स्वाभिमान जिंदा रखे कांग्रेस

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कांग्रेस ... एकला चालो रे..

कैलाश शर्मा ✍🏻

(लेखक राजस्थान में जयपुर ग्रामीण संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रमुख लीडर हैं..)


कांग्रेस आलाकमान जिस तरह से गठबंधन ('INDIA' alliance) की राजनीति को तरजीह दे रहा है और लीड ले रहा है, उससे देश में कांग्रेस का स्वाभिमान प्रभावित हो रहा है और कांग्रेस के देश भर में मौजूद 16 करोड़ कांग्रेस विचारधारा वाले परिवारों का मनोबल भी टूट रहा है। ऐसे में AICC अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ( Mallikarjun Kharge), कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) व राहुल गांधी (Rahul Gandhi), संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ( K. C. Venugopal), प्रमुख नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) व मुकुल वासनिक ( Mukul Wasnik) से कांग्रेस परिवार विनती कर रहा है कि गठबंधन की गतिशीलता पर पुनर्विचार करें और गठबंधन का त्याग कर कांग्रेस एकला चलो रे की नीति पर चले।

Kailash sharma कांग्रेस आलाकमान जिस तरह से गठबंधन ('INDIA' alliance) की राजनीति को तरजीह दे रहा है और लीड ले रहा है, उससे देश में कांग्रेस का स्वाभिमान प्रभावित हो रहा है और कांग्रेस के देश भर में मौजूद 16 करोड़ कांग्रेस विचारधारा वाले परिवारों का मनोबल भी टूट रहा है। ऐसे में AICC अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ( Mallikarjun Kharge), कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) व राहुल गांधी (Rahul Gandhi), संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ( K. C. Venugopal), प्रमुख नेता अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) व मुकुल वासनिक ( Mukul Wasnik) से कांग्रेस परिवार विनती कर रहा है कि गठबंधन की गतिशीलता पर पुनर्विचार करें और गठबंधन का त्याग कर कांग्रेस एकला चलो रे की नीति पर चले।


इससे तीन लाभ होंगे.. 

पहला कांग्रेस की अपनी असली ताकत उभरेगी..

दूसरे बूथ स्तर के वर्कर व कांग्रेस परिवारों का मनोबल बढ़ेगा..

तीसरे कांग्रेस लोकसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत पाने की ओर अग्रसर होगी। 

महत्वपूर्ण है कांग्रेस द्वारा स्वाभिमान को जिंदा रखना, जो अन्य दलों के आगे झुकने से कमजोर हो रहा है।


सब दल कांग्रेस के खिलाफ

जिन राजनीतिक दलों से गठबंधन किया जा रहा है, उनका जन्म ही कांग्रेस विरोध के लिए हुआ था। जाहिर है जिसकी सोच में कांग्रेस विरोध है, वह कांग्रेस के लिए कैसे हितकारी या लाभकारी हो सकता है। पूरब में ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ अपनी पार्टी बनाई व कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। पश्चिम के महाराष्ट्र में यही काम शरद पवार ने किया है। बिहार में लालू यादव की राजद और नितीश कुमार के जदयू के मूल में कांग्रेस का विरोध है, तो उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा ने सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस का ही किया है।

जिन राजनीतिक दलों से गठबंधन किया जा रहा है, उनका जन्म ही कांग्रेस विरोध के लिए हुआ था। जाहिर है जिसकी सोच में कांग्रेस विरोध है, वह कांग्रेस के लिए कैसे हितकारी या लाभकारी हो सकता है। पूरब में ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ अपनी पार्टी बनाई व कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया। पश्चिम के महाराष्ट्र में यही काम शरद पवार ने किया है। बिहार में लालू यादव की राजद और नितीश कुमार के जदयू के मूल में कांग्रेस का विरोध है, तो उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा ने सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस का ही किया है।


