चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज न करना अपराधिक कृत्य - कैलाश शर्मा

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Mukhya Mantri Chiranjeevi Swasthya Bima Yojana

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जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस नेता कैलाश शर्मा ने कहा है कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना (Mukhya Mantri Chiranjeevi Swasthya Bima Yojana) के तहत निजी अस्पतालों द्वारा निशुल्क इलाज बंद करना एक अपराधिक कृत्य है और सरकार उन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करे जो इलाज करने से मना कर रहे हैं।

Media KesariJaipurजयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस नेता कैलाश शर्मा ने कहा है कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना (Mukhya Mantri Chiranjeevi Swasthya Bima Yojana) के तहत निजी अस्पतालों द्वारा निशुल्क इलाज बंद करना एक अपराधिक कृत्य है और सरकार उन अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करे जो इलाज करने से मना कर रहे हैं।जिम्मेदारी सरकार की


जिम्मेदारी सरकार की

जिन परिवारों का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में बीमा है, वे परिवार अपने खर्च पर यदि इलाज कराने के लिए बाध्य हैं तो सरकार खर्च की इस राशि का एक सप्ताह में पुनर्भरण करे। उल्लेखनीय है कि यह सामूहिक बीमा 900 रुपये वार्षिक मे किया गया है और अधिकतर परिवार ऐसे हैं, जिनकी बीमा अवधि समाप्त नहीं हुई है।

चूंकि यह बीमा राजस्थान सरकार ने किया है, अतः बीमा अवधि तक इस योजना को चलाए रखने की जिम्मेदारी राजस्थान सरकार की है।


कमिटमेंट है इलाज का

कैलाश शर्मा ने कहा है कि यह बीमा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) या अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी(AICC ) ने नहीं किया है, बल्कि राजस्थान सरकार का कमिटमेंट है। सरकार चलाने वाला राजनीतिक दल बदल जाने मात्र से सरकार अपने कमिटमेंट से नहीं मुकर सकती। यदि सरकार मुकरती है या योजना के तहत इलाज नहीं करने वाले अस्पतालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं करती है, तो इस स्थिति में सरकार की यह गैर जिम्मेदारी इंगित होती है और वह किसी अपराधिक कृत्य से कम नहीं।


Sovereignty ( सोवर्निटी) हो रही प्रताड़ित

कैलाश शर्मा का कहना है कि शासन करने वाले राजनीतिक दल के पास अपने विशेषाधिकार होते हैं और सरकार संचालित करने वाले जन-प्रतिनिधियों के पास इनके उपयोग की शक्ति। पर इस शक्ति का मतलब यह नहीं कि जनता से किसी सेवा विशेष के लिए शुल्क/राशि लेने के बाद उस सेवा से मुकर जाए। इससे तो साफ तौर पर सरकार की सोवर्निटी ( Sovereignty) प्रताड़ित हो रही है और यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिहाज से उचित नहीं है।

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