संदर्भ:- समालखा ( हरियाणा) में 75वॉं अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक निरंकारी संत समागम सम्पन्न
आध्यात्मिकता से ही मानवता को सुन्दर रूप मिलता है-सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज (Satguru Mata Sudiksha ji, Spiritual leader )
राजस्थान से भी हज़ारों श्रद्धालुओं ने लिया भाग
Media Kesari
Jaipur (Rajasthan)
जयपुर -22 नवम्बर 2022 समालखा हरियाणा (Samalkha Haryana) में निरंकारी आध्यात्मिक स्थल पर 16 से 20 नवंबर के मध्य आयोजित 75वां अन्तर्राष्ट्रीय वार्षिक निरंकारी संत समागम (Nirankari Sant Samagam) स्वयं में दिव्यता एवं भव्यता की एक अनुठी मिसाल बना ।समागम में देश-विदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने सम्मिलित होकर सतगुरु के पावन दर्शन एवं अमृतमयी प्रवचनों का आनंद प्राप्त किया। मानवता का यह महाकुम्भ सम्पूर्ण निरंकारी मिशन के इतिहास में निश्चय ही एक मील का पत्थर रहा जो सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।
सेवादल रैली
निरंकारी संत समागम के इतिहास में ऐसा प्रथम बार हुआ कि जब एक पूरा दिन सेवादल को समर्पित किया गया। 16 नवंबर को आयोजित इस रंगारंग सेवादल रैली में प्रतिभागियों ने शारीरिक व्यायाम, खेलकूद, मानवीय मीनार एवं मल्लखंब जैसे करतब दिखाए। इसके अतिरिक्त वक्ताओें, गीतकारों एवं कवियों ने समागम के मुख्य विषय ‘रूहानियत एवं इन्सानियत’ (Ruhaniyat Aur Insaniyat) पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए जिसमें व्याख्यान, कवितायें, ‘सम्पूर्ण अवतार बाणी’ के पावन शब्दों का गायन, समूह गीत एवं लघुनाटिकाओं का सुंदर समावेश था।
सेवादल रैली में सम्मिलित हुए स्वयंसेवकों को अपना पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए सत्गुरु माता जी ने कहा कि सेवाभाव से युक्त होकर की गई सेवा ही वास्तविक रूप में सेवा कहलाती है। सेवा का अवसर केवल कृपा होती है, यह कोई अधिकार नहीं होता।
रुहानियत और इंसानियत संग संग
इस वर्ष के समागम का मुख्य विषय रहा ‘रुहानियत और इंसानियत संग संग’ (Ruhaniyat Aur Insaniyat Sang Sang)। समागम स्थल की ओर जाते समय स्थान स्थान पर लगाये गये होर्डिंग्ज एवं बैनर्स में कोई भी समागम के इस बोध वाक्य को पढ़ सकता था। समागम के इस मुख्य विषय पर ही वक्ताओं ने अपने भावों को विभिन्न विधाओं के माध्यम द्वारा व्यक्त किया।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज (Satguru Mata Sudiksha ji, Spiritual leader) ने रुहानियत ( #Ruhaniyat ) एवं इन्सानियत (Ruhaniyat Aur Insaniyat) के संदेश पर अपने आशीर्वचनों में कहा कि आध्यात्मिकता मनुष्य कीे आंतरिक अवस्था में परिवर्तन लाकर मानवता को सुंदर रूप प्रदान करती है। हृदय में जब इस परमपिता परमात्मा का निवास हो जाता है तब अज्ञान रूपी अंधकार नष्ट हो जाता है और मन में व्याप्त समस्त दुर्भावनाओं का अंत हो जाता है। परमात्मा शाश्वत एवं सर्वत्र समाया हुआ है जिसकी दिव्य ज्योति निरंतर प्रज्ज्वलित होती रहती है। जब ब्रह्मज्ञानी भक्त अपने मन को परमात्मा के साथ एकाकार कर लेता है तब उस पर दुनियावी बातों का कोई प्रभाव नहीं पडता।
सतगुरु माता जी ने कहा कि भक्ति करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती यह किसी भी उम्र और अवस्था में की जा सकती है। वास्तविक रूप में भक्ति ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के उपरान्त ही सम्भव है।
