य मिलता है-फ्रेंकलिन

(2) धीर,गंभीर कभी उबाल नहीं खाते-चाणक्य
(3) धीरज सारे आनंदो और शक्तियों का मूल है-जॉन रस्किन

(4) धैर्य,दृढ़ता और पसीना सफलता के लिए एक अपराजेय मिश्रण है. नेपोलियन हिल

(5) ऐसा बहुत कम होता है कि जल्दबाज नुकसान ना उठाए और ऐसा हो ही नहीं सकता कि सब्र करने वाला नाकाम हो-हजरत अली
 फिर धैर्य तब छोड़ना चाहिए इंसान को जब आपसे अयोग्य व्यक्ति आपसे आगे निकल गया हो।जहां तक मेरा मानना है हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक  गहलोत किसी भी मायने में आपके मुकाबले में तो 21 ही हैं।वो 69 वर्ष के हैं आप 42 के हो।वो तीन बार पीसीसी चीफ रह चुके हैं।आप एक बार का ही कार्यकाल चला रहे हैं।वो 34 साल की आयु में पीसीसी चीफ बने आप 37 की आयु में बने।वो दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।1980 में पहली बार सांसद बन गए जब आप मात्र 3 वर्ष के थे।तीन बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।आपके अगर राहुल गांधी से अच्छे संबंध हैं तो उनके सोनिया गाँधी और प्रियंका गाँधी वडेरा से हैं।किसी भी मायने में अशोक गहलोत आपसे कमजोर नहीं है।जहां तक मैंने देखा इन विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में जो राजनीतिक घटनाक्रम चला उसमें आपके समर्थकों ने ज्यादा मशक्कत की।
गहलोत के समर्थक मुझे तो कोई भी नहीं दिखे सब साइलेंट थे।सबको विश्वास था कि केंद्रीय नेतृत्व अनुभवी और उम्रदराज व्यक्ति को मौका देगा।
 आप सोचिए आखिर एक योग्य अनुभवी व्यक्ति को बिना किसी आधार के कोई कैसे इग्नोर कर देगा। योग्यता में आप भी कम नहीं थे तो आपको उपमुख्यमंत्री का पद भी मिला।कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी भी मिली ही है।ऐसे में मेरा तो आपसे यही कहना है कि आपसे बड़े और अनुभवी व्यक्तित्व के साथ रहें।उनके दिल में जगह बनाएं।मुझे नहीं लगता कि आने वाले समय में आपका कोई सानी होगा।आज जिस मुकाम पर आप हो।वो जल्दी ही आपको अपनी मंजिल तक पहुंचाएगा।आप अपने फॉलोअर्स को,कार्यकर्ताओं को ओब्लाइज करते हुए इस सरकार को आगे बढ़ाने में मदद करोगे तो ये जनता जनार्दन आपको जरूर मौका देगी।लेकिन आज जरूरत है इस प्रदेश को गहलोत व पायलेट की जोड़ी की।आप देखो ये फोटो।ये नेच्युरल फोटो है।इससे बढ़िया फ़ोटो हो नहीं सकती।और जो चीज नेच्युरल हो उसे बिना किसी तर्क के स्वीकार करना चाहिए क्योंकि वो प्रकृति प्रदत्त वस्तु होती है।इसलिए मेरा बिना किसी पूर्वाग्रह के,बिना किसी राजनीतिक दल के सदस्य के आपसे विनम्र अनुरोध यही रहेगा कि आप गहलोत  के कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करें।आगे बढ़ें।हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।


-- डॉ.मनोज आहूजा

 एडवोकेट एवं पत्रकार


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