केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञ भी कर रहे हैं प्रोनिंग की पैरवी
- Proning process can help to improve the oxygen level of corona patients..How to do Proning at home
Media Kesari Digital Desk ✍🏻
जयपुर, 28 अप्रैल। Coronavirus संक्रमण की दूसरी लहर ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है। ऐसे में हर नागरिक भयभीत है और इसके इलाज के लिए इधर-उधर भाग रहा है। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ दिशा निर्देश जारी करते हुए होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना संक्रमित मरीजों को प्रोनिंग के जरिए कम होते ऑक्सीजन लेवल में सुधार करने की पैरवी की है।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि प्रदेश और देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञों ने ऑक्सीजन का स्तर कम होने पर खुद की निगरानी में प्रॉनिंग (Proning) की सलाह दी है।
Oxygen Level 94 से नीचे आने पर हो प्रोनिंग
जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुधीर भंडारी ( Dr Sudhir Bhandari) ने बताया कि जब ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे आ जाए, तो होम आइसोलेशन में रहते हुए कोविड मरीज को प्रोनिंग करनी चाहिए। प्रोनिंग की यह स्थिति वेंटीलेशन में सुधार करके मरीज की जान तक बचा सकती है।
ऑक्सीजनेशन होता है 80 प्रतिशत तक सफल
डॉ भंडारी ने कहा कि प्रोनिंग की पोजीशन सांस लेने में आराम और ऑक्सीकरण में सुधार करने के लिए मेडिकली प्रूव्ड है (Medically proved) है।
Proning Position increases oxygen level in Covid-19 Patients.
इसमें मरीज को पेट के बल लिटाया जाता है। यह प्रक्रिया 30 मिनट से दो घंटे की होती है। इसे करने से फेफड़ों में रक्त का संचार बेहतर होता है, जिससे ऑक्सीजन फेफड़ों में आसानी से पहुंचती है और फेंफड़े अच्छे से काम करने लगते हैं। उन्होंने बताया कि ऑक्सीजनेशन में इस प्रक्रिया को 80 प्रतिशत तक सफल माना जा रहा है ।
इस तरह करें प्रोनिंग
भंडारी ने बताया कि प्रोनिंग के लिए लगभग चार से पांच तकियों की जरूरत होती है। सबसे पहले रोगी को बिस्तर पर पेट के बल लिटाएं। एक तकिया गर्दन के नीचे सामने से रखें। फिर एक या दो तकिए गर्दन, छाती और पेट के नीचे बराबर में रखें। बाकी के दो तकियों को पैर के पंजों के नीचे दबाकर रख सकते हैं। ध्यान रखें इस दौरान कोविड रोगी को गहरी और लंबी सांस लेते रहना है। उन्होंने बताया कि 30 मिनट से लेकर करीब दो घंटे तक इस स्थिति में रहने से मरीज को बहुत आराम मिलता है। लेकिन 30 मिनट से दो घंटे के बीच मरीज की पोजीशन बदलना जरूरी है। इस दौरान मरीज को दाई और बाई करवट लिटा सकते हैं।
प्रोनिंग करते समय ध्यान रखने योग्य बातें
भंडारी ने कहा कि खाने के तुरन्त बाद प्रोनिंग करने से बचें। इसे 16 घंटों तक रोजाना कई चक्रों में कर सकते हैं, इससे बहुत आराम मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया को करते समय घावों और चोट को ध्यान में रखें। दबाव क्षेत्रों को बदलने और आराम देने के लिए तकियों को एडजस्ट करें ।
इन हालात में प्रोनिंग से रहें दूर
भंडारी ने बताया कि गर्भावस्था में महिला, गंभीर कार्डियक मरीज को प्रोनिंग से बचना चाहिए। स्पाईन से जुड़ी कोई परेशानी हो या फिर पेल्विक फैक्चर हो, तो प्रोनिंग करने से नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि भोजन करने के तुरन्त बाद प्रोनिंग की प्रक्रिया से बचना चाहिए।
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