Jairangam Theatre Festival:- राजस्थानी रंगों के साथ असम में जयरंगम फ्रिंजेस का आगाज

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सात दिवसीय थिएटर फेस्टिवल शुरू

असम के विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने किया विधिवत उद्धघाटन


Media Kesari

Tangla(Udalguri,Assam)

जयपुर/गुवाहाटी. थ्री एम डाॅट बैंड थिएटर फैमिली सोसाइटी (3m dot bands theatre family society) और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जयपुर थिएटर फेस्टिवल (जयरंगम फ्रिंजेस) की रविवार को असम के टांगला में शुरुआत हुई। राजस्थान से पहुंचे कलंदर ग्रुप के कलाकारों ने लोक नृत्य की प्रस्तुति से मंच को सजाया। उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग लोक नृत्यों की प्रस्तुति देकर सभी को राजस्थान के रंग में रंग दिया।

Media Kesari  Tangla(Udalguri,Assam)  जयपुर/गुवाहाटी. थ्री एम डाॅट बैंड थिएटर फैमिली सोसाइटी (3m dot bands theatre family society) और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित जयपुर थिएटर फेस्टिवल (जयरंगम फ्रिंजेस) की रविवार को असम के टांगला में शुरुआत हुई। राजस्थान से पहुंचे कलंदर ग्रुप के कलाकारों ने लोक नृत्य की प्रस्तुति से मंच को सजाया। उन्होंने प्रदेश के अलग-अलग लोक नृत्यों की प्रस्तुति देकर सभी को राजस्थान के रंग में रंग दिया।


 इसी के साथ जयरंगम फ्रिंजेस के पहले दिन पबित्र राभा के निर्देशन में नाटक 'मोंगली' का मंचन हुआ। 

असम के विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी (Biswajit Daimary,Speaker of the Assam Legislative Assembly) निर्देशक पबित्र राभा, पत्रकार गौतम शर्मा, लेखक नयन पतगिरि और फेस्टिवल क्यूरेटर मन गेरा ने जयरंगम फ्रिंजेस का विधिवत उद्घाटन किया।   

इसी के साथ जयरंगम फ्रिंजेस के पहले दिन पबित्र राभा के निर्देशन में नाटक 'मोंगली' का मंचन हुआ।   असम के विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी, निर्देशक पबित्र राभा, पत्रकार गौतम शर्मा, लेखक नयन पतगिरि और फेस्टिवल क्यूरेटर मन गेरा ने जयरंगम फ्रिंजेस का विधिवत उद्घाटन किया।
असम विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी जयरंगम फ्रिंजेस के उद्घाटन समारोह में संबाोधित करते हुए, साथ में नाट्य निर्देशक पबित्र राभा

डैपोन द मिरर ग्रुप के कलाकारों ने बोडो समुदाय की जीवन शैली और रीति-रिवाजों पर आधारित कहानी को मंच पर साकार किया। नाटक बोडो समुदाय में खेरई पूजा के महत्व को भी दर्शाता है। मुख्य पात्र 'मोंगली',  जराफाग्ला नामक वृद्ध की पांच बहूओं में सबसे छोटी बहू होती है। 'मोंगली' को बोडो समुदाय की आदर्श बहू के रूप में चित्रित किया गया है। एक दिन मोंगली कहीं खो जाती है, बहुत कोशिश करने के बाद भी जराफाग्ला उसे ढूंढ नहीं पाता है। 

डैपोन द मिरर ग्रुप के कलाकारों ने बोडो समुदाय की जीवन शैली और रीति-रिवाजों पर आधारित कहानी को मंच पर साकार किया। नाटक बोडो समुदाय में खेरई पूजा के महत्व को भी दर्शाता है। मुख्य पात्र 'मोंगली',  जराफाग्ला नामक वृद्ध की पांच बहूओं में सबसे छोटी बहू होती है। 'मोंगली' को बोडो समुदाय की आदर्श बहू के रूप में चित्रित किया गया है। एक दिन मोंगली कहीं खो जाती है, बहुत कोशिश करने के बाद भी जराफाग्ला उसे ढूंढ नहीं पाता है।

एक दिन जराफाग्ला को सपना आता है, सपने में उसे ईश्वरीय शक्ति का संदेश मिलता है कि बोडो समुदाय के सभी वाद्ययंत्रों - खाम, सिफंग, चेरज़ा, आदि की पूजा करने पर मोंगली वापस मिल जाएगी। जराफाग्ला के कहने पर बोडो समुदाय यह पूजा करता है इसके बाद मोंगली लौट आती है। नाटक में वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, बोडो समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक पहलुओं को प्रतिबिंबित करने का प्रयास किया गया है।

एक दिन जराफाग्ला को सपना आता है, सपने में उसे ईश्वरीय शक्ति का संदेश मिलता है कि बोडो समुदाय के सभी वाद्ययंत्रों - खाम, सिफंग, चेरज़ा, आदि की पूजा करने पर मोंगली वापस मिल जाएगी। जराफाग्ला के कहने पर बोडो समुदाय यह पूजा करता है इसके बाद मोंगली लौट आती है। नाटक में वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, बोडो समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक पहलुओं को प्रतिबिंबित करने का प्रयास किया गया है।


गौरतलब है कि 24 से 30 सितंबर तक जयरंगम फ्रिंजेस का आयोजन टांगला में किया जा रहा है। इसमें मास्क मेकिंग वर्कशॉप के साथ पूर्वोत्तर भारत के लोक नृत्यों व नाटकों की प्रस्तुति दी जाएगी। सात नाटकों में से तीन नाटक राजस्थान के जबकि अन्य पूर्वोत्तर के हैं।

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