Love Your Lungs-समय रहते इन लक्षणों की करेंगे पहचान...तो लंबे समय तक फलेंगे-फूलेंगें आपके फेफड़े ! ध्यान रहे..पेसिव स्मोकिंग भी हो सकती है जानलेवा !

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फेफड़ें के कैंसर की गलत पहचान बढ़ा सकती है कैंसर मृत्युदर

टीबी और लंग कैंसर के लक्षणों में समानता से लंग कैंसर की पहचान में हो रही देरी



Media Kesari Health Desk ✍🏻


जयपुर- 24 मार्च। अक्सर देखने में आता है कि फेफड़े  के कैंसर (Lung Cancer) और टीबी (TB) के लक्षणों में समानता होने के कारण कई बार फेफड़े के कैंसर रोग की पहचान और उपचार की शुरुआत में देरी कर दी जाती है। ऐसे में सही समय पर रोग की सही पहचान ना होने के कारण रोगी को कैंसर मुक्त करना काफी मुश्किल  हो जाता है। 

कैंसर विशेषज्ञों  के अनुसार फेफडो के कैंसर के अधिकांश  रोगी अपनी बीमारी की शुरूआती अवस्था को टीबी मानकर उसका उपचार करवा रहे होते हैं और रोग के फैलने के बाद कैंसर की पहचान होती है। ऐसे में रोगी के शरीर में कैंसर फैल चुका होता है।

जयपुर के भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BHAGWAN MAHAVEER CANCER HOSPITAL AND RESEARCH CENTRE )  के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट (Oncologist)डॉ दीपक गुप्ता ने बताया कि खांसी, लम्बे समय तक बुखार, सांस का फूलना जैसे लक्षण टीबी और फेफडें के कैंसर दोनों ही बीमारियों में होते है, ऐसे में लंबे समय तक रोगी के सही रोग की पहचान नहीं हो पाती है। डॉ गुप्ता ने बताया कि फेफड़े के कैंसर और टीबी दोनों की बीमारी में धूम्रपान सामान्य कारण है। 


धूम्रपान के कारण बढ़ रही मृत्युदर 

विश्व भर में 80 लाख और देशभर में 13 लाख लोग तंबाकू की वजह से अकाल मौत का शिकार हो रहे है। पुरूषों में कैंसर से होने वाली मौतों में फेफड़े  का कैंसर प्रथम स्थान पर है। फेफड़े  के कैंसर का प्रमुख कारण स्मोकिंग है। 


सावधान..पेसिव स्मोकिंग (Passive Smoking) भी हो सकती है जानलेवा !

जिन्हें धूम्रपान की बुरी लत होती है, वे कहीं पर भी स्मोकिंग करना शुरू कर देते हैं। इस दौरान उनके आस-पास अगर बच्चे, महिला या अन्य कोई मौजूद हों तो धुएँ का शिकार वो भी हो जाते हैं और यह उनकी श्वसन प्रक्रिया में रुकावट डालता है।


इसे ही सेकेंड हैंड स्मोकिंग अथवा पैसिव स्मोकिंग के नाम से जाना जाता है। चिकित्सकों के अनुसार ऐसे धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के संपर्क में अधिक समय तक रहने से स्वस्थ व्यक्ति भी फेफड़ों की बीमारी का शिकार हो सकता है और कभी-कभी तो जानलेवा भी।


इन लक्षणों की पहचान है जरूरी 


1. लंबे समय तक खांसी का ठीक ना होना। 

2. सांस का फूलना। 

3.सीने में दर्द होना खासतौर पर गहरी सांस लेते समय

4.वजन का तेजी से कम होना

5.भूख ना लगना

6.आवाज में बदलाव आना

7.कंधे और हाथ में दर्द होना




लंग कैंसर के प्रमुख कारण 


1.धूम्रपान

2.पेसिव स्मोकिंग (अन्य व्यक्तियों के धूम्रपान करने से धुएं में लगातार सम्पर्क में रहना) 

3.रसायन, विकिरण, वायू प्रदूषण के सम्पर्क में रहना। 

4.परिवार में किसी व्यक्ति को लंग कैंसर होना। 


लंग कैंसर रोग की गलत पहचान होने या पहचान ना होने की वजह से रोगी के सही उपचार की शुरूआत नहीं हो पाती है। भारत जैसे विकासशील देशों में इस रोग की देर से पहचान का मुख्य कारण आमजन में जागरूकता की कमी है। अगर बुखार, खांसी और सांस फूलने की स्थिति में अगर रोगी टीबी का उपचार ले रहा है और दो सप्ताह तक उसकी स्थिति में सुधार नहीं तो रोगी डॉक्टर से सम्पर्क कर पुन जांच करवाएं।

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