rajasthan political crisis- सचिन पायलट (Sachin Pilot) के लिए राजस्थान का फैसला क्या है?

देखा गया

rajasthan assembly election 2023

पायलट को लेकर मुख्यधारा के मीडिया द्वारा प्रचार-प्रसार sensation creation मात्र है !


कैलाश शर्मा ✍🏻

लेखक जयपुर जिले मे कांग्रेस के एक शताब्दी पुराने परिवार से हैं


जयपुर(राजस्थान)- सचिन पायलट ने 11 मई, 2023 शुक्रवार से RPSC अजमेर से जयपुर तक की यात्रा घोषित की है। इस तरह की प्रेरणा कहाँ से मिली, यह वे खुद जानें और यह जानने में राजस्थान की दिलचस्पी तो नहीं है। अब यह महत्वपूर्ण नहीं है कि सचिन पायलट क्या करते हैं या AICC उनके लिए क्या करती है, बल्कि अब यह महत्वपूर्ण हो गया है कि सचिन पायलट के लिए राजस्थान का फैसला क्या है और यही राजस्थान की राजनीति में सबसे बड़ी उत्सुकता है।

जयपुर(राजस्थान)- सचिन पायलट ने 11 मई, 2023 शुक्रवार से RPSC अजमेर से जयपुर तक की यात्रा घोषित की है। इस तरह की प्रेरणा कहाँ से मिली, यह वे खुद जानें और यह जानने में राजस्थान की दिलचस्पी तो नहीं है। अब यह महत्वपूर्ण नहीं है कि सचिन पायलट क्या करते हैं या AICC उनके लिए क्या करती है, बल्कि अब यह महत्वपूर्ण हो गया है कि सचिन पायलट के लिए राजस्थान का फैसला क्या है और यही राजस्थान की राजनीति में सबसे बड़ी उत्सुकता है।     मीडिया का एक बड़ा वर्ग अपनी अपनी सहूलियत के कारण सचिन पायलट के कृत्यों को प्रचारित-प्रसारित कर रहा है, लेकिन एक बहुत बड़ा व्यवहारिक सच यह है कि सचिन पायलट की अब राजस्थान में कोई दिलचस्पी नहीं है। हां राजस्थान का ध्यान आकृष्ट करने के लिए वे कुछ न कुछ करतब करते रहते हैं। उनके इन करतबों को पसंद करनेवालों और तालियां बजाने वालों का एक वर्ग है, जो सतत सचिन स्तुति व अन्य की निंदा मे लीन है।


 मीडिया का एक बड़ा वर्ग अपनी अपनी सहूलियत के कारण सचिन पायलट के कृत्यों को प्रचारित-प्रसारित कर रहा है, लेकिन एक बहुत बड़ा व्यवहारिक सच यह है कि सचिन पायलट में अब राजस्थान की कोई दिलचस्पी नहीं है। हां राजस्थान का ध्यान आकृष्ट करने के लिए वे कुछ न कुछ करतब करते रहते हैं। उनके इन करतबों को पसंद करनेवालों और तालियां बजाने वालों का एक वर्ग है, जो सतत सचिन स्तुति व अन्य की निंदा मे लीन है।


यूं सचिन पायलट मूलतः राजस्थान के नहीं हैं, उनका जन्म राज्य की सीमा से सैंकड़ों किलोमीटर दूर हुआ, राजस्थान के बाहर ही वे पढ़े लिखे। AICC ने उन्हें पैराशूटी तकनीक से राजस्थान में सैटल कराया और सांसद, केंद्रीय मंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री सरीखे ओहदों का उनके लिए इंतजाम किया, लेकिन बदले में सचिन पायलट ने क्या किया, उस पर अब कुछ कहने बताने की जरूरत नहीं है। विधानसभा चुनाव टिकट वितरण में मनमानी से लेकर ताजा यात्रा प्रसंग तक बहुत कुछ उनके लेखों-जोखों मे इंगित है।


जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास ने आज इंगित किया कि गैंगमानेसर ने सोनिया गांधी  और राहुल गांधी  के नेतृत्व को चुनौती दी और राजस्थान की कांग्रेस सरकार के सामने संकट पैदा कर दिया था, ऐसे में 102 विधायकों ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी  के पक्ष में एकजुटता दिखाई, तो राजस्थान सरकार बच सकी।

प्रतापसिंह खाचरियावास के इस इंडीकेशन के बाद सचिन पायलट ने अजमेर से जयपुर यात्रा का ऐलान किया। 

