Rajasthan Election 2023-- 156 का लक्ष्य असंभव नहीं ...बस अपनानी होगी यह रणनीति !

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पैराशूट उम्मीदवार की बजाय स्थानीय नेता को मिले मौका


कैलाश शर्मा ✍🏻

जयपुर जिला देहात कांग्रेस

( फुलेरा विधानसभा क्षेत्र)


Media Kesari


जयपुर (राजस्थान)- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( #CMAshokGehlot ) ने राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 मे 156+ (Mission 156) सीट जीतने का जो लक्ष्य तय किया है या मिशन सुनिश्चित किया है वह व्यवहारिक दृष्टि से असंभव नहीं है। इस लक्ष्य/मिशन की सफलता अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस के रोड़ मैप और तदनुसार एक्शन पर निर्भर है। 

वर्ष 2003 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विफलता के जो कारण थे, वे कारण आज भी दृष्टिगत हैं, अतः सबसे पहले उन कारणों का निवारण जरूरी है। 

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि संगठन को ग्रासरूट पर औपचारिक रूप से नहीं बल्कि व्यवहारिक तौर पर सक्रिय किया जाना सफलता की राह प्रशस्त कर सकता है।

जयपुर (राजस्थान)- मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( #CMAshokGehlot ) ने राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 मे 156+ (Mission 156) सीट जीतने का जो लक्ष्य तय किया है या मिशन सुनिश्चित किया है वह व्यवहारिक दृष्टि से असंभव नहीं है। इस लक्ष्य/मिशन की सफलता अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस के रोड़ मैप और तदनुसार एक्शन पर निर्भर है।   वर्ष 2003 और 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की विफलता के जो कारण थे, वे कारण आज भी दृष्टिगत हैं, अतः सबसे पहले उन कारणों का निवारण जरूरी है।   दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि संगठन को ग्रासरूट पर औपचारिक रूप से नहीं बल्कि व्यवहारिक तौर पर सक्रिय किया जाना सफलता की राह प्रशस्त कर सकता है।  अभी हाथ से हाथ जोड़ो ( #hathsehathjodoyatra) अभियान संचालित किया जा रहा है, इसके तहत राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी वाले प्रपत्र वितरित भी किए जा रहे हैं। इस अभियान का माइक्रो एनेलिसिस यह है कि इसे औपचारिक न बनाया जाए, बल्कि इसे result oriented बनाया जाए। अभी जिस स्वरूप में है, उसमें यह औपचारिक अधिक लग रहा है। Result oriented बनाने के लिए बूथ, मंडल व ब्लॉक लेवल के वर्कर को इन योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में प्रशिक्षित किया जाए, ताकि आचार संहिता लगने के पहले वे इन सभी योजनाओं का लाभ घर-घर तक दिला-पहुंचा सकें।


अभी हाथ से हाथ जोड़ो ( #hathsehathjodoyatra) अभियान संचालित किया जा रहा है, इसके तहत राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी वाले प्रपत्र वितरित भी किए जा रहे हैं। इस अभियान का माइक्रो एनेलिसिस यह है कि इसे औपचारिक न बनाया जाए, बल्कि इसे result oriented बनाया जाए। अभी जिस स्वरूप में है, उसमें यह औपचारिक अधिक लग रहा है। Result oriented बनाने के लिए बूथ, मंडल व ब्लॉक लेवल के वर्कर को इन योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में प्रशिक्षित किया जाए, ताकि आचार संहिता लगने के पहले वे इन सभी योजनाओं का लाभ घर-घर तक दिला-पहुंचा सकें। 

यूं सरकार ने राजीव गांधी मित्र योजना के तहत 2500 से अधिक युवाओं को तैनात कर रखा है, लेकिन मतदाता और आम नागरिक से कनेक्ट व उसके जरिए कांग्रेस के लिए आत्मसात तो कांग्रेस का वर्कर ही कर सकता है। अतः कांग्रेस के वर्कर का महत्व समझा जाए। यह वर्कर ही चुनाव वाले दिन मतदाताओं को घर से बूथ तक लाता है और उसे कांग्रेस के पक्ष में बने रहने के लिए प्रेरित करता है। 

बजट-2023 आने वाला है। मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायकों और सरकार को समर्थन देने वाले विधायकों की हजारों डिजायर पूरी की है। अब उन इलाकों के वर्कर की बात को महत्व मिलना चाहिए, जहाँ कांग्रेस से विधायक नहीं हैं। ऐसे इलाकों में अब तक विधानसभा चुनाव-2018 पराजित प्रत्याशियों को विधायक तुल्य अधिकार दिए हुए थे। जिसका बेजा फायदा इन प्रत्याशियों ने उठाया तथा वह किया जिससे कांग्रेस की छवि ध्वस्त व धूमिल हुई। अतः बजट-2023 मे वर्कर बात/पत्र पर स्कूलों-अस्पतालों के क्रमोन्नयन व सुविधा बढ़ोतरी को वरीयता दी जाए, ताकि वर्कर एरिया में यह कह सके कि उसके कहने पर सरकार ने यह काम किया है। इस तरह के काम से वर्कर का मनोबल बढ़ता है और वह मतदाताओं को भाजपा से कांग्रेस की ओर लाने का काम अधिक तत्परता से कर सकता है।


इसके अलावा ये 5 बातें और महत्वपूर्ण हैं -


1. विधानसभा चुनाव 2013 व 2018 तथा लोकसभा चुनाव 2014 व 2019 मे पराजित नेताओं को अब टिकट नहीं दिया जाए। इसलिए कि इन्हें मौका मिल गया, लेकिन कुव्वत नहीं थी.. सो हार गए। अब जीतने योग्य व इलाके में स्वीकार्य अन्य कांग्रेस साथियों को अवसर मिले।


2. पैराशूट प्रत्याशियों (Parachute candidate) को प्रोत्साहन नहीं दिया जाए। बल्कि स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा किया जाए, क्योंकि पैराशूटी नेता इलाके की कांग्रेस राजनीति को प्रदूषित व संक्रमित करते हैं। इस संक्रमण से कांग्रेस को बचाया जाए। टिकट उसी को दिया जाए, जो उसी इलाके में जन्मा, पला-बढ़ा हो, ऐसे व्यक्ति की स्वीकार्यता अधिक होती है।


3. दलबदलुओं को टिकट नहीं दिया जाए, क्योंकि ये भी पैराशूटियों की तरह संक्रमित होते हैं। बल्कि कांग्रेस बैकग्राउंड परिवार के निष्ठावान व ईमानदार जनों को प्रौत्साहित किया जाए, क्योंकि इनकी स्वीकार्यता बेहतर होती है।


4. सेवा निवृत्त पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों को टिकट न दें। ये लोग उम्रभर ठरकाई चलाते हैं, रिटायर होने के बाद स्थापित कांग्रेस जनों का हक मारने पहुंच जाते हैं। 


5. जिन विधायकों के खिलाफ एंटीइनकमबैंसी (Anti-incumbency)है, उन्हें विश्राम दिया जाए तो बेहतर रहेगा।

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