प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए साझा प्रयास जरूरी: पद्मभूषण डॉ.रघुनाथ माशलेकर

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संदर्भ:- अपने साझे भविष्य की ओर :मानव एकजुटता के युग का निर्माण पर वेबीनार आयोजित


वर्तमान में विश्व को सत्य, प्रेम और करुणा रूपी मूल्यों को आत्मसात करने वाले युवाओं की है ज़रूरत -- डॉ. आदित्य शास्त्री




मीडिया केसरी वेब डेस्क ✍🏻



जयपुर-24 अगस्त। पद्मभूषण डॉ.रघुनाथ माशलेकर का कहना है कि हमारे शांतिपूर्ण भविष्य के निर्माण के लिए एक ऐसे क्रांतिकारी समावेशी नवाचार की आवश्यकता है जो आय में असमानता के बाद भी पहुंच और समानता का जादू पैदा कर सके। भारत सोका गकाई की ओर से (अपने साझे भविष्य की ओर :मानव एकजुटता के युग का निर्माण) विषय पर आयोजित वेबीनार में उनका कहना था कि जब तक ऐसे नवाचार नहीं होंगे दुनिया में शांति की स्थापना नहीं हो सकेगी।

 वेबीनार में वनस्थली विद्यापीठ के कुलपति डॉ. आदित्य शास्त्री ने कहा कि आज विश्व को सत्य, प्रेम और करुणा रूपी मूल्यों को आत्मसात करने वाले युवाओं की जरूरत है। ऐसे युवा जो समावेशी विचारधारा के हों, पर्यावरण के प्रति संवेदनशील हो, सद्भााव और विश्व शांति को बढ़ावा देने वाले हों, गिरे हुए को गले लगाने वाले हों और अच्छे इंसान हों। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच किसी भी प्रकार की दूरी को पाटने के लिए सार्वभौमिक शिक्षा की जरूरत पर बल दिया।


वेबीनार में सोका गकाई के प्रेसिडेंट दायसाकू इकेदा के विचारों का समर्थन करते हुए पूर्व राजदूत और ब्लूमिंगटन स्थित इंडियाना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर राजेंद्र अंभ्यकर का कहना था कि सभी देशों और लोगों को एकजुट होकर काम करने की परिस्थितियां तभी जन्म ले सकती हैं जब लोगों में संकट के प्रति साझी संवेदनशीलता जागृत होगी।



 वहीं भारतीश् जलवायु सहयोग की कार्यकारी निदेशिका और सतत विकास की अध्यक्ष श्लोकनाथ का कहना था कि उद्देश्यपूर्ण बदलाव के लिए एक साझे दृष्टिकोण और लक्ष्य की जरूरत होती है। आपको सुनिश्चित करना होगा कि जिस किसी को भी आपने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए चुना है, वह खुलेमन से उसी दिशा में सोचे। अब समय आ गया है कि हम सभी को एक साथ आना होगा। बीएसजी के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने बदलाव लाने के लिए युवाओं को संवेदनशील बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि युवा अपनी सोच से परिस्थितियों को बदलने की क्षमता रखता है और स्वाभाविक रूप से शांति के लिए काम करते हैं। उनकी शक्ति और जोश पूरी मानव जाति के अनंत भविष्य के लिए असीम विकास का रास्ता प्रज्वलित कर सकती है। गौरतलब है कि सोका गकाई इंटरनेशनल के अध्यक्ष डॉ. इकेदा ने संयुक्त राष्ट्र को प्राचीन भारतीय ज्ञान और करुणा पर आधारित अपने नवीनतम शांति प्रस्ताव (अपने साझे भविष्य की ओर :मानव एकजुटता के युग का निर्माण) भेजा है। जिसमें उन्होंने दुनिया के सभी देशों से प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों का सामना करने के लिए अपनी साझी विरासत को पहचानने का आग्रह किया है। इसी विषय पर यह वेबीनार आयोजित की गई थी।

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