आसुरी शासन-प्रशासन का महाकहर

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आसुरी शासन-प्रशासन का महाकहर
     
-- जवाहर मिश्र


2014 से ही योजनाबद्ध तरीकों से हावी हुई छल-धन बली सरकार और प्रशासन जो लगातार अनेकों बंदी लगाते-लगाते देशबंदी लगा दी।

            शुरु से ही बंदियों के दौर की शुरुआत कर महायोजनाबद्ध तरीकों से नोट, रोजगार छीने और अब देश बंदी से घरों में कैद कर भुखमरी फैलाई गई है।

            घरों में कैद कर, खाने-पीने के संसाधन छीनने हेतु देश की समस्त रेस्टोरेंट, ढ़ाबा, टिफिन व्यवस्था, आवागमन के समस्त स्त्रोत पब्लिक यातायात ऑटो, टैक्सी, बस, ट्रेन, हवाई जहाज, जल प्रपोत आदि को बंद करके नाकाबंदी की और अचानक लॉकडाउन की लॉकबंदी कर दी। जिससे हर प्रांत का मजदूर, कर्मचारी मुसीबत में फंस गया है।

            21 दिन के लॉकडाउन में एक बारात 22 दिन तक लड़की वाले के यहां पड़ी रही।

            डॉक्टर, नर्स, कम्पाउंडर, स्टॉफ, दवा वाले, पुलिस, सफाईकर्मी ना जाने और कितने प्रकार के बेबस लोग शिकार हैं। उनके परिवार वाले परेशान हैं।

            यह सब बेरहम, हिंसक राक्षसी वृत्ति के शासकों के बदौलत होने वाले महाजुल्म अत्याचार हैं, 


फासिस्ट, अराजक, साम्प्रदायिक, अलोकतांत्रिक, परतंत्र, कट्टरपंथी, तानाशाही, सामंंतवादी, पूँजीवादी सरकार ने लोकतंत्र के चारों स्तम्भों को ध्वस्त कर गुलाम बना लिया है।
अब लॉकतंत्र, हिंसक हिन्दु राष्ट्र और हिन्दुत्व संविधान, भगवा ध्वज, एकल धर्म की इकरंगी खूँखार व महाक्रूर सरकार है।
अब न्याय के स्थान पर अन्याय, जुल्म अत्याचार का आसुरी शासन-प्रशासन है।

भगवान ही रक्षक है।




 【लेखक एक वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार व लेखक हैं। सोशल चीफ एडिटर रह चुके हैं। देश के विभिन्न समाचार -पत्र व पत्रिकाओं में आपकी बेबाक़ लेखनी से निकले लेख प्रकाशित होते रहे हैं। पेशे से आप वरिष्ठ मूर्तिकार हैं एवं समाजसेवा में भी रुचि रखते हैं।】

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