भाद्रपद शुक्ल अष्टमी पर मंदिरों में राधाजी के प्राकृट्योत्सव का छाया उल्लास

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राधाकृष्ण मंदिरों में मनाए गए उत्सव व झाँकी के श्रद्धालुओं को कराए ऑनलाइन दर्शन




मीडिया केसरी वेब डेस्क ✍🏻



जयपुर-26 अगस्त। छोटी काशी में भाद्रपद शुक्ल अष्टमी पर बुधवार को सुबह से राधाकृष्ण मंदिरों में राधाजी के प्राकृट्योत्सव का उल्लास छाया रहा। इस मौके पर राधाकृष्ण मंदिरों में घंटे-घडिय़ाल की ध्वनि के साथ
 राधा रानी के पुरुष युक्त पाठों से पंचामृताभिषेक किया गया।

 कोरोना के कारण श्रद्धालुओं का मंदिरों में प्रवेश निषेध रहा और बिना श्रद्धालुओं के ही सादगी से उत्सव मनाया गया। उत्सव व झांकी दर्शन ऑनलाइन व सोशल मीडिया के माध्यम से करवाए गए।


रामगंज बाजार स्थित लाड़लीजी मंदिर में महंत संजय गोस्वामी के सान्निध्य में सुबह  राधाजी का पंचामृताभिषेक किया गया। ठाकुरजी को पीत रंग की पोशाक व अलंकार धारण करवा कर श्रृंगार किया गया। इसके बाद धूप झांकी में चरण दर्शन, 9 बजे वृषभानु दुलारी पालना दर्शन भक्तों को सोशल मीडिया के माध्यम से करवाए गए। अपराह्न एक बजे से उछाल, बधाई व वात्सल्य पदों का गायन हुआ। अपराह्न 3 बजे से हेरी समाज व ग्वारिया समाज आदि कार्यक्रम आयोजित हुए। शाम 7 बजे भक्ति संगीत व बधाई गान हुए।


आराध्य गोविन्ददेवजी के मंदिर में राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया गया। महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में मंगला आरती के बाद  तिथि पूजा व प्रियाजी का अभिषेक हुआ। अभिषेक दर्शन खुलने पर आतीशबाजी की गई। इस अवसर पर ठाकुरजी को विशेष व्यंजन पंजीरी लड्डू व मावे की बर्फी का भोग लगाया गया। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि अभिषेक के बाद ठाकुरजी को पीले पोशाक व अलंकार धारण करवाए गए। मंदिर के मुख्य द्वार पर शहनाई वादन हुआ। धूप झांकी खुलने पर अधिवास पूजन व 56 भोग झांकी दर्शन हुए। शृंगार झांकी के बाद राधारानी का जन्मोत्सव मनाया गया एवं खुशी में उछाल की गई। इस बार कोरोना के कारण श्रद्धालु उत्सव में शामिल नहीं हो सके। उत्सव दर्शन रात्रि 7.45 से 8. 25 बजे तक ऑनलाइन करवाए गए।

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चांदनी चौक स्थित देवस्थान विभाग के ब्रजनिधि मंदिर में सुबह 5.30 बजे पुजारी भूपेन्द्र कुमार रावल के सान्निध्य में राधाजी का जन्माभिषेक किया गया। ठाकुरजी को पीली पौशाक धारण करवा कर शृंगार किया गया। भोग आरती में विशेष व्यंजनों का भोग लगाया गया। कोरोना के कारण इस बार बड़ा आयोजन नहीं हुआ।

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