Flash Mob के दौरान लोक कला के रंग में रंगी गुलाबी नगरी
लोक संस्कृति के संरक्षक हैं लोक कलाकार:- गायत्री राठौड़
Media Kesari
Jaipur (Rajasthan)
जयपुर--गुरुवार को फ्लैश मॉब के जरिये लोक कलाकारों ने एक से बढ़कर एक मनमोहक प्रस्तुतियाँ देकर राहगीरों का दिल लूट लिया। ऐसा लगा मानो पूरा शहर थम सा गया हो।
जी हाँ.... ढोल का धमाल, कालबेलिया का कमाल, भवाई की भव्यता, अलगोजे की गूंज, लोक नृत्य का लालित्य, तेरहताली में कलाकारों का तालमेल, नज़र को ठहराव देने वाला बहुरूपियों का रूप। कला एवं संस्कृति विभाग की ओर से 10 अगस्त, गुरुवार को जयपुर में लोक कलाकारों द्वारा आयोजित फ्लैश मॉब में कला प्रेमियों को इन सभी लोक कलाओं की मनमोहक प्रस्तुति देखने को मिली। शहरभर में लोक कलाकारों ने लोक कला के रंग बिखेरे।
जवाहर कला केन्द्र से सभी कलाकारों के समूह शहर की 10 जगहों पर पहुंचे। पारम्परिक वेशभूषा में तैयार कलाकार जब जयपुर की जमीं पर उतरे तो राजस्थानी संस्कृति का मोहक नजारा देखते ही बनता था। लोक वाद्य यंत्रों की धुन, कलाकारों को नृत्य करता देख दर्शक भी झूमने को मजबूर हो उठे। वहीं बहरूपिया और कठपुतली कला को देख सभी रोमांचित हो उठे।
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हवामहल और चांदपोल मेट्रो स्टेशन पर चकरी नृत्य, लोक नृत्य, बहुरूपिया, ढोल, कच्छी घोड़ी, बांकिया और कठपुतली की प्रस्तुति दी गयी। बिड़ला मंदिर-अजमेरी गेट पर कलाकारों ने भवाई नृत्य, चंग, बहुरूपिया, ढोल, बांकिया, अलगोजा और कठपुतली की पेशकश की। सिटी पार्क व हाउसिंग बोर्ड चौपाटी पर भी कालबेलिया नृत्य, लोक नृत्य, बहुरूपिया, ढोल, बांकिया और कठपुतली की प्रस्तुति आयोजित की गयी।
गौरव टावर-जवाहर सर्किल पर चरी नृत्य, कुचामणी ख्याल, बहुरूपिया, ढोल, बांकिया व कठपुतली की प्रस्तुति हुई। इंडिया गेट, प्रताप नगर-सांगानेर थाना पुलिया के पास तेरहताली, बहुरूपिया, ढोल, कठपुतली की प्रस्तुति दी गयी।
इस अवसर पर कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा कि --
"लोक कलाकार लोक संस्कृति के संरक्षक हैं, वे प्रदेश की समृद्ध कलात्मक विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाकर उसे आगे बढ़ाते हैं। फ्लैश मॉब आमजन को लोक कला से रूबरू करवाने का सशक्त प्रयास बनकर उभरा है।"
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