केंद्र सरकार की अदूरदर्शिता के चलते युवा अध्ययन हेतु बिना कोविड-19 वैक्सीन के जा रहे हैं विदेश
विदेश में क्वॉरेंटाइन पर होने वाला भारी खर्चा भी अभिभावकों को ही उठाना होगा
Corona Vaccination Guideline मे वंदे भारत मिशन के तहत आये विद्यार्थियों को भूली केंद्र सरकार
हिमा अग्रवाल ✍🏻
जयपुर- 2 मार्च। वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण हुए लॉक डाउन व अनलॉक के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। देश में व्यापारिक प्रतिष्ठानों के साथ-साथ अब शिक्षण संस्थाएँ भी संचालित होने लगी हैं।
इसी दौरान पिछले माह केंद्र सरकार द्वारा कोरोना महामारी से बचने के लिए टीकाकरण हेतु गाइडलाइन ज़ारी की गई है,लेकिन केंद्र सरकार की उक्त गाइडलाइन सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों की अदूरदर्शिता का परिचय दे रही है।
आपको बता दें कि कोरोनकाल में लॉकडाउन होने पर विदेश में पढ़ रहे हमारे देश के युवा छात्रों एवं व्यापारियों के लिए भारत सरकार ने वंदे भारत मिशन कार्यक्रम चलाया था जिसके तहत विभिन्न देशों में अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों एवं अन्य लोगों की वतन वापसी करवाई गई थी। अब चूँकि देश के साथ-साथ विदेशों में भी शिक्षण संस्थाएँ खुल चुकी हैं। ऐसे में विदेशों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी शीघ्र टीकाकरण करवाना ज़रूरी है।
लेकिन अफसोस की बात यह है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इन छात्रों को अभी टीके नहीं लग सकते। इस संबंध में जानकारी लेने के लिए इन अभिभावको ने सरकारी कार्यालय में अधिकारियों से भी बातचीत की लेकिन स्पष्ट जानकारी के अभाव में अधिकारी भी लाचार नज़र आए।
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यूँ छलका अभिभावकों का दर्द--
यूरोपियन कंट्री जॉर्जिया में MBBS की पढ़ाई कर रहे कुणाल निठारवाल के पिता रामजीलाल निठारवाल ने कहा कि हमारे देश में एक नहीं दो- दो वैक्सीन तैयार हो चुकी हैं। टीकाकरण की शुरुआत फ्रंटलाइन वर्कर्स, मेडिकल स्टाफ इत्यादि से हो चुकी है।फिलहाल प्राथमिकता देते हुए बड़े-बुजुर्गों का टीकाकरण किया जा रहा है। निठारवाल ने कहा कि- "मैं नहीं कहता कि सरकार की मंशा में कहीं भी कोई खोट है लेकिन कहीं ना कहीं वैक्सीनेशन लगाने की जो गाइडलाइन तैयार करने वाली टीम है उन्होंने देश के उन नौजवानों को भुला दिया जिनको 1 साल पूर्व जैसे - तैसे करके विदेशों से वतन वापसी करवाई गई थी| अब उन्हें सुचारू अध्ययन के लिए वापस अलग-अलग देशों में जाना है। मेरा बेटा कुणाल निठारवाल भी यूरोपियन कंट्री जॉर्जिया से एमबीबीएस स्टूडेंट है, 20 मार्च की फ्लाइट में जाने का पूरा विचार कर रखा है। पिछले काफी समय से हर स्तर पर प्रयास किया गया कि किसी भी तरह से बच्चों को जाने से पहले कोविड-19 के बचाव के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लगवा दी जाए लेकिन बड़े दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि हमारे देश के कर्ता-धर्ताओं ने वैक्सीनेशन की जो गाइडलाइन तैयार की है उसमें इन लोगों को भुला दिया गया है।अभी तक एक भी डोज नहीं लगी। हमारी दिल से इच्छा थी कि इस महामारी से बचाव के लिए हमारे बच्चों के हमारे ही देश में तैयार वैक्सीन लगवा दें लेकिन अफसोस इस बात का है कि हमारे बच्चे बिना किसी सेफ्टी के बिना किसी वैक्सीनेशन के वापस विदेश जा रहे हैं क्योंकि पढ़ाई करना भी जरूरी है।कोविड-19 की जांच करवाने पर नेगेटिव पाए जाएंगे तब भी इन लोगों को वहां 10 दिन क्वॉरेंटाइन रहना पड़ेगा
जिसका खर्चा हमें उठाना पड़ेगा जो हजारों में होगा सभी बच्चों का जोड़े तो लाखों में जाएगा। क्या हमारे बच्चों के समय से वैक्सीन लगाकर हमारे देश के लाखों रुपए दूसरे देश में जाने से रोके नहीं जा सकते थे ?? साथ ही बच्चों की सुरक्षा भी हमारी अपनी वैक्सीन के द्वारा कर पाते।
-- रामजीलाल निठारवाल,
अभिभावक
जयपुर
कुछ इसी तरह की पीड़ा जोधपुर के दिनेश सिंह शेखावत ने मीडिया केसरी चैनल को बताते हुए कहा कि-
"मेरा मेडिकल विशेषज्ञों से अनुरोध है कि वे कोरोना वायरस के टीकाकरण गाइडलाइन में यह भी जानकारी उपलब्ध करवाएं कि क्या फर्स्ट डोज लगवाने के बाद दूसरी डोज का इंतजार 28 दिन तक करना पड़ेगा या पहले लगवा सकते हैं। साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि हमारे देश के भावी कर्णधारों की तरफ भी अपना ध्यान आकर्षित करें और इनके लिए उचित वैक्सीनेशन की तुरंत प्रभाव से व्यवस्था के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी करें।"
अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस दिशा में क्या त्वरित कदम उठाती है।
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