AICC Meeting Preview- रिफार्म की जरूरत है राजस्थान कांग्रेस को

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Rajasthan Legislative Assembly election 2023 opinion poll


Media Kesari

Jaipur (Rajasthan)


अगले विधानसभा चुनाव (rajasthan assembly election 2023) में तीन-चौथाई से अधिक बहुमत लाने तथा लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटें जीतने के लिए राजस्थान में कांग्रेस को साहसिक रिफार्म की जरूरत है। यह रिफार्म नहीं किया गया, तो ढाक के तीन पात हो सकते हैं। फैसला निर्णायकों और नीति निर्धारकों पर है कि उनमें जीत की ललक है अथवा यथा-स्थितिवाद की पालना करेंगे।

अगले विधानसभा चुनाव (rajasthan assembly election 2023) में तीन-चौथाई से अधिक बहुमत लाने तथा लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटें जीतने के लिए राजस्थान में कांग्रेस को साहसिक रिफार्म की जरूरत है। यह रिफार्म नहीं किया गया, तो ढाक के तीन पात हो सकते हैं। फैसला निर्णायकों और नीति निर्धारकों पर है कि उनमें जीत की ललक है अथवा यथा-स्थितिवाद की पालना करेंगे।


महत्वपूर्ण रिफार्म इस प्रकार हैं :--


1. लोकसभा चुनाव में जो साथी 2-2 बार पराजित हो चुके हैं, अब उन्हें विश्राम दिया जाए। उनके स्थान पर नये व जीत का जज्बा रखने वाले साथियों को मौका दिया जाए।

2. जो साथी अन्य राज्यों में प्रभारी रहे हैं और उनके प्रभारी रहते कांग्रेस अच्छा परफार्म नहीं कर पाई, उन्हें भी सादर विश्राम दिया जाए।

3. गैंग-मानेसर जून 2021 से राजस्थान में कांग्रेस और अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने का षडयंत्र रचती रही, गैंग-मानेसर मे शामिल मंत्रियों-विधायकों ने अनेक अवसर पर कांग्रेस को जमकर कोसा है। ऐसे "साथियों" को सात वर्ष के लिए चुनाव उम्मीदवारी से विश्राम दिया जाए और इनके स्थान पर कांग्रेस के प्रति समर्पित व निष्ठावान साथियों को मौका दिया जाए।

4. सेवा निवृत्त-पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को टिकट न दिया जाए। ऐसे लोगों को बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां मिली हैं, जो कांग्रेस के लिए लाभकारी नहीं रही। अब तक का इतिहास भी यही कहता है कि इन्हें राजनीतिक अवसर दिए जाने का राजनीतिक लाभ कांग्रेस को नहीं मिला, हां खुद इन्हें जरूर बड़ा फायदा निजी तौर पर मिला है।


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5. दलबदल को प्रोत्साहित नहीं किया जाए, बल्कि इससे बचा जाए। दलबदलुओं के कारण कांग्रेस को लाभ नहीं होता, बल्कि नुकसान होता है। विगत विधानसभा चुनाव में अनेक दलबदलुओं को मौका दिया था, सब पराजित हो गए।

6. विगत विधानसभा चुनाव में जो लोग पराजित हो गए थे, उन्हें तब मौका मिल चुका। अब उन्हें रिपीट नहीं किया जाए, बल्कि उनके स्थान पर नये व जीत की ललक रखने वाले साथियों को मौका मिले।

7. टिकट देते समय बहुत जगह जातिगत आधार को वरीयता दी जाती है, लेकिन जातिगत मतदाताओं की बहुलता के बाद भी उम्मीदवार जीत नहीं पाते, क्योंकि संबंधित जाति के मतदाता विभाजित होते हैं। ऐसे में सर्वसमुदाय स्वीकार्य कांग्रेस साथी को मौका दिया जाए।

8. जो भी साथी विधानसभा-लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, उनसे आवेदन आमंत्रित किए जायें। उनके आवेदन की स्क्रूटनी कर प्रति विधानसभा क्षेत्र 7-7 साथियों का प्री-पैनल बनें और इन साथियों को बुलाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रभारी महामंत्री और सह प्रभारी की टीम बाकायदा इनसे विजन, जीत की ललक, एक्शन प्लान, कांग्रेस के प्रति निष्ठा आदि के आधार पर मार्किंग करें और फिर 3-3 नामों का पैनल AICC की चुनाव समिति को भेजे।

9. सर्वे की बहुत चर्चाएं हैं, कहा जा रहा है कि सर्वे में जिसका नाम आ रहा है वही consider हो रहे हैं। पर व्यवहारिक सच है कि अधिकतर सर्वे सच्चाई नहीं बताते और इनमें फर्जीवाड़ा बहुत होता है। अतः सर्वे पर भरोसा न करना कांग्रेस के लिए हितकर रहेगा।

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