"जिज्ञासा और विनम्रता हमें एपीजे अब्दुल कलाम से सीखने की जरूरत है"- सृजन पाल सिंह

देखा गया

वर्ल्ड स्टूडेंट डे और स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 89वीं जयंती के अवसर पर


आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान द्वारा 'न्यू पैराडाइम्स इन टेक्नोलॉजी' पर लाइव वेबिनार आयोजित




मीडिया केसरी वेब डेस्क ✍🏻



जयपुर, 16 अक्टूबर। भारत के पूर्व राष्ट्रपति, स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम विनम्रता और असीम जिज्ञासा वाले व्यक्तित्व थे। अपार सफलता के बावजूद, उन्होंने लोगों के साथ जुड़े रहने के सक्रिय प्रयास किये थे। शिक्षण उनका जुनून था और वे हमेशा एक शिक्षक रहे। उनका मानना ​​था कि युवाओं का दिमाग सबसे सशक्त होता है और सभी को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करके इस ताकत को जाग्रत करने की आवश्यकता है। यह बात स्वर्गीय एपीजे अब्दुल कलाम के पूर्व सलाहकार और सह-लेखक, और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सेंटर के फाउंडर एवं सीईओ, सृजन पाल सिंह ने कही। वे वर्ल्ड स्टूडेंट डे और स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 89वीं जयंती के अवसर पर 'न्यू पैराडाइम्स इन टेक्नोलॉजी' विषय पर आयोजित लाइव वेबिनार में संबोधित कर रहे थे। 



आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान के फेसबुक पेज पर आयोजित वेबिनार में वे आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान की सेक्रेटरी मुग्धा सिन्हा के साथ चर्चा कर रहे थे। 


डॉ. कलाम अपने समय का प्रबंधन कैसे करते थे, इस बारे में बताते हुए,  पाल ने कहा कि वे  हमेशा स्केड्यूल का पालन करते थे। अगर उन्हें सुबह 9 बजे किसी कार्यक्रम में शामिल होना होता था, तो वह सुबह 5 बजे उठते थे। घर से निकलने से करीब 2 घंटे पहले वे नाश्ता करते और अखबार पढ़ लेते थे। सुबह स्वयं पर बिताए वो 4 घंटे, उन्हें पूरा दिन प्रोडक्टिव बनाए रखने में मदद करता था। वर्तमान युवा पीढ़ी को डॉ. कलाम से सीखने की जरूरत है कि कई डिजिटल उपकरणों में व्यस्त होने के बजाय स्वयं के साथ समय बिताना कितना महत्वपूर्ण होता है।


Amazon Great Indian Festival Sale में खरीददारी करने के लिए Click करें-

Amazon Great Indian Festival-Never before offers on Mobiles & accessories | Deal revealed 


विभिन्न क्षेत्रों में भारत के विकास के बारे में बताते हुए, उन्होंने कहा कि भारत ने कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की है। वर्ष 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से, प्रत्येक दशक में आए महत्वपूर्ण परिवर्तन के साथ देश काफी आगे बढ़ गया है। सूचना प्रौद्योगिकी और संचार के क्षेत्र में भारत ने वैश्विक नेतृत्व हासिल किया है। लेकिन कई क्षेत्रों में भारत पिछडा हुआ है, शिक्षा उनमें से एक है। शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन कम देखा गया है और इसमें प्रैक्टिकल अप्रोच की कमी है। ऐसे क्षेत्रों में आगे बढ़ने और विकास की सामूहिक आवश्यकता है।

Post a Comment

1 Comments