कभी आँगन में गूँजती थीं कोयल,मैना की आवाज़ें, गिद्ध करते थे मुफ़्त में सफाई

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संदर्भ:- प्रवासी पक्षी दिवस



पेंटिंग्स के ज़रिए दे रही हैं पक्षियों के संरक्षण का संदेश



विशेष संवाददाता: ओमप्रकाश सैनी ✍️




नवलगढ़- 09 मई। प्रवासी पक्षी दिवस पूरे भारत मे सभी ने अपने-अपने तरीके से मनाया।

इस अवसर पर इंडिया स्विच फाउंडेशन के फाउंडर आर्टिस्ट डॉ शंकर लाल सैनी ने बताया  कि उनकी संस्था को पक्षी विशेषज्ञ डॉ.दाऊलाल बोरा द्वारा  जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है, इस जानकारी के आधार पर आर्टिस्ट अपनी पेंटिंग में इफेक्ट को दर्शाते हैं।
आज पक्षी दिवस पर  कैनवास के इन चितेरों ने पेंटिंग के माध्यम से प्रवासी पक्षियों के संरक्षण का संदेश दिया ।



सैनी ने पुरानी यादें ताज़ा करते हुए बताया कि हम जब गाँव मे रहते थे तो गांव में कई पोखर और तालाब देखते थे जिनसे इन पक्षियों का संरक्षण को बढ़ावा मिलता था। लेकिन आज वर्तमान समय में तालाब पोखर खत्म होने के साथ-साथ पक्षियों की प्रजातियां भी धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं। पहले आंगन में गौरैया, कोयल, मैना की आवाज सुनने को मिलती थी, गिद्ध मुफ्त का सफाईकर्मी के रूप में कार्य करते थे। ये सब धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है आज इनकी कमी इतनी हो गई है कि यह विलुप्त होने लगे हैं।


यह सवाल पक्षी के विलुप्त होने का नहीं बल्कि यह  परिस्थितियां हमने ही पैदा की हैं जिससे प्रकृति अब विद्रोह की स्थिति में  आ गई है।पक्षियों का संरक्षण करें इन्हें बचाने में अपना योगदान दें  घरों में गोरियों के संरक्षण के लिए परिंडे जरूर लगाएं।

इस कार्य में आर्टिस्ट लक्ष्मी घोड़ेला, आर्टिस्ट नीरू तँवर आदि पक्षियों के संरक्षण को लेकर जन जागरूकता का कार्य कर रहे हैं।

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