Jhunjhunu Assembly By Elections 2024
कैलाश शर्मा ✍🏻
(वरिष्ठ पत्रकार)
झुंझुनूं विधानसभा उपचुनाव दिलचस्प मुकाम पर पहुंच गया है। जो इनपुट आज मिला है, उस हिसाब से लगता है कि झाझड़िया गौत्र वाले जाटों पर बहुत कुछ निर्भर हो गया है। इन मतदाताओं में अधिकतर का रूझान कांग्रेस के पक्ष में नजर नहीं आया। भाजपा को लेकर अभी इन लोगों ने अपना रूझान स्पष्ट नहीं किया है, हां निर्दलीय उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह गुढ़ा की तरफ यह मतदाता कितना उन्मुख होता है परिणाम उस पर निर्भर हो गया है।
मोटे तौर पर जाट वोटों का विभाजन इस चुनाव को अस्पष्ट बना रहा है। अमित ओला (Amit Ola) के पास पांच दशक की विरासत है। भाजपा उम्मीदवार की विडंबना यह है कि वे पार्टी के प्रति पूर्ण समर्पित नहीं बताये जा रहे, इस कारण भाजपा के कोर वोटर का बहुत अधिक मन नहीं दिख रहा। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि भाजपा का एक बड़ा वोट आधार राजपूत उसे अपेक्षित नहीं मिल रहा। राजेन्द्र भांभू (Rajendra singh Bhamboo) कैंप में जाटों की बढ़ी दखल देखकर अनेक राजपूत विचित्र सा महसूस कर रहे हैं।
ब्राह्मण महाजन मतदाताओं को उम्मीद थी, भाजपा उनमें से किसी को टिकट देगी, लेकिन नहीं दिये जाने के कारण नाराजगी है। इस वर्ग के अनेक मतदाता भाजपा से विमुख हो रहे हैं लेकिन वोट कहां देंगे इस पर अपना मुंह नहीं खोल रहे।
जहां तक बात मुस्लिम मतदाताओं की है, वह सामान्यतः 90 फीसदी से अधिक कांग्रेस को मिलता रहा है। इस बार यह अनुपात घट रहा है। रविवार रात एक मस्जिद के नजदीक पार्क में राजेन्द्र सिंह गुढ़ा ( Rajendra Singh Gudha) की जनसभा थी, मुस्लिम युवा और मतदाता बड़ी तादाद में यहां उपस्थित थे। कांग्रेस के चुनाव प्रबंधक राजनीतिक प्रबंधन में कमजोर नजर आ रहे हैं, ग्राउंड पर जैसा काम PCC को करना चाहिए था वैसा किया नहीं है। भाजपा ने मंत्रियों-विधायकों की फौज तो उतार रखी है लेकिन झुंझुनूं का मतदाता होशियार और समझदार है, राजनीतिक रूप से परिपक्व भी। अर्थात भाजपा नेताओं की बात का अनुसरण करता नजर नहीं आ रहा। उसके लिए ये नेता तमाशबीन से अधिक अहमियत नहीं रखते।
राजेन्द्र सिंह गुढ़ा के लिए यह विधानसभा क्षेत्र भले ही नया हो, लेकिन उनके सामने पहचान का संकट नहीं है। दूसरे मानेसर घटनाक्रम दिनों में सिविल लाइंस स्थित सोमदत्त अपार्टमेंट में दर्शाई दिलेरी के किस्से झुंझुनूं में बहुत सुनाये जा रहे हैं। तीसरे गैर जाट वोटों का एक स्वाभाविक ध्रुवीकरण हो रहा है। पर यह सब उन्हें जीतने योग्य वोट दिला पाता है या नहीं, यह मतगणना से ही पता चलेगा।
भाजपा के पक्ष में मंत्रियों विधायकों की फौज अपना फेस डिस्प्ले कर रही है।
कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन बिखरा हुआ है, राजेन्द्र सिंह गुढ़ा जाटों में झाझडिया वोटों की उम्मीद के सहारे हैं। निष्कर्ष यह है कि यहां इकतरफा कुछ नहीं है, मुकाबला भाजपा बनाम राजेन्द्र सिंह गुढ़ा लग रहा है। अपनी गलतियों व कमजोरियों के कारण अभी तो कांग्रेस पिछड़ी हुई दिखाई दे रही है।
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