मुख्यमंत्री गहलोत का कद बढ़ा !
By बाल मुकुंद जोशी
Media Kesari
शायद राजस्थान भाजपा का नेतृत्व यह सोचकर चुनाव दंगल में उतर जाता है,पार्टी को नमो-नमो का जाप बेतरणी पार करवा देगा लेकिन अभी तक जितने भी उपचुनाव और पंचायतों के चुनाव हुए हैं उनमें अधिकतर में भाजपा को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी है।नतीजे बता रहे हैं,पार्टी के रहनुमाओं ने सबक लेने की बजाय आपसी खींचतान में मशगूल रहे हैं. इससे पार्टी रसातल की ओर अग्रसर हो रही है।
Rajasthan Bypolls 2021 Massive Setback for BJP, Congress Wins Both Dhariawad And Vallabhnagar Seats |
वल्लभनगर और धरियावाद उपचुनाव के आज आए चुनाव नतीजों से तो दिल्ली में बैठे नेताओं के कान खड़े कर दिये है.आदिवासी बाहुल्य धरियावाद में कांग्रेस जीत का दो दशकों से इंतजार कर रही थी।आज की जीत ने ऐसा धमाका किया जिसकी कल्पना कांग्रेस के नेताओं को भी नहीं रही होगी।वल्लभनगर में जीत पूरी तरह मानने वाले कांग्रेसी नेता धरियाबाद की जीत को दबी जुबान से बोल रहे थे लेकिन नतीजे आए तो वल्लभनगर से ज्यादा धमाकेदार धरियाबाद के मतदाताओं का फैसला रहा.जिन्होंने भाजपा के रणनीतिकारों की हवा ही खिसका दी। दरअसल वरिष्ठ नेताओं की अवहेलना करना भाजपा को भारी पड़ा. प्रत्याशी चयन में गुलाबचंद कटारिया की अनदेखी से आज पूरे नतीजों का दंश भाजपा को झेलना पड़ रहा है।
प्रदेश भाजपाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा,वोटों के विभाजन से भाजपा के लिए नतीजे ठीक नहीं आये परन्तु सच्चाई तो यह है कि प्रत्याशी चयन में ही भाजपा मात खा चुकी थी.ऊपर से सियासी जादूगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी रणनीति से साइडलाइन कर दिया था.राजस्थान में जब से मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित कई वरिष्ठ नेताओं के महत्व को नकार कर नए नेतृत्व के नाम पर ऐसे नेताओं के हाथ में कमान आ गई है जिनको अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है.मारवाड़ी में कहावत है "दादी-दादी है तो आठ बरस की" मतलब साफ है अगले 2 बरस बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा हाईकमान को राज्य के नेतृत्व के बारे में गंभीरता से लेना होगा। यह सोच रखने से की सत्ता विरोधी हवा चलेगी और भाजपा राज में आ बैठेगी यह मुगालता ही होगा।
BJP की हार पर बोले Satish Poonia
यह पराजय स्वाभाविक है; परिस्थितिजन्य है और स्थानीय समीकरण तथा मुद्दों पर निर्भर थी; हमें मनोबल और आत्मविश्वास बनाए रखते हुए; आलोचना से बचते हुए;सीख और सबक़ लेकर आगे बढ़ना है। जब हम सत्ता में थे, तब भी हम उपचुनावों में पराजय से सबक़ लेकर आगे बढ़े हैं।
यह पराजय स्वाभाविक है; परिस्थितिजन्य है और स्थानीय समीकरण तथा मुद्दों पर निर्भर थी; हमें मनोबल और आत्मविश्वास बनाए रखते हुए; आलोचना से बचते हुए;सीख और सबक़ लेकर आगे बढ़ना है। जब हम सत्ता में थे, तब भी हम उपचुनावों में पराजय से सबक़ लेकर आगे बढ़े हैं।
— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) November 2, 2021
बहराल उपचुनाव और पंचायत चुनाव के नतीजों से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पकड़ मजबूत हुई है तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के लिए यह सब चिंता का सबब है।
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