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छह शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुति के साथ JKK में शुरू हुआ "युवा कलाकार शास्त्रीय नृत्य उत्सव"
— देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों ने दीं "मधुरम् प्रस्तुतियाँ"
Media Kesari
Jaipur (Rajasthan)
जयपुर- जवाहर कला केन्द्र (Jawahar Kala Kendra) एवं नृत्यशिल्प गुरू सुरेंद्र नाथ जेना ओडिसी डांस फाउंडेशन (Nrityashilp Guru Surendra Nath Jena Odissi Dance Foundation) दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में मधुरम् के तहत आयोजित दो दिवसीय युवा कलाकार शास्त्रीय नृत्य उत्सव का शनिवार, 12 अगस्त को आगाज हुआ। रंगायन सभागार विभिन्न शास्त्रीय नृत्यों से सजी महफिल का गवाह बना। उत्सव में ओडिसी, मोहिनीअट्टम, सत्रिया, मणिपुरी, भरतनाट्यम, कथक जैसे शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुति से भारत की अद्भुत छवि उभरकर सामने आयी। देश—विदेश के मंचों पर प्रस्तुति देने वाले युवा कलाकारों ने यहां प्रस्तुति दी।
रविवार को भी शाम 6:30 बजे से इस उत्सव के तहत शास्त्रीय नृत्यों की प्रस्तुति रंगायन में होगी।
ओडिसी नृत्य से हुआ आगाज़
शनिवार को गुरु प्रतिभा जेना सिंह की शिष्याओं सौरांशी,सुशोभना एवं जया मेहता की ओडिसी नृत्य प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। ओडिसी नृत्य का आरम्भ देवी या देवता के मंगलाचरण के साथ की जाती है। प्रस्तुति में भगवान शिव की आराधना के साथ उनके कई रूपों को दर्शाया गया। नृत्य का संगीत, कविता व नृत्य रचना गुरु श्री सुरेन्द्रनाथ जेना द्वारा तैयार किया गया है जो कि राग मालकौंस, ताल एक ताल व खेमटा पर आधारित है।
श्रीरेखा जी. नायर ने केरल के लोकप्रिय मोहिनीअट्टम नृत्य की प्रस्तुति दी। यह प्रसिद्ध कवि इरिम्मन थम्बी द्वारा लिखित प्रसिद्ध तारातु गीत पर अधारित रही। वैष्णव नृत्य कलाक्षेत्र की स्थापना करने वाली नायर कई पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं।
इसके बाद असम की स्निग्धा कंकन टैड, बंदना बर्मन एवं रूपरेखा दास सत्रिया नृत्य पेश किया। माधव देव द्वारा लिखित गुरु भतिमा पर आधारित गुरु वंदना के साथ राजधरियास चाली की प्रस्तुति दी गयी। सत्रीय नृत्य शैली की शुरुआत 15वीं शताब्दी में असम के वैष्णव संत शंकरदेव ने वैषणव आस्था के प्रचार के लिए किया था।
अकोईजम सुरनजय सिंह ने दर्शकों को मणिपुरी नृत्य से रूबरू करवाया।
गुरु धनरानी देवी से नृत्य की शिक्षा ले रहे है अकोईजम ने कृष्ण अभिसार पेश किया, यह रासलीला का हिस्सा है जिसमें इसमें भगवान कृष्ण को वृन्दावन में राधा व गोपियों के साथ नृत्य करते दर्शाया गया।
इसके बाद रितिका बनर्जी ने भगवान जगन्नाथ पर आधारित भजन पर ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी।
छत्तीसगढ़ की इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के शिष्यों राजेंद्र कुमार, आसिफ हुसैन और तोशिता असाती ने भरतनाट्यम नृत्य की प्रस्तुति दी। इन्होंने रागम् हंसध्वनी एवं तालम् आदि में निबद्ध कीर्तनम् पेश किया इसमें गंगा के अनेका स्वरूपों के साथ गंगा अवतरण की कहानियां दर्शायी गयी। जया मेहता ने हनुमान चालीसा पर ओडिसी नृत्य प्रस्तुत किया। गुजरात के कृष्णा कथक केन्द्र के विद्यार्थियों रिद्धि राठौड़, मियूमना अमीन, अनन्या बरुआ, देवाशीष महाराणा एवं आकाश कुमार राय ने ताल तीन ताल में पारम्परिक कथक पेश किया।
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