Rajasthan Election Results 2023- अब मुख्यमंत्री के लिए कन्फ्यूजन

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8 सिविल लाइंस को इंतजार डार्क होर्स का !


Media Kesari

Jaipur

राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 के नतीजे सामने हैं, भाजपा 115 सीटें जीतकर बहुमत पा चुकी है, जो 8 निर्दलीय जीते हैं वे भी मोटे तौर पर भाजपा विचारधारा के हैं, अतः भाजपा+ का संख्याबल 123 या अधिक है। फिलहाल जैसी कि आशंका थी राजस्थान में अगला मुख्यमंत्री कौन बनना है, इसे लेकर कन्फ्यूजन का दौर शुरू हो चुका आपहै।

वाजिब सवाल उठता है कि सिचुएशन का लाभ किसे मिलता है।

Media Kesari  Jaipur  राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 के नतीजे सामने हैं, भाजपा 115 सीटें जीतकर बहुमत पा चुकी है, जो 8 निर्दलीय जीते हैं वे भी मोटे तौर पर भाजपा विचारधारा के हैं, अतः भाजपा+ का संख्याबल 123 या अधिक है। फिलहाल जैसी कि आशंका थी राजस्थान में अगला मुख्यमंत्री कौन बनना है, इसे लेकर कन्फ्यूजन का दौर शुरू हो है।  वाजिब सवाल उठता है कि सिचुएशन का लाभ किसे मिलता

इस क्रम में पहला नाम वसुंधरा राजे का आता है, लेकिन उनके नाम को लेकर उच्च स्तर पर सहमति नहीं है। इसके पीछे अनेक वाजिब कारण गिनाए जा रहे हैं। फिर विगत तीन सप्ताह के दौरान उनके खिलाफ अरुण सिंह, जे पी नड्डा, अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के यहाँ जिस तरह से शिकायतें गई हैं, उसे देखते हुए उनके नाम को अभी मुल्तवी रखा जा रहा है। हालांकि चुनाव उपरांत विगत तीन दिनों में उनकी गतिविधियां-आवाजाही और सक्रियता बढ़ी है, लेकिन इनका कोई सार्थक परिणाम निकलेगा, यह कठिन लग रहा है।

राजस्थान में भाजपा जातिगत संतुलन देखकर फैसला कर सकती है, इस क्रम में किसी राजपूत विधायक/सांसद को मुख्यमंत्री बनायें, ऐसा स्पष्टतः नहीं लग रहा। ऐसे में राज्यवर्धन सिंह, दीयाकुमारी और गजेंद्र सिंह के नाम पर विचार मुश्किल है।

ब्राह्मण-महाजन फेस की बात करें तो ब्राह्मणों मे प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी और महाजनों मे कालीचरण सर्राफ या ओम बिड़ला के नाम हैं। कालीचरण सर्राफ को चार दशक का अनुभव है और वर्तमान शताब्दी में लगातार जीत रहे हैं, अतः कंसिडरेशन लेवल पर हैं। ओम बिड़ला को अभी दिल्ली से फ्री नहीं कर रहे, अतः उनका नाम चर्चा तक सीमित है।

सी पी जोशी का नाम ब्राह्मण नेतृत्व के लिहाज से गतिशील हो सकता है, लेकिन कितनी स्पीड इस नाम को मिलती है, यह वक्त बतायेगा।

सुभाष महरिया, सतीश पूनिया और ज्योति मिर्धा हार चुके हैं, इनमें ज्योति मिर्धा जीत जाती तो कंसीडर हो सकती थी, अब वह स्थिति नहीं है।

बाबा बालकनाथ को मौका देकर भाजपा कोई जोखिम नहीं लेगी। भूपेंद्र यादव, ओमप्रकाश माथुर और प्रकाश चंद के नाम डिस्कस मे हैं, लेकिन ट्रैक पर कितना बढ़ पाते हैं यह जल्द ही नजर आ जायेगा।

एक रिलायबल सोर्स के अनुसार अर्जुन मेघवाल की लीड बरकरार है। भाजपा ने कांग्रेस के दलित वोटबैंक को कब्जे में करने की मंशा बनाई है और इस क्रम में अर्जुन मेघवाल को डार्क होर्स कहा जा रहा है।


एक रिलायबल सोर्स के अनुसार अर्जुन मेघवाल की लीड बरकरार है। भाजपा ने कांग्रेस के दलित वोटबैंक को कब्जे में करने की मंशा बनाई है और इस क्रम में अर्जुन मेघवाल को डार्क होर्स कहा जा रहा है। बीकानेर जिले में तीन मंत्रियों को हरवा कर उन्होंने अपनी क्षमता प्रमाणित भी की है। अतः अर्जुन (मेघवाल) की नजर चिड़िया की आंख 8 सिविल लाइंस पर है या नहीं, यह तो अर्जुन खुद जानें, लेकिन अर्जुन पर मोदी-शाह और नड्डा-अरुण सिंह की नजर दिख रही है।

बस नजर ए इनायत कितनी होती है, यह देखने वाली बात है।

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