Rajasthan Cabinet Minister List 2023
Jaipur Secretariat
Media Kesari
Jaipur
राजस्थान में इस समय यही चर्चा है कि भजनलाल (CM Bhajan Lal Sharma) के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद चार प्रमुख मंत्रालय गृह, वित्त, उद्योग और श्रम किसके पास जाते हैं अर्थात इनका मंत्री कौन होगा। यूं सामाजिक सेवा के सात प्रमुख विभाग शिक्षा, चिकित्सा, परिवहन, स्वायत्त शासन, पंचायती राज, जलदाय और ऊर्जा भी बड़े बजट वाले विभाग हैं, इन विभागों को संभाल सके, ऐसे सक्षम विधायक भाजपा के पास हैं या नहीं यह वक्त बतायेगा।
फिलहाल राजस्थान के लिए अति आवश्यक है कानून व्यवस्था की स्थिति दुरुस्त करना, राजस्थान सरकार की आर्थिक सेहत को सशक्त बनाना, औद्योगिक निवेश के जरिये प्रांत को गतिशील करना और श्रम-संसाधन को न्याय दिलवाना।
भाजपा के जो 115 विधायक इस समय सदन में हैं, उनमें गृह और वित्त मंत्रालय को संभालने की कुव्वत केवल वसुंधरा राजे मे है। पर सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाकर यह जिम्मेदारी देंगें। इसके समानांतर दूसरी अहम बात यह कि क्या वसुंधरा राजे इसे स्वीकार करेंगी। अगर यह हो जाता है, तब तो भजनलाल का मंत्रिमंडल कुछ परफॉर्म कर सकता है, वरना टास्क टफ दिख रही है।
उद्योग मंत्रालय पर विगत चार दशक से उतना ध्यान नहीं दिया गया है, जितना वह डिजर्व करता था। तभी राजस्थान औद्योगिक विकास के लिहाज से बहुत पीछे है। रीको अपने दायित्वों के निर्वहन मे निकम्मा साबित हुआ है। अन्य एजेंसियों का आउटपुट परफेक्ट नहीं है।
अतः प्रदेश के औद्योगिक विकास को गतिशील करने के लिए विजनरी एप्रोच वाले विधायक की जरूरत है, यह जिम्मा किसे मिलता है यह देखने वाली बात है।
प्रदेश में किसानों के बाद संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या सबसे अधिक है। इनके हितों की रक्षा के लिए श्रम विभाग बना हुआ है, लेकिन सच्चाई यह है कि विभाग श्रमिकों की नहीं सुनता बल्कि शोषणकारी नियोक्ताओं को अधिक प्रश्रय देता है। जिस कारण प्रदेश के 60 लाख परिवार शोषण के शिकार हैं। इन परिवारों में सैंकडों मीडिया में कार्यरत रहे पत्रकारों-अन्य कर्मचारियों के परिवार भी हैं, जिन्हें बरसों से न्याय नहीं मिल पा रहा। उम्मीद है कोई न्याय दिलाने वाला विधायक इस विभाग में आयेगा।
रही बात सामाजिक सेवा से संबंधित अन्य विभागों की, तो वे अब तक मंत्रियों के लिए कमाऊ रहे हैं, देखने वाली बात यही है कि इन विभागों के मंत्री इन विभागों को कमाऊ बरकरार रखेंगे या कोई न्यायोचित दृष्टिकोण कायम करेंगे।
जिस तरह मुख्यमंत्री पद के लिए 40 से अधिक विधायकों, 10 सांसदों केंद्रीय मंत्रियों के नाम चर्चा में थे, वैसे ही मंत्रिमंडल के लिए सभी बचे 111 विधायकों के नाम चर्चा में हैं। अतः लाटरी किसी की भी लग सकती है।
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