बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर डाल रहा है इंटरनेट : मनोवैज्ञानिक मनीषा गौड़ -Excessive internet use affects children's psychological outcomes

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Mental Health Ambassador बन सकता है डिजिटल बाल मेला  - Dr Manisha Gaur


Media Kesari ✍🏻

जयपुर-03 जुलाई। गौड़ मेंटल हेल्थ क्लिनिक की निदेशक, मनोवैज्ञानिक मनीषा गौड़ (Dr Manisha Gaur )ने डिजिटल बाल मेला (Digital Baal Mela) के बच्चों के साथ जुड़कर सोशल मीडिया (Social Media) और इंटरनेट (internet) से होने वाले मानसिक प्रभाव पर संवाद किया। उन्होंने कहा कि इंटरनेट का नशा दिमाग के साथ-साथ शरीर पर प्रभाव डालता है और सोचने की क्षमता पर असर डालता है। 

ऐसे में बच्चों को एक लिमिट और गाइडलाइन के साथ ही इंटरनेट का यूज करना चाहिए। 

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डॉ मनीषा गौड़ ने डिजिटल बाल मेला के कोरोनाकाल में चल रहे सेशंस को बच्चों के लिए एक अच्छी पहल बताया। डॉ मनीषा ने नवाचार की तारीफ़ करते हुए बाल मेला टीम और बच्चों के साथ मनोविज्ञान के लिए गांव और ढाणियों में जागरूकता कैंप (Awareness camp) लगाने की भी इच्छा जताई। डॉ. मनीषा ने कहा कि बाल मेला 'मेंटल हेल्थ एंबेसडर' (Mental Health Ambassador) बन सकता है। बच्चों के मानसिक विकास के लिए डिजिटल बाल मेला जैसे नवाचार (innovation) हमेशा चलते रहने चाहिए। 

यह बात उन्होंने शनिवार को फ्यूचर सोसायटी (The Future Society)और एलआईसी ( Life Insurance Corporation) की ओर से प्रायोजित देश के पहले डिजिटल बाल मेला 2021 के सीजन 2 (Digital Baal Mela 2021 Season 2) की थीम 'बच्चों की सरकार कैसी हो' के मंच पर बच्चों से रुबरु होकर कही। सेशन की होस्ट (host)जान्हवी शर्मा तो को-होस्ट प्रतीक शर्मा रहे। 

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लॉकडाउन में बच्चों के माता-पिता को यह चिंता सताने लगी कि अपने स्कूल, टीचर्स, दोस्त और प्लेग्राउंड से दूर घरों में बंद बच्चों पर इसका मनोवैज्ञानिक असर क्या पड़ेगा। लॉकडाउन की वजह से घरों में बंद बच्चों के व्यवहार में बदलाव दिख रहा है. बच्चों में लॉकडाउन को लेकर सवाल हैं, बैचेनी है और वे चिड़चिड़े हो रहे हैं। ऐसे ही सवालों के जवाब डॉ मनीषा गौड़ ने बच्चों के साथ साझा किए और उन्हें जरूरी सुझाव भी दिए। 



मनोवैज्ञानिकों से शगुन अग्रवाल ने सवाल किया कि माता-पिता की अपेक्षा होती है उनका बच्चा हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ रहे, ये कितना सही है। डॉ मनीषा ने जवाब में कहा, इस वक्त में अभिभावकों को बच्चों को डांटने के बजाय धैर्य से काम लेने की ज्यादा जरूरत है। साथ ही उनको शारीरिक रूप से एक्टिव रखना भी बेहद जरूरी है। 

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बच्चे एक्टिव रहेंगे तो तनावमुक्त भी होंगे। इसके अलावा और उनका एक शेड्यूल बना होना चाहिए कि किस वक्त में उन्हें क्या काम करना है। बच्चों को फिलहाल क्रिएटिव कामों से जोड़े रखने की जरूरत है. उन्हें उनकी पसंद का कोई भी काम और समय देकर ये निश्चित करें कि वे व्यस्त भी रहें और कुछ नया भी सीखें। बता दें, संवाद का लीडर शगुन को घोषित किया गया है।

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