अशोक गहलोत ने द बेस्ट दिया

देखा गया

rajasthan election result 2023


कैलाश शर्मा ✍🏻

(लेखक जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस नेता हैं)

राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 मे कांग्रेस भले ही बहुमत तक नहीं पहुंच पाई, लेकिन परफॉर्मेंस एंड फाईट के एंगल पर कमजोर नहीं थी। मुकाबला कांटे का था और रोचक भी। उत्सुकता सतत बरकरार थी। यह सब कायम रखने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) कामयाब रहे, इसलिए कि उन्होंने अपनी तरफ़ से द बेस्ट दिया।

कैलाश शर्मा ✍🏻  (लेखक जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र के प्रमुख कांग्रेस नेता हैं)  राजस्थान विधानसभा चुनाव-2023 मे कांग्रेस भले ही बहुमत तक नहीं पहुंच पाई, लेकिन परफॉर्मेंस एंड फाईट के एंगल पर कमजोर नहीं थी। मुकाबला कांटे का था और रोचक भी। उत्सुकता सतत बरकरार थी। यह सब कायम रखने में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कामयाब रहे, इसलिए कि उन्होंने अपनी तरफ़ से द बेस्ट दिया।


इस समय भले ही आचार्य प्रमोद कृष्ण (Acharya Pramod Krishnam)से लेकर (मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के OSD) लोकेश शर्मा तक तथा मीडिया व राजनीतिक विश्लेषक अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की आलोचना कर रहे हों, लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा और टीम नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह राजस्थान में कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने की तैयारियां की थी, एक तूफान खड़ा किया था.. उसके मुकाबले अकेले अशोक गहलोत जूझते रहे और कांग्रेस को भारी क्षरण/नुकसान से बचा लिया।

अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) के सामने दुतरफा वार हो रहे थे.. एक सामने की लड़ाई जो साफ भाजपा व टीम नरेन्द्र मोदी से थी..दूसरी अंदर की लड़ाई जो कांग्रेस को भीतर ही भीतर खोखला कर अशोक गहलोत को नाकाम करने की चेष्टा मे लीन थी। जयपुर-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित एक होटल से एक जाति-विशेष के प्रभाव वाली 32 सीटों पर कांग्रेस के खिलाफ मतदान का फतवा जारी किया गया और उस फतवे ने मानेसर प्रकरण की तरह कांग्रेस को कमजोर करने में कोई कसर नहीं रखी। 

यहाँ अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) से यह गलती हो गई कि कांग्रेस को अंदरुनी तौर पर नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे तत्वों को पहचान कर एक्सपोज नहीं कर पाए और न ही डैमेज कंट्रोल कर पाए। मानेसर घटनाक्रम के दौर में जिस तरह का डैमेज कंट्रोल किया था, उसी तरह की जरूरत चुनाव के वक्त भी थी।

अशोक गहलोत पर यह आरोप भी उचित नहीं है कि उन्होंने अपनों को टिकट दिलवाये, जबकि सच्चाई यह है कि उनके अनेक नजदीकी जैसे महेश जोशी, राजीव अरोड़ा आदि टिकट से वंचित रह गए।

अशोक गहलोत सरकार की योजनाएं एक से एक बेहतर थी, काम भी बहुत हुए। इसके बाद भी कांग्रेस के चुनाव न जीतने के लिए वे दोषी कतई नहीं हैं। इसलिए कि यह टीम-वर्क होता है और एक सेंटर फारवर्ड की तरह उनका अपना गेम और प्ले तो परफेक्ट था, लेकिन बाकी टीम की परफॉर्मेंस उस लेवल की थी या नहीं यह चुनावी नतीजों ने बता दिया.. बल्कि कुछ भरोसेमंद प्रचारित "नेता" सेल्फ-गोल कर पराजय सुनिश्चित करते रहे।

यूं तो वर्ल्डकप क्रिकेट फाइनल मैच में हाल ही भारत  की टीम भी पराजित हो गई थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारतीय टीम की आलोचना की जाये.. बल्कि इसी भारतीय टीम ने बाद में आस्ट्रेलिया को पराजित भी किया है। 

अशोक गहलोत राजस्थान की कांग्रेस मे सर्वाधिक भरोसेमंद शख्सियत हैं और अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उन्हीं के एक्शन प्लान से 20-25 तक सीटें जीत सकती है। कोरोना दौर में जिस तन्मयता से उन्होंने राजस्थान की रक्षा की है, वह बेमिसाल थी। चिरंजीवी योजना के जरिए उन्होंने जो हैल्थ-कवर राजस्थान के नागरिकों को दिया है वह पूरे देश में अनुकरणीय है।

इस वक्त जरूरत है अशोक गहलोत उन्हें पहचानें जो कांग्रेस व देश के सच्चे शुभचिंतक हैं। ऐसे साथियों को मुख्यधारा में सक्रिय कर उनकी क्षमता का लाभ उठायें। इससे कांग्रेस मजबूत होगी और कांग्रेस की मजबूती देश के लिए जरूरी है।

Post a Comment

0 Comments