माहवारी स्वच्छता दिवस पर सेव द चिल्ड्रन की वेबिनार-- 'माहवारी रूकती नहीं महामारी में'

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माहवारी के दौरान किशोरियों को दें भावनात्मक सहयोग: स्वरूप संपत


By Desk ✍🏻



जयपुर-28 मई। महिलाओं और किशोरियों में माहवारी एक सामान्य प्रक्रिया है औऱ इसे झिझक औऱ शर्म के रूप में नहीं देखना चाहिए। माहवारी एक जीवन उत्सव है और इसे ख़ुशी से स्वीकार करना चाहिए। परिवार के सदस्य महिलाओं औऱ किशोरियो को माहवारी के दौरान भावनात्मक सहयोग प्रदान करें। प्रसिद्ध अभिनेत्री, पूर्व मिस इंडिया, शिक्षाविद डॉ स्वरूप संपत रावल ने सेव द चिल्ड्रन द्वारा माहवारी स्वच्छता दिवस पर आयोजित वेबिनार में राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश राज्य के किशोर किशोरियों औऱ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि स्कूली शिक्षा के साथ-साथ जीवन कौशल शिक्षा बेहद आवश्यक है। यह न केवल बच्चों को सशक्त बनाती है बल्कि उन्हें आत्म विश्वास से जीना औऱ विकट परिस्थितियों में बेहतर विकल्प चुनने की क्षमता प्रदान करती है। स्वरुप संपत ने परिवार और समाज को माहवारी के प्रति सोच बदलनें पर जोर देते हुए कहा कि बेटियों  के  मानसिक विकास स्वास्थ्य के लिए उन्हें स्नेहपूर्ण वातावरण प्रदान करें। उन्होंने स्कूलों में स्वच्छ शौचालय औऱ पानी के प्रबंधन को महत्वतपूर्ण बताते हुए कहा कि माहवारी के दौरान किशोरियो का स्कूल नहीं आने का कारण वहां स्वच्छ शौचालय का न होना है।


राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने कहा कि कोविड महामारी के कारण किशोरियों की जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। आर्थिक तंगी का बहाना बनाकर पुरुष वर्ग सैनिटरी नैपकिन ख़रीदने से बच रहे है और महिलायों औऱ किशोरियों को यौन व प्रजनन तंत्र संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी के द्वारा नैपकिन वितरण की व्यवस्था को सुचारू कर रही है। बेनीवाल ने आगे कहा कि पुरुषों को माहवारी के प्रति अपनी धारणा बदलने की जरूरत है।आज किशोर-किशोरियां विभिन्न मंचों पर माहवारी के संबंध में खुलकर चर्चा कर रहे है। यह बेहतर भविष्य और बदलाव संकेत है। माहवारी छुपाने या डरने की बात नहीं है। हमें माहवारी की जानकारी रौचक तरीकों जैसे नाटक ओर कॉमिक्स के जरिये बच्चों को देनी होगी। आयोग द्वारा कोविड के दौरान सैनेटरी पैड वितरण के निर्देश विभागों को जारी दिये गए है।



 जौला गॉव टोंक की ज्योति गौतम ने कहा कि सरकार द्वारा सरकारी स्कूल की लड़कियों को स्कूल में ओर ड्राप आउट लड़कियों को आंगनबाड़ी पर मिलते है परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट स्कूल और कॉलेज में भी लड़कियों को निःशुल्क सैनेटरी पैड मिलने चाहिए।जीवन कौशल की प्रशिक्षण प्राप्त ज्योति ने बताया कि वह अपने गॉव और आसपास की स्कूलों में जाकर लड़कियों को माहवारी संबधी जानकारी दे रही है।
नासिक महाराष्ट्र की पूनम ने बताया कि वह स्कूल की स्वास्थ्य मंत्री है और स्कूल में शौचालय की व्यवस्था ठीक नहीं होने पर शाला प्रबंधन समिति के सहयोग से उसे ठीक करवाया। शौचालय की दीवारों पर निटरी पैड के उपयोग ओर उनके निस्तारण की जानकारी चित्रित करवाई।


मुम्बई की हाजी अली इलाके की लतीफा ने बताया कि कोविड के कारण उनके इलाके में सार्वजनिक शौचालय सीमित समय के लिए ही खोले जाते थे माहवारी के दौरान महिलाओं को दिक्कत आ रही थी। इसके लिए पुलिस और प्रशासन से बात की और उन्हें खुलवाये। ओसियां जोधपुर के घनश्याम ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि किशोर समूह स्व जुड़ने के बाद मैंने माहवारी को ठीक से समझा औऱ माहवारी के प्रति पुरुषों की सोच बदलने का काम कर कर रहा हूँ  माहवारी के दौरान लड़कियों में होने वाली खून की कमी को दूर करने के लिए उन्हें नियमित आयरन टेबलेट लेने हेतु प्रेरित करता हूँ।



सेव द चिल्ड्रन की सी ई ओ बिदिशा पिलई ने कहा कि माहवारी अब शर्म या हिचक की बात नहीं है। इस विषय पर अब चुप्पी तोड़ने का समय आ गया है। सेव द चिल्ड्रन कोविड महामारी के दौरान किशोरियों को सैनिटरी पैड वितरण का काम कर रहा है।मध्यप्रदेश में किशोरी समूहों के साथ काम कर रहीं स्नेहलता ने कहा कि शहरी क्षेत्र में भी किशोरियों को माहवारी के सम्बंध में पूरी जानकारी नहीं है।

सेव द चिल्ड्रन के डिप्टी डायरेक्टर संजय शर्मा ने कहा कि सामाजिक बुराइयों की बेड़ियों के टूटने की शुरुआत हो चुकी है, माहवारी पर अब खुल कर बात हो रही है और यह महिला और किशोरी स्वास्थ्य के लिए एक सुखद संकेत है। अच्छी बात है कि किशोरिया अब स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रही है और सैनिटरी पैड की मांग कर रही हैं। समाज मे व्याप्त मिथ्या धारणाएं बदल रही है। कम्युनिकेशन मैनेजर डॉ हेमंत आचार्य ने बताया कि माहवारी स्वच्छता दिवस पर आयोजित वेबिनार माहवारी रूकती नहीं माहमारी में 300 किशोर-किशोरियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, स्वयं सेवी संग़ठन के प्रतिनिधियों, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य विभाग एवम राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों ने भाग लिया।

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