रमजान के मुबारक महीने के मंझला रोजा एवं दूसरे जुम्मे पर अकीदतमंदों ने अपने-अपने घरों में की इबादत

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7 वर्षीय बालिका नौशीन ने रखा मंझला रोजा 


विशेष संवाददाता- जितेंद्र कुशवाह

छीपाबड़ौद- 08 मई। रहमतों और बरकतों वाले पाक माह रमजान का मंझला रोजा शुक्रवार को  रखा गया।
रमजान मुबारक का महीना तेजी से आगे बढ़ रहा है। शुक्रवार को 14 वां रमजान रखा गया और  शनिवार को पैगम्बर-ए-खुदा के नवासे हजरत सैयदना इमाम हसन का जश्ने विलादत मनाया जाएगा।
जामा मस्जिद के पेश ईमाम मौलाना रियाज ने बताया कि कोरोना संक्रमण के चलते लोग इन दिनों घरों में ही इबादत कर रहे है। दरअसल रमजान मुबारक के पहले दस दिन यानी पहला अशरा रहमत का होता है। पहले अशरे में रहमत की बारिश होती है। वह मुकम्मल हो चुका है।

अभी वर्तमान में दूसरा अशरा चल रहा है, जिसमे मंझला रोजा आता है। 14वे रमजान के मौके पर कई मासूम बालक-बालिकाओं ने  पहला मंझला रोजा रखा। सात वर्षीय नौशीन ने भी मंझला रोजा रखा।परिवार के लोग इन मासूमों को तोहफे देकर हौसला अफजाई की। यह रमजान माह का दूसरा जुमा मुबारक भी था। हालांकि अकीदतमंद घरों पर ही रहकर नमाज अदा कर रहे थे। इस दूसरे अशरे में अकीदतमंद अधिक से अधिक इबादत कर रुहानी फेज हासिल कर रहे है।


रमजान माह में तीन अशरे होते है। पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों से माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नुम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है। खुदा की रहमत पाने के लिए बंदों को ज्यादा से ज्यादा कुरआन शरीफ की तिलावत करना चाहिए। इसका कारण यह है कि रमजान ही वह महीना है जिसमे कुरआन शरीफ नाजिल किया गया।

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