Delhi- आखिर कब लगेगी निजी अस्पतालों की मनमानी पर लगाम ? गए थे इलाज कराने, मिला दर्द..! मरीज के परिजन से डिजिटल भुगतान लेने से किया इनकार,नकद देने पर भी नहीं दिया बिल !

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Media Kesari (मीडिया केसरी)

दिल्ली

05 सितंबर,2021


 कहने को तो Doctors को धरती का भगवान कहा जाता है क्योंकि इन पर लोगों की जान बचाने की ज़िम्मेदारी होती है। 

  लेकिन दुर्भाग्य से कुछ धरती के ये भगवान अब व्यापारी बन चुके है और मोटा पैसा कमाने के लालच में अपने अस्पताल रूपी दुकानें खोलकर बैठे हैं और इलाज के नाम पर जनता से मनमानी फीस लूट रहे हैं। यह बात अब किसी से भी छुपी नही है।

  ऐसा ही एक केस दिल्ली के कीर्ति नगर का सामने आया है।

When will the arbitrariness of private hospitals be curbed? Kalara Hospital staff Denied digital payment Delhi crime news media kesari


  प्राप्त जानकारी के अनुसार यहाँ स्थित निजी अस्पताल "कालरा अस्पताल" में मरीज के परिजनों द्वारा नकद भुगतान के बावजूद भी माँगने पर बिल नहीं दिया गया। 

  पेशेंट कमलेश कुमारी के पुत्र निखिल चुटानी ने बताया कि मामला 20 अगस्त का है जब यहाँ कालरा  अस्पताल में भर्ती पेशेंट कमलेश कुमारी को डिस्चार्ज किया गया। डिस्चार्ज के समय रिसेप्शनिस्ट ने उनसे (निखिल से) 12 हज़ार रुपये नकद देने को कहा। जब निखिल ने डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए कहा तो रिसेप्शनिस्ट ने डिजिटल भुगतान के लिए साफ़ मना कर दिया। बोली कि नकद भुगतान कीजिए। 

   निखिल चुटानी ने विश्वास पर 12,000 रुपये नकद रिसेप्शनिस्ट को दे दिए जिन्हें गिनते हुए वो तस्वीर में साफ़ नज़र आ रही है और निखिल चुटानी भी उस समय सामने ही खड़े नजर आ रहे हैं। लेकिन हॉस्पिटल की बदनीयती का पता तब चला जब निखिल चुटानी ने 12000 रुपये का बिल माँगा और अस्पताल की ओर से बिल देने से साफ़-साफ़ इंकार कर दिया गया।

  इतना ही नहीं, जब पेशेन्ट कमलेश कुमारी के पति एवं निखिल के पिता चरणजीत चुटानी ने बिल न देने पर अपने 12,000 रुपये वापस माँगे तो रिसेप्शनिस्ट ने कहा कि उनके बेटे निखिल ने कोई नकद भुगतान किया ही नहीं है। 

  इस तरह अस्पताल staff ने न तो 12,000 ₹ का अभी तक बिल दिया है और न ही उनके रुपये लौटाए हैं।

  सवाल यह उठता है कि निजी अस्पतालों द्वारा इस तरह इलाज के नाम पर खुलेआम की जा रही लूट पर लगाम कब लगाई जाएगी..?7

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