संदर्भ:- National Emergency in India (25 जून 1975)
कैलाश शर्मा ✍🏻
( लेखक प्रमुख राजनीतिक व आर्थिक विश्लेषक हैं)
Media Kesari
Jaipur
जब इमरजेंसी की घोषणा हुई तो हम सातवीं कक्षा पास कर चुके थे, गर्मियों की छुट्टियां थी और आठवीं कक्षा के लिए स्कूल खुलने का इंतजार था। याद है हमें एक जुलाई को स्कूल खुला तो अध्यापक अनुशासित आचरण कर रहे थे। घर के नजदीक सरकारी अस्पताल था, वैसे तो सभी सेवाएं दुरुस्त थी पर इमरजेंसी के नाम से परफेक्ट हो गई।
सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों -बाबुओं व चपरासियों की रिश्वतखोरी बंद हो गई थी। बाजार में भी सुधार था, कालाबाजारी बंद थी और राशन उसमें भी केरोसिन समय पर मिलता था और वार्ड-वार दिन तय थे।
रेलगाड़ियां समय पर चलती थी और रेलवे स्टेशनों पर ख़ान पान की व्यवस्था दुरुस्त हो गई थी, यहां तक कि समोसा और कचौरी का स्वाद बेहतर हो गया था और चाय में दूध का अनुपात बढ़ गया था। उल्लेखनीय है कि रेलवे स्टेशन पर मिलने वाली एक कप चाय में 100 मिलीलीटर दूध होना चाहिए,यह अनुपात सुनिश्चित है, वैसी ही चाय मिलती थी। बाजार में भी मिलावटखोरी बंद थी। तहसीलदार, रसद अधिकारी और डाक्टर साहब बाजार में किराना दुकानों पर जाकर हर महीने सैंपल लेते थे। सच्चाई यह है कि जनता जनार्दन खुश थी।
इमरजेंसी के दौर में ही हमने आठवीं कक्षा पास की, नवीं में आ गए।
आठवीं और नवीं कक्षा में प्रत्येक छात्र को एक एक पौधा लगाने और उसकी हिफाजत का जिम्मा दिया गया। इस जिम्मेदारी ने सच्ची नागरिकता का अहसास कराया।
जब नवीं कक्षा में थे, तो होली के आसपास इमरजेंसी हटाने और चुनाव की घोषणा हुई। कहने में हिचक नहीं है 32 ठीकरियों को चिपका कर जनता पार्टी नाम से एक मटका बनाया गया। इमरजेंसी के अनुशासन को कोसा गया, एक भ्रम पैदा हुआ और इंदिरा गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव हार गई। चूंकि सत्ता तक पहुंचने वाले काबिल नहीं थे, इसलिए बिखरना शुरू हो गये और जनता पार्टी का मटका टूट गया। 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और इंदिरा गांधी जी को देश ने भारी समर्थन दिया और कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई।
आज (25 जून 2024) इमरजेंसी के 50 साल हो गए हैं, हमें वह स्वर्णिम युग आज भी याद है। एक ही जादू .. कड़ी मेहनत, दूर दृष्टि, पक्का इरादा और अनुशासन। इन चार सूत्रों ने कांग्रेस के नेतृत्व ने देश को बहुत कुछ दिया है। इमरजेंसी से देश में डेवलपमेंट ट्रांसफार्मेशन का एक नया युग शुरू हुआ। इसके लिए कांग्रेस के विचारकों गोपाल कृष्ण गोखले, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और डाक्टर मनमोहन सिंह जी समेत सभी दिग्गजों पथ प्रणेताओं को वंदन नमन प्रणाम।
कैलाश शर्मा(लेखक प्रमुख राजनीतिक व आर्थिक विश्लेषक हैं) |
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You are right
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