क्रिकेट पिच V/S ज़िन्दगी की पिच
Unheard things... Untold truths..!
विजय शुक्ला की क़लम से ✍🏻
दुनिया के सर्वकालिक महानतम बल्लेबाजों में से एक
सुनील गावस्कर का ये लेफ्ट हैंड बैटिंग करते हुए चित्र न तो फेक , न ही कोई मिरर ट्रिक से बनाया गया है।
सभी जानते हैं, गावस्कर दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज थे।
फिर ये क्या है?
1981-82 रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल मुम्बई विरुद्ध कर्नाटक।
मुम्बई में गावस्कर के अलावा रवि शास्त्री, दिलीप वेंगसरकर, सन्दीप पाटिल, अशोक मांकड़, बलविंदर संधू जैसे मजबूत खिलाड़ी थे।
मुम्बई ने पहले बैटिंग करते हुए 271 रन बनाए, जिसमें बाएं हाथ के स्पिनर रघुराम भट्ट ने 123 पर 8 विकेट लिए।
फिर कर्नाटक ने 470 रन बनाकर पहली पारी के आधार पर बढ़त ले ली और फाइनल में जाना लगभग तय था।
मुम्बई की दूसरी पारी में रघुराम भट्ट का कहर जारी रहा और स्कोर हो गया 160 पर 6 !
पिच बुरी तरह से ख़राब हो चुकी थी। अब मुम्बई के सामने हार से बचना ही सबसे बड़ा लक्ष्य था,फाइनल तो वैसे ही चला गया था हाथ से।
गावस्कर इस पारी में सलामी बल्लेबाज के रूप में नहीं उतरे। वे आये 8 वे नम्बर पर और एक जबरदस्त निर्णय लिया....बाएं हाथ के रघुराम को बाएं हाथ से खेलने का।
60 मिनट तक गावस्कर टिके रहे और मैच खत्म होने पर मुम्बई का स्कोर था 200 पर 9 !
चिन्नास्वामी स्टेडियम में 30,000 दर्शक भारतीय क्रिकेट के जायंट मुम्बई को हारते देखने के लिये जमा हुए थे
लेकिन सुनील गावस्कर ने उन्हें यह सुख लेने से वंचित कर दिया।
वे अंत तक नॉट आउट रहे 18 रन बनाकर।
बाएं हाथ से वे सिर्फ रघुराम भट्ट को खेल रहे थे ,बाकी दाएं हाथ के गेंदबाजों को वे दाएं हाथ से खेलते।
जो क्रिकेट खेलते या जानते हैं, उन्हें ये पता होगा कि जब आप अपने विपरीत हाथ वाले गेंदबाज को खेलते हैं तो वो थोड़ा मुश्किल होता है, ऊपर से इस परिस्थिति में गेंद खतरनाक टर्न ले रही थी, तो गावस्कर ने ये निर्णय लिया कि भट्ट के उलटे हाथ के एडवांटेज को खत्म कर दिया जाए।
ज़िंदगी रूपी पिच भी कुछ ऐसी ही है..
ज़िन्दगी जब रघुराम भट्ट बनकर उलटे हाथ से मुश्किल भरी पिच रूपी परिस्थितियों पर घटनाओं को असमान रूप से टर्न करने लगे, तब सुनील गावस्कर बन कर आप भी उलटे हाथ से खेलो...
हारोगे नहीं...!
Unheard things... Untold truths..!
विजय शुक्ला की क़लम से ✍🏻
दुनिया के सर्वकालिक महानतम बल्लेबाजों में से एक
सुनील गावस्कर का ये लेफ्ट हैंड बैटिंग करते हुए चित्र न तो फेक , न ही कोई मिरर ट्रिक से बनाया गया है।
सभी जानते हैं, गावस्कर दाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज थे।
फिर ये क्या है?
1981-82 रणजी ट्रॉफी सेमीफाइनल मुम्बई विरुद्ध कर्नाटक।
मुम्बई में गावस्कर के अलावा रवि शास्त्री, दिलीप वेंगसरकर, सन्दीप पाटिल, अशोक मांकड़, बलविंदर संधू जैसे मजबूत खिलाड़ी थे।
मुम्बई ने पहले बैटिंग करते हुए 271 रन बनाए, जिसमें बाएं हाथ के स्पिनर रघुराम भट्ट ने 123 पर 8 विकेट लिए।
फिर कर्नाटक ने 470 रन बनाकर पहली पारी के आधार पर बढ़त ले ली और फाइनल में जाना लगभग तय था।
मुम्बई की दूसरी पारी में रघुराम भट्ट का कहर जारी रहा और स्कोर हो गया 160 पर 6 !
पिच बुरी तरह से ख़राब हो चुकी थी। अब मुम्बई के सामने हार से बचना ही सबसे बड़ा लक्ष्य था,फाइनल तो वैसे ही चला गया था हाथ से।
गावस्कर इस पारी में सलामी बल्लेबाज के रूप में नहीं उतरे। वे आये 8 वे नम्बर पर और एक जबरदस्त निर्णय लिया....बाएं हाथ के रघुराम को बाएं हाथ से खेलने का।
60 मिनट तक गावस्कर टिके रहे और मैच खत्म होने पर मुम्बई का स्कोर था 200 पर 9 !
चिन्नास्वामी स्टेडियम में 30,000 दर्शक भारतीय क्रिकेट के जायंट मुम्बई को हारते देखने के लिये जमा हुए थे
लेकिन सुनील गावस्कर ने उन्हें यह सुख लेने से वंचित कर दिया।
वे अंत तक नॉट आउट रहे 18 रन बनाकर।
बाएं हाथ से वे सिर्फ रघुराम भट्ट को खेल रहे थे ,बाकी दाएं हाथ के गेंदबाजों को वे दाएं हाथ से खेलते।
जो क्रिकेट खेलते या जानते हैं, उन्हें ये पता होगा कि जब आप अपने विपरीत हाथ वाले गेंदबाज को खेलते हैं तो वो थोड़ा मुश्किल होता है, ऊपर से इस परिस्थिति में गेंद खतरनाक टर्न ले रही थी, तो गावस्कर ने ये निर्णय लिया कि भट्ट के उलटे हाथ के एडवांटेज को खत्म कर दिया जाए।
ज़िंदगी रूपी पिच भी कुछ ऐसी ही है..
ज़िन्दगी जब रघुराम भट्ट बनकर उलटे हाथ से मुश्किल भरी पिच रूपी परिस्थितियों पर घटनाओं को असमान रूप से टर्न करने लगे, तब सुनील गावस्कर बन कर आप भी उलटे हाथ से खेलो...
हारोगे नहीं...!
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