हिंदी मध्यकाल में आमजन की सहज सरलता से बोली जाने वाली भाषा रही है

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हिंदी दिवस पर विशेष




पुरुषोत्तम शर्मा "मारुति" ✍🏻


रामगंजमंडी,कोटा



हिंदी हमारी मातृभाषा के साथ-साथ विश्व के प्रमुख भाषाओं में से एक भाषा है। हमारे देश में हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
14 सितम्बर को विश्व में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य  जन-जन तक हिंदी भाषा को पहुंचाना है।

 एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 77 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो हिंदी भाषा बोलना, पढ़ना या लिखना जानते हैं। हिंदी में हम अपने विचार उद्गार या सामान्य व्यवहार व बातों को सहजता सरलता से एक दूसरे के साथ आदान प्रदान करते हैं। हमें हमारी मातृभाषा हिंदी पर गर्व है। 14 सितंबर 1949 में भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में बनी गई संविधान सभा ने हिंदी को राष्ट्र की अधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया इसके पश्चात 14 सितंबर 1953 को हिंदी दिवस के  रूप में मनाने का निर्णय किया गया तब से ही 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी मध्यकाल में आमजन की सहज सरलता से बोली जाने वाली भाषा रही है व इसमें समृद्ध साहित्य हमारे देश में तुलसी सूर कबीर मीरां के भक्ति के भंडार हमें प्राप्त होते हैं वहीं भारतेंदु जी मुंशी जी के आधुनिक साहित्य हमें गौरवान्वित करते हैं। आओ हम सब हिल मिलकर बड़े उत्साह उमंग के साथ हिंदी दिवस को मनायें व संकल्प लें कि हम परिवार में समाज में हिंदी का अधिक से अधिक सम्मान करेंगे व हिंदी को आत्मसात कर अपने आपको गौरवान्वित अनुभव करेंगे।
सभी आत्मीय जनों को हिंदी दिवस की बहुत-बहुत हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।


प्रस्तुत है पुरषोत्तम भारती द्वारा लिखी कविता --



आदि से आधुनिक तक रूप बदलकर आई हिंदी,
गाँव,शहर गलियों तक हर जगह ही  छाई हिंदी।
बोलचाल स्पृहा जगत में सम्मान दिलाती सबको ,
नृत्य,कला,संगीत,नाट्य सभी तरह से भाई हिंदी।
समय से गुणगान कराती विश्व पटल के वीरों का ,
लोककला के रंग मंच से बनी है सबकी ताई हिंदी।
गद्य-पद्य विधा निराली,शब्द चयन के सुंदर वन में,
कबीर,सूर,तुलसी,रैदास में शिक्षा तो दिलाई हिंदी।
राजकाज कवियों की भाषा कृति में हुई नवेली है ,
वीर,भक्ति, श्रृंगार सभी को एक साथ लाई हिंदी।
लोकभवन मंचों की रानी मुखरित छंद विधानों में,
गृह-प्रवेश,मंडप की दुल्हन शाख तो जमाई हिंदी।
लेख, सुलेख,श्रुतिलेख में पुरस्कार सहभागी होती,
पखवाड़ा की गतिविधियों में करती है भलाई हिंदी।
राष्ट्र निर्माण लक्ष्य है राजभाषा घोषित भारत में ,
समाचारपत्रों की भाषा से जनता को जगाई हिंदी।
ठाट-बाट की संरक्षा में भूल गए जो अपनी भाषा ,
मौलिकता के नए सृजन में याद उन्हें कराई हिंदी।
दीन-दुखी कीआशा बनके जीवन रक्षा करती है ,
संकट में साहस बनकर पैदल उन्हें चलाई हिंदी ।
राजनीति से अलग प्रीति-धरा को शोभित करती,
मतभेद से मुक्त हो खुशहाली का पाठ पढ़ाई हिंदी



                         पुरुषोत्तम शर्मा "मारुति "

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