Paota News-बढ़ते अपराध,घटती नफरी..पावटा शहर में नाम की पुलिस चौकी, जाओ तो मिलतेे हैं ताले !

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प्रागपुरा थाना इलाका में जनता से जुड़ाव का काम करने वाली चौकियों के प्रति बेपरवाही

एक एएसआई व एक कांस्टेबल के भरोसे क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था

अपराधों की रफ्तार बढ़ी, नफरी और घटती गई


मोहन कुमार गौड़ ✍🏻

Media Kesari

Paota (Rajasthan)

पावटा। कस्बे व इसके आसपास स्थित दर्जनों ढाणियों और राजमार्ग का कुछ हिस्सा पावटा चौकी के अंतर्गत आता है।लेकिन यहाँ की पुलिस चौकी के हालात अत्यंत दयनीय हैं। गौरतलब है कि पावटा चौकी पर नियुक्त स्टाफ मे एक एएसआई व एक कांस्टेबल ही नियुक्त है जिसके कारण कार्य व्यवस्थाए प्रभावित हो रही है। पावटा कस्बे में दर्जनों बैंक, व्यापारिक संस्थान एवं शिक्षण केंद्र होने के कारण कस्बा प्रमुख व्यापार का केंद्र है।

राजमार्ग व कस्बे मे अक्सर दुर्घटना व आपराधिक वारदातें होती रहती हैं। 

पावटा। कस्बे व इसके आसपास स्थित दर्जनों ढाणियों और राजमार्ग का कुछ हिस्सा पावटा चौकी के अंतर्गत आता है।लेकिन यहाँ की पुलिस चौकी के हालात अत्यंत दयनीय हैं। गौरतलब है कि पावटा चौकी पर नियुक्त स्टाफ मे एक एएसआई व एक कांस्टेबल ही नियुक्त है जिसके कारण कार्य व्यवस्थाए प्रभावित हो रही है। पावटा कस्बे में दर्जनों बैंक, व्यापारिक संस्थान एवं शिक्षण केंद्र होने के कारण कस्बा प्रमुख व्यापार का केंद्र है।  राजमार्ग व कस्बे मे अक्सर दुर्घटना व आपराधिक वारदातें होती रहती हैं।


पर्याप्त नफरी का अभाव

पावटा पुलिस चौकी पर एक एसआई, एक हेड कांस्टेबल, पांच कांस्टेबल सहित सात पुलिस कर्मियों की पोस्ट स्वीकृत है। जिनमे इस समय कुल दो पुलिसकर्मियों के भरोसे क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था है। जिससे आमजन में असुरक्षा बढ़ रही है तो अपराधियों में पुलिस का खौफ घट रहा है। जनसुरक्षा-कानून व्यवस्था में पुलिस चौकियों का बड़ा राेल है। शहर में कानून व्यवस्था बनाने के लिए प्रागपुरा थाने के अलावा नवोदय स्कूल व पालिका के पास एक चौकी पर दो पुलिसकर्मियों के चलते पावटा चौकी पर अधिकतर ताले लटके मिलते है। चौकी में कोई पुलिसकर्मी नहीं दिखता। क्षेत्र में जब भी कोई वारदात होती है तो सबसे पहले लोग इसी चौकी पर आते हैं। ताला लगा रहने से प्रागपुरा थाने मे जाकर रिपोर्ट देनी पड़ती है। इस समय पावटा चौकी पर एक एएसआई, एक कांस्टेबल की ड्यूटी है। पुलिस तंत्र के पटरी से उतरने का बड़ा कारण पुलिस चौकियाें का चाकचौबंद नहीं होना है। चौकियों से उस इलाके के अपराधियों में डर बना रहता है। क्षेत्रवासियाें से करीबी संपर्क मजबूत रहता है, हर छोटी-बड़ी जानकारी तत्काल पुलिस तक पहुँच सकती है। अगर समय पर पुलिस चौकियाें के ताले खुले मिले, जरूरी स्टाफ तैनात हो तो अपराध रोकने में सहायता मिल सकती है।

वहीं जयपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव पचार (Dr. Rajeev Pachar IPS) ने बताया कि स्टाफ कमी की समस्या का शीघ्र समाधान कर चौकियों पर स्टाफ नियुक्त किया जायेगा।

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