शांति एवं अमन के संदेश की महत्ता को समझाते हुए सतगुरु माता जी ने कहा कि इन संदेशों को दूसरों को देने सेे पूर्व हमें स्वयं अपने जीवन में धारण करना होगा। किसी के प्रति मन में वैर, ईर्ष्या का भाव न रखते हुए सबके प्रति सहनशीलता एवं नम्रता जैसे गुणों को अपनाते हुए सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनना होगा।
सतगुरु माता जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति के उपरान्त जब संत विवेकपूर्ण जीवन जीते हैं तभी वास्तविक रूप में वह वंदनीय कहलाते हैं। फिर वह पूरे संसार के लिए उपयोगी सिद्ध हो जाते हैं। ऐसे संत महात्मा ब्रह्मज्ञान की दिव्य ज्योति का स्वरूप बन जाते हैं और अपने प्रकाशमय जीवन से समाज में व्याप्त भ्रम-भ्रांतियों के अंधकार से मुक्ति प्रदान करते हैं। ज्ञान के दिव्य चक्षु से संत महात्माओं को संसार का हर एक प्राणी उत्तम एवं श्रेष्ठ दिखाई देता है और समदृष्टि के भाव को अपनाते हुए हृदय में किसी के प्रति नकारात्मक भाव नहीं रखते।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज गांधी ग्लोबल फैमिली द्वारा शांतिदूत सम्मान से विभूषित
समागम के दौरान 19 नवंबर को गांधी ग्लोबल फैमिली द्वारा निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज (Satguru Mata Sudiksha ji, Spiritual leader ) को शांतिदूत सम्मान से विभूषित किया गया। विश्व शांतिदूत सम्मान के प्रति अपने भाव प्रकट करते हुए सत्गुरु माता सुदीक्षा जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि यह उपलब्धि इन संतों की ही देन है जो इस एक प्रभु को जानकर एकत्व के सूत्र में बंध गए हैं।
बहुभाषीय कवि दरबार
निरंकारी संत समागम में एक मुख्य आकर्षण रहा बहुभाषीय कवि दरबार, जिसका शीर्षक था ‘रुहानियत और इंसानियत संग संग’। #Ruhaniyat #Insaniyat
इस विषय पर आधारित बहुभाषीय कवि दरबार में देश विदेशों से आये हुए अनेक कवियों ने हिंदी, पंजाबी, उर्दू, हरियाणवी, मुलतानी, अंग्रेजी, मराठी एवं गुजराती भाषाओं के माध्यम से काव्यपाठ किया। सारगर्भित भावों से युक्त इन कविताओं की मंच पर हो रही सुंदर प्रस्तुति को देखकर श्रोताओं ने करतल ध्वनि से अपना आनंद व्यक्त करते हुए कवि दरबार की भरपूर प्रशंसा की। इसके अतिरिक्त समागम के हर दिन एक लघु कवि दरबार भी आयोजित किया गया जिसमें आध्यात्मिकता एवं मानवता के पहलुओं पर प्रकाश डाला गया।
स्वास्थ्य सेवा के प्रबंध
स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत समागम स्थल पर 5 एलोपैथिक और 4 होम्योपैथिक डिस्पेन्सरियां थी। इसके अतिरिक्त 14 प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, 1 कायरोप्रैक्टिक चिकित्सा पद्धति शिविर तथा 4 एक्युप्रैशर/फिजियोथेरेपी सुविधा केन्द्र बनाये गए। समागम स्थल पर मंडल की ओर से 12 एवं हरियाणा सरकार की ओर से 20 एम्बुलैन्स की व्यवस्था की गई थी। इसके अतिरिक्त एक 100 बैड का अस्पताल भी जरुरतमंद भक्तों की सेवा कर रहा था।
सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था
संत समागम ( #SantSamagam ) की सुरक्षा हेतु मिशन के सैंकड़ों सेवादार दिन-रात ट्रैफिक कंट्रोल की सेवाओं में कार्यरत रहे। समागम मे यातायात प्रबंधन के लिए प्रशासन एवं भारतीय रेलवे ने नियमित आवागमन की यात्रा हेतु दिल्ली के आनंद विहार, हजरत निजामुद्दीन व पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भक्तों को उचित सुविधाएं उपलब्ध करवाई। समागम स्थल के निकट भोड़वाल माजरी रेलवे स्टेशन पर आम दिनों में न रुकने वाली ट्रेनों को भी समागम के दिनों में रुकवाने की व्यवस्था रेलवे प्रशासन द्वारा की गई थी।
लंगर एवं कैन्टीन
समागम में आये हुए सभी श्रद्धालु भक्तों के लिए समागम स्थल के चारों मैदानों पर लंगर की उचित व्यवस्था की गई थी। इसके अतिरिक्त 22 कैन्टीनों का भी समुचित प्रबंध किया गया था जिसमें सभी भक्तों के लिए रियायती दरों पर चाय, कॉफी, शीतपेय एवं अन्य खाद्य सामग्रीयां उपलब्ध करवाई गई।
