सचिन पायलट की गतिविधियों से राजस्थान की कांग्रेस मे infection फैला है .....
कैलाश शर्मा ✍🏻
(फुलेरा विधानसभा क्षेत्र)
Media Kesari
November 20,2022
Jaipur(Rajasthan)-यदि हम राजस्थान में पिछले दो महीनों में घटे सियासी घटनाक्रम पर नज़र डालें तो यह सही है कि राजस्थान के मीडिया में प्रकाशित/प्रसारित खबरों, अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से रोकने के षड़यंत्र, राजस्थान सरकार के कुछ मंत्रियों-विधायकों द्वारा नकारात्मक व गैर जिम्मेदार बयानबाजी और अजय माकन के प्रदेश का प्रभार छोड़ने से ध्वनित होता है कि राजस्थान की कांग्रेस राजनीति मे लू, शीतलहर और आंधी के साथ बरसात का आलम है। पर इससे बड़ा सच यह है कि कुशल नेतृत्व और प्रखर व्यक्तित्व के धनी अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) के संरक्षण और सदारत मे राजस्थान की कांग्रेस सरकार सुरक्षित है और उससे बड़ी बात यह कि तमाम झंझावतों के बाद भी अगले विधानसभा चुनाव ( Next Rajasthan Legislative Assembly election 2023 ) के दौरान कांग्रेस अशोक गहलोत के फेस पर फिर से चुनाव जीतेगी (Congress will win Rajasthan election 2023) और सरकार बनाएगी।
राजस्थान के पांच करोड़ से अधिक मतदाताओं ने देखा है कि
- किस तरह सचिन पायलट ने विधायक दल में स्वीकारोक्ति न होने के बाद भी मुख्यमंत्री बनने के लिए राहुल गांधी और AICC को परेशानी में डाला था।
- किस तरह सचिन पायलट ने 19 विधायकों के साथ मानेसर जाकर कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी जी के नेतृत्व को चुनौती दी थी।
- यह कांग्रेस आलाकमान की सदाशयता रही कि सचिन पायलट को फिर भी कांग्रेस मे बने रहने दिया गया।
राजस्थान के मतदाताओं और नागरिकों ने देखा है कि
- कोरोना की भयावह त्रासदी के दौर में एक शासक के रूप में अशोक गहलोत ने कितनी तन्मयता से काम किया और कोरोना प्रबंधन के लिहाज से देश ही नहीं पूरे विश्व में श्रेष्ठ प्रबंधन किया।
- विगत चार वर्ष के शासन के दौरान सुशासन की अनेक मिसाल कायम की। जन-जन के लिए लाभकारी चिरंजीवी योजना संचालन जारी है। सवा सौ से अधिक फ्लैगशिप योजनाओं के जरिये जन-जन को लाभ मिल रहा है।
राजस्थान के 5.10 करोड़ मतदाताओं के मन में अशोक गहलोत और कांग्रेस के प्रति कृतज्ञता का भाव है।
इस भाव के आगे कांग्रेस राजनीति में चल रही लू, शीतलहर और आंधी-बरसात बौनी है।
राजस्थान का मतदाता अशोक गहलोत के नेतृत्व पर भरोसा कर रहा है। यह इस समय का सबसे बड़ा इनपुट और लीड है। यही अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का आधार भी बना रही है।
फिर भी इस जीत को सुनिश्चित करने के लिए जरूरत इस बात की है कि अशोक गहलोत खुद कांग्रेस मे अपनी टीम मजबूत करें।
सारा फोकस बूथ लेवल पर केंद्रित करें। राज्य के 52 हजार बूथ एरिया में दस लाख से अधिक कांग्रेस जनों की मजबूत आर्मी को सक्रिय करने और उनका मनोबल बढ़ाने की जरूरत है।
राजस्थान का समर्पित और निष्ठावान कांग्रेस वर्कर केवल अशोक गहलोत के नेतृत्व व क्षमता पर भरोसा करता है। अतः अगला विधानसभा चुनाव अशोक गहलोत जी के नेतृत्व में होने पर कांग्रेस तीन-चौथाई से अधिक बहुमत के करीब पहुंच रही है।
चुनावी चौसर के परिदृश्य में देखें तो भाजपा इस समय भ्रम की स्थिति में है। सोलह से अधिक नेता 8 सिविल लाइंस के तलबगार हैं। जिन लोगों को विधानसभा चुनाव लड़ना है, वे किस नेता के यहाँ जाजम पर बैठें, यह अनिश्चित है। फिर भाजपा पर असत्य का साया है। ऐसे में भाजपा के लिए 20 सीटें भी मुश्किल नजर आ रही हैं।
हनुमान बेनीवाल का गृह जिले नागौर मे ही जनाधार सरक रहा है।
बसपा की हालत मायावती जैसी है।
आम आदमी पार्टी का कोई धणी-धोरी नहीं है, फिर इस पार्टी के नेतृत्व की साख चिंतनीय है।
वामपंथ केवल नाम का बचा है।
अन्य कोई प्रादेशिक चुनौती है नहीं।
ऐसे में अशोक गहलोत के सामने खुला मैदान है और जीत सुनिश्चित है।
अंत मे .......
एक सवाल मीडिया में पुरजोर उछलता है कि सचिन पायलट का क्या ?
जवाब बहुत साफ है --
1. सचिन पायलट न राजस्थान में जन्मे, न पले-पढ़े। अतः यहाँ की संस्कृति और राजनीतिक परिदृश्य दोनों से वाकिफ नहीं है।
2. राजस्थान की किसी भी विधानसभा सीट से जीतने की स्थिति में नहीं हैं, यहाँ तक कि वर्तमान सीट टोंक पर भी नहीं।
3. उन्हें कांग्रेस ने डेपुटेशन पर भेजा था, जिसकी अवधि अब समाप्त हो गई है, अतः उनके home state UP भेज दिया जाए।
4. सचिन पायलट की गतिविधियों से राजस्थान की कांग्रेस मे infection फैला है, अतः इस infection को राजस्थान से विदा कर दिया जाए।
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