Fair Journalism- सत्य की राह पर चलने वाले पत्रकार की कैराना में हो सकती है हत्या ? Crimes Against Journalists in india

देखा गया

इन काले कारनामों का पर्दाफाश करने पर पहले भी हो चुके हैं जानलेवा हमले


Media Kesari

Kairana (UP)


 कैराना (उत्तरप्रदेश)-  देश का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर समाज हित जनहित के लिए काम करते हैं।  पत्रकार की बेखौफ कलम से खनन माफिया, भूमाफिया, दलाल, हथियार तस्कर, स्मैक तस्कर, भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता सहित समाज में छिपे गद्दारों और कुछ तथाकथित संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता खौफ में रहते हैं। पत्रकार समाज का आईना होता है।  जनहित के लिए पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर दिन भर खबरें जुटाकर समाज के सामने पेश करता है।  कुछ खबरें जनहित के लिए होती हैं। और कुछ काला कारनामो करने वाले समाज में छिपे गद्दारों को बेनकाब करने के लिए पत्रकार अपनी बेदाग कलम से लिखता है और अपने अखबारों में प्रकाशित करता है।  पत्रकार गरीब, बेसहारा मजदूरों की आवाज उठाने का साहस रखते हुए उनकी समस्याओं से अधिकारियों को समाचार के माध्यम से अवगत कराता है।  लेकिन, काले कारनामे करने वाले समाज में छुपे लोगों का हौसला इतना बुलंद होता है कि व  सच्चाई लिखने वाले पत्रकार को कभी भी मौत के घाट उतार सकते हैं?  चूंकि अब से पहले भी कैराना सहित क्षेत्र में पत्रकारों पर जानलेवा हमले होते रहे हैं।

कैराना (उत्तरप्रदेश)-  देश का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर समाज हित जनहित के लिए काम करते हैं।  पत्रकार की बेखौफ कलम से खनन माफिया, भूमाफिया, दलाल, हथियार तस्कर, स्मैक तस्कर, भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता सहित समाज में छिपे गद्दारों और कुछ तथाकथित संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता खौफ में रहते हैं। पत्रकार समाज का आईना होता है।  जनहित के लिए पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर दिन भर खबरें जुटाकर समाज के सामने पेश करता है।  कुछ खबरें जनहित के लिए होती हैं। और कुछ काला कारनामो करने वाले समाज में छिपे गद्दारों को बेनकाब करने के लिए पत्रकार अपनी बेदाग कलम से लिखता है और अपने अखबारों में प्रकाशित करता है।  पत्रकार गरीब, बेसहारा मजदूरों की आवाज उठाने का साहस रखते हुए उनकी समस्याओं से अधिकारियों को समाचार के माध्यम से अवगत कराता है।  लेकिन, काले कारनामे करने वाले समाज में छुपे लोगों का हौसला इतना बुलंद होता है कि व  सच्चाई लिखने वाले पत्रकार को कभी भी मौत के घाट उतार सकते हैं?  चूंकि अब से पहले भी कैराना सहित क्षेत्र में पत्रकारों पर जानलेवा हमले होते रहे हैं।


 पूर्व में भी पत्रकारों पर हुए जानलेवा हमले 


-  पहला मामला


   कैराना नगर के एक क्लीनिक की चर्चित महिला डॉक्टर कैराना क्षेत्र के एक गांव के नेता की प्रेमिका बताई जाती है।  बीते दिनों एक पत्रकार ने अपने अखबार में क्लीनिक के काले कारनामों को प्रकाशित किया था, जिसके बाद नाराज नेता ने अपने दबंग साथियों के साथ मिलकर पत्रकार के कार्यालय पर जानलेवा हमला करने का प्रयास किया था। 


 - दूसरा मामला


 पत्रकार को सूचना मिली कि कोयले में मिलावट का खेल माफियाओं द्वारा किया जा रहा है।  पत्रकार अपने चार पहिया वाहन से मौके पर पहुंचा और कैमरे से कवरेज करने लगा तो माफियाओं ने पत्रकार को बंधक बना लिया। किसी तरह पत्रकार ने अपने वाहन से अपनी जान बचाई।  जब वह भागा तो माफियाओं ने उसके पीछे अपने वाहन दौड़ा कर उसकी कार में तोड़फोड़ की, फिर उसके सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया, जिससे पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गया था।


यह भी पढ़ें- भ्रष्ट व गुंडा-तंत्र को आईना दिखाने वाला पत्रकार खुद हुआ साजिश का शिकार


 - तीसरा मामला


 कैराना क्षेत्र के एक गांव के एक नेता के बेटे की करतूत की खबर छपने के बाद दबंग नेता ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर एक अखबार के दफ्तर में तोड़फोड़ की। वही एक पत्रकार पर जानलेवा हमला करने का भी प्रयास किया गया था। 


- चौथा मामला


  रेत खनन की कवरेज करने जा रहे पत्रकारों की टीम पर खनन माफिया ने अपने गुर्गे के साथ मिलकर पत्रकारों पर जानलेवा हमला कर दिया जिसमें कई पत्रकार घायल हो गये थे।


  - पांचवाँ मामला


 पत्रकार अपनी टीम के साथ माइनिंग प्वाइंट पर कवरेज के लिए गए थे, जहां खनन माफिया ने बंधक बनाकर मारपीट करते हुए उनके कैमरे छीन लिए थे।


 -छठवाँ मामला


  तेल से भरे डराम में मिलावट की जा रही थी।एक पत्रकार अपने कैमरे से माफिया का वीडियो बना रहा था।  जानलेवा हमले की नीयत से तेल माफिया पत्रकार के पीछे दौड़े पत्रकार ने थाने में घुसकर अपनी जान बचाई।

-सातवाँ मामला

 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ नर्स के प्रेम प्रसंग का अश्लील ऑडियो वायरल हुआ, जिसकी खबर पत्रकारों ने अपने अखबार में छाप दी, जिसके बाद आक्रोशित स्टाफ नर्स ने दबंगों के साथ आकर पत्रकार के कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की। अगर सत्यता पत्रकारिता करने पर पत्रकारों पर इस तरह के जानलेवा हमले होंगे तो सच्ची पत्रकारिता करना कैसे संभव होगा?  क्या सच्चाई की राह पर चलने वाले पत्रकार की कभी भी कैराना नगर में हत्या की जा सकती है?  वहीं दूसरी ओर अगर चापलूसी चातुगिरी की खबरें छपती रहती हैं तो एक अच्छा सच्चा पत्रकार कहलाया जाता है, अगर वह उनके काले कारनामों का पर्दाफाश करता है तो समाज में छिपे कुछ गद्दारों के द्वारा उस पत्रकार को फर्जी ब्लैकमेलर पत्रकार का दाग लगा दिया जाता हैं।  पत्रकार पर झूठे आरोप लगाकर कोतवाली पुलिस में शिकायत करने का साहस करते हैं।  और वे इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अपने तथाकथित साथियों को संदेश देते हैं कि अधिकारियों द्वारा पत्रकारों के खिलाफ इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन करके उनके खिलाफ कार्रवाई करवानी चाहिए। जो यह हमारे काले कारनामे समाज के सामने उजागर ना कर सके। क्या पत्रकारों को सच्चाई की राह पर चलना बंद कर देना चाहिए?  पत्रकार के खिलाफ झूठी तहरीर मिलने पर जिले के लोकप्रिय अधिकारियों को संज्ञान लेते हुए इसकी गहनता से जांच करें और फिर कार्रवाई करें।

Post a Comment

0 Comments