- चुनाव जितवाया बूथ वर्कर्स व मतदाताओं ने
- तूफान था कांग्रेस का, जीत सकते थे 200 सीट
- बेहतर गवर्नेंस और भ्रष्टाचार मुक्त शासन की आकांक्षा
कैलाश शर्मा ✍🏻
वरिष्ठ पत्रकार
मीडिया केसरी
कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम ( Karnataka Election Results 2023) ने 3 संदेश दिए हैं।
पहला यह कि मतदाताओं ने कांग्रेस के शब्दों और सच्चाई पर भरोसा किया, इसलिए कांग्रेस के पक्ष में अधिसंख्य अर्थात निर्णायक मतदाताओं ने वोट किया।
इसी के समानांतर महत्वपूर्ण बात यह कि जीत दिलवाने मे बड़ी भूमिका बूथ स्तर के कांग्रेस साथियों की रही। उन्हीं के प्रयासों से मतदाता बूथ पर पहुंचे और कांग्रेस को अधिकतम वोट मिले। वरना त्रिकोणीय संघर्ष में स्पष्ट बहुमत लाना टफ होता है।
दूसरा संदेश है कि कांग्रेस चुनाव में प्रचार के प्रचलित अभियान की बजाय माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस करती, तो बेहतर नतीजे आ सकते थे। वस्तुतः कर्नाटक में कांग्रेस का तूफान था और भाजपा को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए कि कांग्रेस प्रचार के लिए पारंपरिक तौर-तरीकों पर आश्रित रही, आवश्यकता थी बड़े नेताओं की जन-सभाएँ-रैलियां आदि करवाने की बजाय ब्लॉक इलाकों में सक्रिय किया जाता। Flying visits की बजाय उन बूथों पर फोकस करते, जहाँ कांग्रेस को लीड नहीं मिली। कर्नाटक तो कांग्रेस को 200 सीटों का तोहफा देने को तैयार था, लेकिन एक्शन प्लान Grass route oriented नहीं होने के कारण भाजपा को नेस्तनाबूद नहीं कर पाए। दरअसल AICC मे जो भी नेता चुनाव के war room का संचालन करते हैं, उनमें कहीं न कहीं प्रबल इच्छा शक्ति का अभाव ( strong will power crisis) नजर आता है, तभी कांग्रेस पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र मे हार जाती है। AICC के election war room मे जीत की बड़ी ललक रखने वाले कांग्रेस साथियों की जरुरत है, भाड़े वाली election strategy agencies की नहीं।
अब राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं।
राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी ने 156 सीटों का मिशन बनाया है, जबकि व्यवहारिक सच यह है कि कर्नाटक की हार से आहत भाजपा राजस्थान में पुरजोर ताकत लगाएगी। बावजूद उसके कांग्रेस 181 सीटें जीतने में सक्षम है, क्योंकि एक तरफ राजस्थान की भाजपा 20 गुटों में विभाजित है और दूसरी तरफ अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं (mahangai rahat camp- MRC) का लाभ मिलने के कारण कांग्रेस का तूफान क्रिएट किया जा सकता है। यह तब संभव है, जबकि सभी 200 सीटें जीतने की ललक के साथ election war room संचालित हो और जिन कांग्रेस साथियों को ग्रासरूट वर्किंग की समझ हो, उन्हें जिम्मा दिया जाए।
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तीसरा संदेश है भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन का, कर्नाटक मे 40% कमीशन के मुद्दे ने निर्णायक मतदाताओं को कांग्रेस की तरफ उन्मुख किया। इस स्विंग ने कांग्रेस की जीत का आधार बनाया। मतदाता वस्तुतः सुशासन चाहता है। कांग्रेस के नीति-निर्धारकों की जिम्मेदारी है, भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन जारी रखेंगे यह भरोसा मतदाताओं मे जगाएं। मतदाता की आवश्यकता निशुल्क प्राप्ति नहीं बल्कि सुशासन है। एक सरकारी कार्यालय में उसका जेनुइन काम निर्बाध हो जाए, यह अपेक्षा रहती है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारी यदि नागरिकों को परेशान करता है या रिश्वत की चाहत में उनका काम अटकाता है तो नागरिकों की नाराजगी राज करनेवाले राजनीतिक दल को भारी पड़ती है, अतः मुख्यमंत्री जी यह सुनिश्चित करायें कि सरकारी तंत्र ( सभी विभागों) में जितनी फाइलें-कामकाज अटके पड़े हैं, वे तीन महीने का विशेष अभियान चला कर निपटाएँ व जन-जन को राहत दें।महंगाई राहत कैंप
— सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, राजस्थान सरकार (@DIPRRajasthan) April 25, 2023
30 जून 2023 तक
महंगाई राहत कैंप के दूसरे दिन जनकल्याणकारी योजनाओं के लाभ के लिये प्रदेशवासियों ने करवाया पंजीकरण#मॉडल_स्टेट_राजस्थान#model_state_rajasthan#ModelStateRajasthan#MehngaiRaahatCamp@ashokgehlot51@AshokChandnaINC@RajGovOfficial@RajCMO pic.twitter.com/K07V4tL1mV
1 Comments
सत्य बात है की कांग्रेस दौड़ते दौड़ते रुक कर पीछे वालो को देखती है। इसी कारण सफलता का प्रतिशत कम होता है।
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