यह यात्रा किसके खिलाफ है यह अब महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि राजस्थान का मतदाता अब सचिन पायलट के प्रति क्या दृष्टिकोण रखता है।

यहाँ बड़ी बात यह है कि राजस्थान के 60 लाख कांग्रेस परिवारों और 125 लाख कांग्रेस वर्कर्स  के दिल में अब सचिन पायलट के प्रति न मान है और न ही निष्ठा।

इसलिए सचिन पायलट (Sachin Pilot) की हरकतों/करतबों से अब कांग्रेस के प्रति निष्ठावान 125 लाख वर्कर्स को कोई सरोकार नहीं है। यह वर्कर राजस्थान सरकार की 100 से जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के लिए तत्पर है। इन वर्कर्स ने अगले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को दो करोड़ से अधिक वोट दिलवाने का लक्ष्य तय किया हुआ है, ताकि कांग्रेस 181 सीटों का लक्ष्य प्राप्त कर सके और भाजपा under 10 निपट जाए।

 राजनीतिक निष्ठा-ईमानदारी, हैसियत और क्षमता के लिहाज से कांग्रेस के 125 लाख वर्कर्स सचिन पायलट और उनके अनुगामियों की तुलना में हजारों गुणा मजबूत हैं। तभी सचिन पायलट कुछ भी करें, 125 लाख लोगों की कांग्रेस की फील्ड आर्मी के सामने वे बौने हैं। 


अतः राजस्थान को लेकर AICC व कांग्रेस आलाकमान को कुछ करने की जरुरत नहीं है। अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व में राजस्थान और यहाँ की कांग्रेस महफूज और मजबूत है। राजस्थान के 125 लाख कांग्रेस वर्कर्स का मानना है कि सचिन पायलट को लेकर मुख्यधारा का मीडिया जो भी प्रचारित-प्रसारित कर रहा है वह sensation creation या hype क्रिएट करना मात्र है, इसलिए AICC को विचलित होने की जरूरत नहीं है। धरातल का सच यह है कि 125 लाख कांग्रेस वर्कर्स राजस्थान में सोनिया गांधी जी व राहुल गांधी के नेतृत्व के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखता है और वही कांग्रेस को मजबूत बना रहा है।


 इन वर्कर पर AICC भरोसा करे, वही सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसलिए सचिन पायलट को लेकर क्या फैसला करना है, इसमें AICC को उलझने की जरूरत नहीं है। सचिन पायलट अपनी राह पर है, यह उन्हें कहाँ ले जाती है यह विधाता जाने। बाकी राजस्थान की कांग्रेस अपने 60 लाख परिवारों के बूते देश में सबसे मजबूत है और 125 लाख वर्कर्स कांग्रेस का संबल है।


               लेखक परिचय

अतः राजस्थान को लेकर AICC व कांग्रेस आलाकमान को कुछ करने की जरुरत नहीं है। अशोक गहलोत के कुशल नेतृत्व में राजस्थान और यहाँ की कांग्रेस महफूज और मजबूत है। राजस्थान के 125 लाख कांग्रेस वर्कर्स का मानना है कि सचिन पायलट को लेकर मुख्यधारा का मीडिया जो भी प्रचारित-प्रसारित कर रहा है वह sensation creation या hype क्रिएट करना मात्र है, इसलिए AICC को विचलित होने की जरूरत नहीं है। धरातल का सच यह है कि 125 लाख कांग्रेस वर्कर्स राजस्थान में सोनिया गांधी जी व राहुल गांधी के नेतृत्व के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखता है और वही कांग्रेस को मजबूत बना रहा है।  इन वर्कर पर AICC भरोसा करे, वही सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसलिए सचिन पायलट को लेकर क्या फैसला करना है, इसमें AICC को उलझने की जरूरत नहीं है। सचिन पायलट अपनी राह पर है, यह उन्हें कहाँ ले जाती है यह विधाता जाने। बाकी राजस्थान की कांग्रेस अपने 60 लाख परिवारों के बूते देश में सबसे मजबूत है और 125 लाख वर्कर्स कांग्रेस का संबल है।
कैलाश शर्मा
जयपुर जिला देहात कांग्रेस
(फुलेरा विधानसभा क्षेत्र)

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं जिनकी 1975 से राजस्थान की राजनीति पर निगाह है। आपने नामी समाचार-पत्र नवभारत टाइम्स व नफा-नुकसान में कई वर्षों तक अपनी लंबी सेवाएँ दी हैं। 
इसके साथ ही लेखक जयपुर जिले मे कांग्रेस के एक शताब्दी पुराने परिवार से हैं


                       

Post a Comment

0 Comments