त्वरित टिप्पणी- जयपुर ग्रामीण जिले का गठन परफेक्ट नहीं- कैलाश शर्मा

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 New District in Rajasthan


Media Kesari

Jaipur (Rajasthan)


 जयपुर जिला देहात क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस नेता कैलाश शर्मा ने कहा है कि जयपुर ग्रामीण जिले का गठन परफेक्ट नहीं हुआ है बल्कि पूरी तरह असंतुलित है। इससे नये राजस्व जिलों के गठन की वह मंशा पूरी नहीं हो पाएगी, जिसके जरिये राजस्थान सरकार बेहतर गवर्नेंस डिलीवरी व जन-सहूलियतें सुनिश्चित करना चाहती है। जयपुर ग्रामीण जिले का जो आकार प्रकार सामने आया है, उसमें प्रशासनिक सूझ बूझ की कमी  नजर आ रही है। ऐसा लगता है बिना होमवर्क व यह गठन कर दिया गया है, साथ ही विभिन्न पक्षों ने जो सही दिशा वाली राय दी थी, उसकी भी अवहेलना की गई है। अतः जनहित में इसे दुरूस्त किए जाने की आवश्यकता है।

जयपुर जिला देहात क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस नेता कैलाश शर्मा ने कहा है कि जयपुर ग्रामीण जिले का गठन परफेक्ट नहीं हुआ है बल्कि पूरी तरह असंतुलित है। इससे नये राजस्व जिलों के गठन की वह मंशा पूरी नहीं हो पाएगी, जिसके जरिये राजस्थान सरकार बेहतर गवर्नेंस डिलीवरी व जन-सहूलियतें सुनिश्चित करना चाहती है। जयपुर ग्रामीण जिले का जो आकार प्रकार सामने आया है, उसमें प्रशासनिक सूझ बूझ की कमी  नजर आ रही है। ऐसा लगता है बिना होमवर्क व यह गठन कर दिया गया है, साथ ही विभिन्न पक्षों ने जो सही दिशा वाली राय दी थी, उसकी भी अवहेलना की गई है। अतः जनहित में इसे दुरूस्त किए जाने की आवश्यकता है।

कैलाश शर्मा के अनुसार पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की समिति ने जयपुर जिले को जिस तरह से विभाजित किया है, उसमें प्रशासनिक गवर्नेंस की डिलीवरी और आम जन की सहूलियत कम  नजर आ रही है। उससे भी बड़ी विसंगत बात यह कि जयपुर (शहर) जिले को जयपुर ग्रामीण जिले से घिरा एक टापू बनाकर रख दिया।


शुक्रवार दिन में सवा बजे जब इस प्रकरण पर मुख्यमंत्री निवास पर प्रैस कान्फ्रेंस हुई तो राज्य की मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने अपने बूंदी-अजमेर जिले के कार्यकाल को याद किया और बताया कि बूंदी छोटा जिला होने के बाद भी उसे कवर करना बहुत मुश्किल रहता था। अजमेर तो बड़ा जिला था, वहाँ की सभी ग्राम पंचायतों तक एक कलेक्टर अपने कार्यकाल में नहीं पहुंच पाता था। 

इसी तरह राज्य सरकार के राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने भी छोटे जिलों की वकालत की और कहा कि इससे सुशासन देने मे सहजता रहती है।


इस कथन के बाद जब जिलों का स्वरूप देखने को मिला और उसमें भी जयपुर जिले का विभाजित स्वरूप, तो व्यापक असंतुलन नजर आया। 

एक तरफ तीन तहसील वाला दूदू, चार तहसील वाला जयपुर और इनकी तुलना में 4-6 गुना अर्थात 18 तहसीलों से युक्त विशालकाय जयपुर ग्रामीण जिला, जिसकी सीमा उत्तर में कोटपूतली, पूर्व मे अलवर-दौसा, दक्षिण में टोंक, पश्चिम में दूदू, अजमेर व नागौर तथा उत्तर-पश्चिम में सीकर को जहाँ टच करती है, वहीं पेट अर्थात मध्य में जयपुर (शहर) जिला समाहित है। जयपुर ग्रामीण जिले के चारों छोर व्यापक दूरियों वाले हैं। एक तरफ शाहपुरा जो सीकर जिले के खंडेला-श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र को टच करता है, तो दूसरी तरफ लालसोट-निवाई विधानसभा क्षेत्र को टच करता चाकसू। इसी तरह अलवर जिले की सीमा से सटा जमवारामगढ़ इलाका तो दूसरी तरफ अजमेर-नागौर जिले को टच करता सांभर उपखंड एरिया। 


एक विचित्र स्थिति यह और नजर आ रही है कि जयपुर ग्रामीण जिले का मुख्यालय संभवतः इस जिला एरिया में न रहे, बल्कि जयपुर (शहर) जिले मे ही रहेगा। ऐसा इसलिए है कि जयपुर ग्रामीण जिले का जो स्वरूप दिया गया है, उसमें जिला मुख्यालय कहाँ हो इसके लिए खींचतान/आपसी जंग होना स्वाभाविक है। इस स्थिति से बचने के लिए ही जयपुर ग्रामीण जिले का मुख्यालय जयपुर शहर में होगा, यह लगता नहीं है। कितनी दिलचस्प बात है कि सबसे बड़ा जिला, लेकिन इस जिले में ही मुख्यालय नहीं होगा। 


कैलाश शर्मा ने इस गठन पर पुनर्विचार की मांग की है, ताकि जो विसंगतियां इसमें आ गई हैं उनका निराकरण हो। साथ ही यह भी कहा है कि रामलुभाया समिति की रिपोर्ट पर संबंधित स्टेकहोल्डर्स से जो इनपुट्स मिले थे, उन्हें फिर से देखा जाना चाहिए।

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