आम आदमी पार्टी से बचें

कांग्रेस एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल है। कांग्रेस की अपनी मर्यादा और देश भर में मान है। इस स्वाभिमान को पंजाब व दिल्ली में आम आदमी पार्टी के आगे झुकाना इन दोनों प्रांतों के कांग्रेस-जनों के साथ अन्याय होगा। सब जानते हैं कि आम आदमी पार्टी के सृजनकर्ता अरविंद केजरीवाल ने ही 2012 से कांग्रेस के खिलाफ बिगुल बजाया था और भाजपा के साथ मिलाकर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को डैमेज करने मे एक भूमिका का निर्वहन किया था। देश का कांग्रेस-जन यह सच कैसे भूल सकता है और सच्चा कांग्रेस-जन आम आदमी पार्टी रूपी मक्खी कभी नहीं निगल सकता। अतः AICC पंजाब व दिल्ली में आम आदमी पार्टी से करार का विचार त्यागेगी, तो इन राज्यों में कांग्रेस जिंदा रहेगी, अन्यथा कार्यकर्ताओं का मनोबल तो घट ही रहा है।


सोच बदलो, सितारे बदल जायेंगे

दरअसल कांग्रेस आलाकमान मे जितने front line leaders हैं, अधिकतर दिल्ली में बैठकर यह सोचते हैं कि भाजपा विरोधी वोटों को एकजुट कर लेंगे, भाजपा की बाढ़ के आगे बांध बना लेंगे। समय का तकाजा है और कांग्रेस परिवारों की भावना कि front line leaders जैसे सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक, के सी वेणुगोपाल और राहुल गांधी अपनी उक्त सोच को बदल लें और कांग्रेस एकला चलो रे के नारे के साथ गतिशील होती है तो कांग्रेस के सितारे बदल सकते हैं। वैसे भी एक कहावत है कि "सोच को बदलो.. सितारे बदल जायेंगे, नजर को बदलो.. नजारे बदल जायेंगे।"


जरूरी भी है स्वाभिमान के लिए

कांग्रेस का एकला चलो रे अभियान तीन कारणों से जरूरी है..

1. इंदिरा गांधी ने 1977 की पराजय के बाद तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ एकला चलो रे अभियान शुरू किया था.. लोग जुड़ते गये.. काफिला बनता रहा.. कारवाँ बढ़ता रहा और 1980 मे कांग्रेस ने हिंदुस्तान फतेह कर लिया। यह एक नजीर (उदाहरण) है।

2. अन्य सभी राजनीतिक दल कांग्रेस के मान और स्वाभिमान को आहत कर रहे हैं, ममता बनर्जी पश्चिमी बंगाल में एक भी सीट नहीं देना चाहती, महाराष्ट्र में शरद पवार व उधव ठाकरे कांग्रेस को नाक रगडऩे के लिए मजबूर कर रहे हैं, बिहार में कांग्रेस चार सीट को तरस रही है तो उत्तर प्रदेश में सपा टिकटों का फैसला कर रही है। दिल्ली-पंजाब में टाईअप करेंगे तो आम आदमी पार्टी दोनों राज्यों में कांग्रेस को निचोड़ देगी। क्या कांग्रेस अपना स्वाभिमान खोयेगी?

3. देश भर में 16 करोड़ परिवार कांग्रेस विचारधारा के हैं, उन पर भरोसा करें, उनका मनोबल बढ़ायें.. वे फील्ड में बढ़े हुए आत्मविश्वास के साथ उतर गए तो कांग्रेस को प्रचंड बहुमत दिला सकते हैं।


अंततः ...

फिलहाल यही सत्य है और अपेक्षा भी कि सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक, के सी वेणुगोपाल और राहुल गांधी सबसे पहले अपना कांफिडेंस मजबूत करें और यह इच्छा शक्ति विकसित करें कि हां हम (कांग्रेस अकेले लड़कर) बहुमत ला सकते हैं। देश के 16 करोड़ कांग्रेस परिवारों के स्वाभिमान की रक्षा करें। गठबंधन से भाजपा विरोधी वोटों मे कोई एकजुटता नहीं आयेगी बल्कि सहयोगी दल कांग्रेस को डैमेज करेंगे। 

अतः देश के लिए और कांग्रेस के लिए एकला चालो रे..।

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