वंदे मातरम् पर ओडिसी के साथ आए सभी शास्त्रीय नृत्य
जयपुर सांस्कृतिक एकता की मिसाल है - नृत्य गुरु प्रतिभा जेना सिंह
Media Kesari
Jaipur (Rajasthan)
जयपुर: जवाहर कला केन्द्र में मधुरम् के तहत आयोजित युवा कलाकार शास्त्रीय नृत्य उत्सव में रविवार को अनोखा दृश्य देखने को मिला। जहां देश के प्रमुख शास्त्रीय नृत्यों यथा ओडिसी, भरतनाट्टयम, मोहिनीअट्टम, मणिपुरी, कुचिपुड़ी, कथक, सत्रिया नृत्य दर्शकों को एक मंच पर देखने को मिले वहीं अंत में 'वंदे मातरम्' पर सभी नृत्यों की संयुक्त प्रस्तुति ने सभी को देशभक्ति के भाव से भर दिया।
नृत्य गुरु प्रतिभा जेना सिंह ने बताया कि जयपुर सांस्कृतिक एकता की मिसाल है, कला के माध्यम से देशभर में एकता का संदेश देने को यहां प्रस्तुत करने के लिए 'वंदे मातरम्' की खास प्रस्तुति तैयार की गयी।
नृत्यशिल्प गुरू सुरेंद्र नाथ जेना ओडिसी डांस फाउंडेशन व जेकेके के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित उत्सव में रविवार को पुणे के अथर्व चौधरी ने भरतनाट्यम से शुरुआत की।
अथर्व ने 'हनुमान कौतुकम' पेश किया जिसमें संजीवनी बूटी वृतांत को दर्शाया गया। अथर्व ने रागम सुरुति और आदि तालम पर जावली भी पेश की।
श्रीरेखा जी. नायर, डॉ. डायना श्रीजीत, श्रीलक्ष्मी श्रीजीत ने महाराजा स्वाति थिरुनल द्वारा रचित हिंदी भजन पर कृष्ण के प्रति गोपियों के प्रेम को दर्शाते हुए मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति दी।
अकोईजम सुरनजय सिंह ने मणिपुरी नृत्य के जरिए कृष्ण और गोपियों के नृत्य दृश्य को साकार किया।
गुजरात की प्रशिता सुराणा, वेनू अयाचित, जानवी अंबालिया एवं जैशमिन पटेल ने आंध्र प्रदेश के प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी। प्रस्तुति पौराणिक कहानी 'मंडूका शपतम' पर आधारित रही जिसमें दिखाया गया कि रावण जब देवी पार्वती पर मोहित होता है तो किस तरह नारद मुनि एक मेंढक को सुंदर स्त्री बना देते हैं, इस स्त्री (मंदोदरी) से आकर्षित होकर रावण उसे अपने साथ ले जाता है।
पतितपावन कला निकेतन, नई दिल्ली के छात्र वैभव कुमार ने ओडिसी में ताल झंपा और राग कल्याण पर आधारित मोक्ष नृत्य की प्रस्तुति दी। पुणे की कीर्ति कुरंदे न दुर्गा स्तुति से कथक की शुरुआत की। अभिनय पक्ष में पं. बिंदादीन महाराज की ठुमरी भी उन्होंने पेश की जिसमें कृष्ण के बचपन का वर्णन किया गया। असम की स्निग्धा कंकन टैड, बंदना बर्मन एवं रूपरेखा दास ने सत्रिया नृत्य पेश किया।
अंत में सभी दर्शकों ने एकटक होकर वंदे मातरम् पर नृत्य गुरु सुरेन्द्र नाथ जेना की शैली में ओडिसी नृत्य देखा। इसे रौद्री सिंह, जया मेहता, निधि किंद्रा, एवं सौरांशी सुशोभना ने प्रस्तुति किया। इसमें नृत्य संरचना गुरु प्रतिभा जेना सिंह व गायन संगीता कट्टी का रहा। अंतिम क्षणों में ओडिसी के साथ अन्य सभी नृत्य शैलियों के कलाकारों ने मंच पर अपना कमाल दिखाया। इस प्रस्तुति ने शास्त्रीय नृत्यों के समागम से एक अद्भुत नजारा दर्शकों के सामने पेश किया।
इसी के साथ स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम में शामिल युवा कलाकार शास्त्रीय नृत्य उत्सव का समापन हुआ।
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