बसपा विधायकों का पार्टी सहित विलय विधि विरूद्ध है,
क्योंकि यह बसपा राष्ट्रीय पार्टी की प्रादेशिक ईकाई है: मदन दिलावर
मीडिया केसरी वेब डेस्क ✍🏻
दिलावर ने कहा कि मेरे द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को लगभग 18 जुलाई को एक स्मरण पत्र देकर निवेदन किया कि मेरी पिटीशन को शीघ्र निस्तारित करें। उन्होंने मुझे सुने बिना ही 24 जुलाई की रात्रि को पिटीशन को निस्तारित कर दिया गया। परन्तु मेरे को निस्तारित पिटीशन के आदेश की काॅपी नहीं दी गई, जबकि दूसरे दिन जब समाचार पत्रों से मुझे पता चला कि मेरी पिटीशन को निस्तारित कर दिया गया है, के आदेश की काॅपी लेने पहुँचा। इससे पूर्व ई-मेल के माध्यम से माननीय विधानसभा अध्यक्ष एवं विधानसभा सचिव को निवेदन किया कि मुझे आपके द्वारा निस्तारित पिटीशन की विस्तृत आदेश की काॅपी उपलब्ध करवायें। परन्तु अभी तक भी उपलब्ध नहीं करवायी गई एवं मुझे आदेश की काॅपी दिये बिना ही हाईकोर्ट में आदेश की काॅपी प्रस्तुत की और इस आधार पर मेरे द्वारा राजस्थान उच्च न्यायालय में अपील की थी, उसको निरस्त कर दिया गया। उसमें कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा आपकी पिटीशन का निस्तारण कर दिया गया है।
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यह निर्णय टैक्निकल ग्राउण्ड पर हुआ ना कि मैरिट के आधार पर। हम लीगल एक्सपर्ट्स के साथ राय ले रहे हैं। उनकी राय अनुसार न्यायालय में निवेदन करेंगे, क्योंकि किसी भी पार्टी का विलय दूसरी पार्टी में पूरा होता है, खण्ड-खण्ड नहीं होता। बसपा विधायकों का पार्टी सहित विलय विधि विरूद्ध है, क्योंकि यह बसपा राष्ट्रीय पार्टी की प्रादेशिक ईकाई है। अतः कांग्रेस को या अन्य लोगों को खुश होने की जरूरत नहीं। हम पुनः न्यायालय में निवेदन करेंगे।
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