चिकित्सा विभाग ने मुख्यमंत्री की आंखों में झोंकी धूल , गुटखा निर्माताओं को फायदा पहुँचाने के लिए रचा गहरा षड्यंत्र !

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संदर्भ : गुटखे पर रोक के आदेश आज तक जारी नहीं


ध्यानार्थ एवं आवश्यक कार्रवाई के लिए


महेश झालानी
पत्रकार ✍🏻






पिछले साल गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर, 19 को मुख्यमंत्री ने गुटखे पर प्रातिबन्ध लगाने की घोषणा कर वाहवाही तो खूब बटोर ली । लेकिन गुटखे पर प्रातिबन्ध का आदेश आज तक चिकित्सा विभाग ने नही जारी किया है । चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री की आंखों में धूल झोंककर आपराधिक कृत्य किया है ।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गांधी सर्किल पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि आज से समूचे प्रदेश में तम्बाकू, खैनी, पान मसाला तथा गुटखे के उत्पादन, परिवहन और विक्रय पर पूर्ण प्रातिबन्ध रहेगा । मुख्यमंत्री ने बताया कि राजस्थान तम्बाकू रहित देश मे पहला राज्य होगा । वस्तुतः ऐसा आदेश आज तक जारी नही हुआ ।




मुख्यमंत्री की इस घोषणा का पूरे देश मे भरपूर स्वागत हुआ । मीडिया ने ऐसा कदम उठाने के लिए जमकर तारीफ की । गहलोत और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को आज तक पता नही है कि चिकित्सा विभाग के अफसरों ने उनकी आंखों में धूल झोंककर गुटखा निर्माताओं को फायदा पहुँचाने का गहरा षड्यंत्र रचा है । आदेश जारी करने में इतनी चालाकी बरती गई है ताकि गुटखा निर्माताओं को भरपूर लाभ मिल सके ।

दिखावे के तौर पर 1 अक्टूबर, 2019 को चिकित्सा विभाग के निदेशक की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि "पान मसाला एवं फ्लेवर्ड सुपारी जिनमे मैग्नेशियम कार्बोनेट, निकोटिन, तम्बाकू एवं मिनरल ऑयल होने की पुष्टि स्टेट पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी द्वारा की जाएगी, उस ब्रांड के प्रॉडक्ट से सम्बंधित बैच राज्य में भंडारण, वितरण, परिवहन, प्रदर्शन एवं बिक्री को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रतिबंधित कर दिया जाएगा ।"



सर्वप्रथम उस अधिकारी को पद्म भूषण से सम्मानित करना चाहिए जिसने बहुत ही चालाकी से मुख्यमंत्री, पूरी सरकार और जनता को बेवकूफ बनाने की गरज से इस आदेश का प्रारूप तैयार किया । चालाकी की बानगी देखिए- पूरे आदेश में गुटखा शब्द का कोई उल्लेख नही है । जब वितरण, परिवहन, बिक्री तथा प्रदर्शन आदि का उल्लेख है तो निर्माण पर प्रातिबन्ध का उल्लेख क्यो नही किया गया ?

आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सेंट्रल हेल्थ लेबोरेटरी द्वारा जो बैच अमानक पाया जाएगा, खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत उसकी बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाया जाएगा । अर्थात जब तक किसी बैच की रिपोर्ट सेंट्रल लेबोरेटरी से नही आ जाती, तब तक उसकी बिक्री जारी रहेगी । क्या चिकित्सा निदेशक बता सकते है कि इस आदेश की पालना में अब तक कितने सैम्पल लिए गए । कितने अमानक पाए गए और कितने बैच की बिक्री पर रोक लगाई गई । यदि नही तो इसकी वजह भी बताने का श्रम करें ।

चिकित्सा निदेशक ने बताया कि उनको इस आदेश की बारीकी का नही पता । क्योकि उन्होंने उसी दिन अपनी ड्यूटी ज्वाइन की थी । यूं एन्टी टोबेको सेल के नोडल अफसर भी है । उनसे बात की तो उन्होंने दूसरे और दूसरे ने तीसरे अफसर पर टाल दिया । एक अधिकारी ने अवश्य स्वीकार किया कि आदेश में झोल है जिसका फायदा गुटखा निर्माता उठा रहे है । अधिकारी ने बताया कि एक गुटखा निर्माता द्वारा तैयार आदेश ही जारी किए गए है ।

आधे-अधूरे आदेश निकालने का तम्बाकू निर्माता खूब बेजा फायदा उठा रहे है । हाल ही अजमेर में एक करोड़ रुपये की मिराज खैनी का ट्रक पुलिस ने पकड़ा था । पुलिस को इसलिये छोड़ना पड़ा क्योंकि गुटखा अथवा खैनी के उत्पादन पर कोई रोक नही है । मुख्यमंत्री को चाहिए कि एक संशोधित आदेश जारी करवाना चाहिए

इस आदेश में स्पष्ट रूप से अंकित हो कि "पूरे प्रदेश में गुटखा, खैनी, पान मसाला, निकोटिन, मिनरल ऑयल से निर्मित फ्लेवर्ड सुपारी, तम्बाकू तथा तम्बाकू से निर्मित सभी प्रकार की वस्तुए जैसे मंजन, गुल, सूंघने का पाउडर, नसवार आदि की बिक्री, परिवहन, निर्माण, प्रदर्शन, प्रचार, प्रसार, विपणन पूर्ण प्रतिबन्ध रहेगा । जो कोई भी व्यक्ति, संस्था, दुकानदार, फर्म, कंपनी आदि इस आदेश की अवहेलना करता है तो खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंर्तगत सजा और जुर्माने का भागीदार होगा ।"

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