स्वच्छता के प्रबंध
समागम स्थल पर स्वच्छता का विशेष रूप से ध्यान दिया गया जिसमें लंगर को केवल स्टील की थालियों में ही परोसा गया तथा कैन्टीनों में भी चाय, कॉफी के लिए स्टील के कपों का इस्तेमाल किया गया ताकि वातावरण की शुद्धता एवं स्वच्छता को किसी प्रकार की कोई क्षति न पहुंचे और समागम का सुंदर स्वरूप बना रहे। कचरे का यथायोग्य निपटान करने हेतु भी समुचित प्रबंध किया गया।
शोभा यात्रा
समागम के विधिवत रूप से संपन्नता के उपरान्त दि. 21 नवंबर, 2022 को सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं उनके जीवनसाथी निरंकारी राजपिता रमित जी ने एक खुले वाहन पर विराजमान होकर समागम के दौरान जहां सारे श्रद्धालु भक्त ठहरे हुए थे उन रिहायशी टैन्टों में जाकर भक्तों को अपने दिव्य दर्शनों से निहाल किया। दिव्य युगल के आगमन से भक्तों कीे खुशी की कोई सीमा न रही। सभी भक्तों ने आनंदविभोर होकर गीत नृत्यों के माध्यम से अपना आनंद व्यक्त किया और अपने सत्गुरू को रिझाया। सतगुरु भी अपने भक्तों के उत्साह को देखकर अति प्रसन्न हुए और सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। इसके साथ ही संपूर्ण समागम के मध्य भी निरंतर सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एंव राजपिता रमित जी भी दिन रात मैदानों में रह रहे रिहायशी टैंटों में जाकर अपने आशीर्वाद प्रदान करते हुए निहाल किया।
तैयारियाँ
इस विशाल संत समागम के आयोजन की तैयारियां काफी समय पूर्व से ही की जा रही थी जिसका विधिवत उद्घाटन निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन करकमलों द्वारा दि.18 सितंबर, 2022 को किया गया जिसमें स्थानीय भक्तों के अतिरिक्त दिल्ली एवं भारत के अन्य राज्यों से भी सेवादल भाई-बहन और श्रद्धालु भक्तों ने प्रतिदिन आकर तैयारियों में अपना योगदान दिया।
निरंकारी प्रदर्शनी
निरंकारी संत समागम का एक मुख्य आकर्षण ‘निरंकारी प्रदर्शनी’ रहा। 1972 से यह प्रदर्शनी निरंकारी सन्त समागमों का अभिन्न अंग बनती आई है। इसमें मिशन के इतिहास, उसकी विचारधारा एवं समाजिक गतिविधियों को दर्शाया गया था। इस वर्ष यह प्रदर्शनी समागम का मुख्य आकर्षण बनी रही और समागम के दौरान हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्त इस प्रदर्शनी का अवलोकन करते रहे।
इस वर्ष प्रदर्शनी को छः मुख्य भागों में दर्शाया गया था एवं उसमें आधुनिक तकनीकी का बख़ूबी इस्तेमाल करके इसे अत्यंत प्रभावशाली बनाया गया था। इन छः भागों में एक मुख्य प्रदर्शनी थी जबकि अन्य भागों में स्टुडियो डिवाईन, बाल प्रदर्शनी, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग प्रदर्शनी, थिएटर और डिज़ाईन स्टुडियो इत्यादि का सुंदर समावेश था। समागम के मुख्य विषय ‘रुहानियत और इन्सानियत संग संग’ के साथ साथ 75 समागमों का इतिहास इस वर्ष निरंकारी प्रदर्शनी में प्रभावशाली ढंग से दर्शाया गया था जिसे देखकर दर्शकों ने अति प्रसन्नता व्यक्त की।
समागम के समापन सत्र में समागम के समन्वयक जोगिंदर सुखिजा जी ने सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी का हृदय से आभार प्रकट किया। इसके साथ ही सभी सरकारी विभागों एवं प्रशासन का हार्दिक धन्यवाद किया जिन्होंने समागम को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया।
75 वें Nirankari Sant Samagam समागम में राजस्थान से भी हज़ारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया ।
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