अयोध्या, विश्व हिंदू परिषद के संत चिंतन वर्ग में ब्रह्मचारी गणेश चैतन्य महाराज हुए शामिल

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गुरु गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर में संतों ने दिया श्रीमद् भागवत कथा का निमंत्रण पत्र


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फतेहपुर में 9 अप्रैल से आयोजित होने वाली श्रीमद् भागवत कथा का मंडावा स्थित सर्व दर्शन अखाड़ा के राजस्थान  अध्यक्ष ब्रह्मचारी गणेश चैतन्य महाराज ने पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ को आश्रम में एवं गुरु गोरखनाथ जी महाराज को कथा में पधारने का निमंत्रण पत्र भेंट किया।

 

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विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad)के संत चिंतन वर्ग में ब्रह्मचारी गणेश चैतन्य महाराज ने अपने विचार रखे। राजस्थान में किस प्रकार सनातन धर्म का प्रसार करना है, इस पर केंद्रीय मंडल विचार कर योजना बनाएं एवं लव जिहाद से ग्रसित युवाओं को किस प्रकार से सनातन धर्म के बारे में बताकर उनका पुनर्वास कैसे हो?जो लोग किसी भी कारणवश दूसरे धर्म को अपना कर आज दुखी है ,उनको घर वापसी करने की योजना बनाई जाए।सभी हिंदुओं को तैयार करना पड़ेगा कि सभी हिंदू जो लोग मुस्लिम बन चुके हैं, उनको अपने गले लगाएं और अपनाये।

विश्व हिंदू परिषद के संत चिंतन वर्ग में ब्रह्मचारी गणेश चैतन्य महाराज ने अपने विचार रखे। राजस्थान में किस प्रकार सनातन धर्म का प्रसार करना है, इस पर केंद्रीय मंडल विचार कर योजना बनाएं एवं लव जिहाद से ग्रसित युवाओं को किस प्रकार से सनातन धर्म के बारे में बताकर उनका पुनर्वास कैसे हो?जो लोग किसी भी कारणवश दूसरे धर्म को अपना कर आज दुखी है ,उनको घर वापसी करने की योजना बनाई जाए।सभी हिंदुओं को तैयार करना पड़ेगा कि सभी हिंदू जो लोग मुस्लिम बन चुके हैं, उनको अपने गले लगाएं और अपनाये।

इस अवसर पर संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता दिनेश चंद्र , भगवान रामलला मंदिर के प्रबंधक गोपाल  एवं 60000 लोगों को घर वापसी कराने वाले संत रामस्वरूप दास महाराज का उद्बोधन सुनकर हिंदू जागरण करने के लिए संतों में बहुत उत्साह दिखाई दिया। संपूर्ण भारतवर्ष से आए हुए संतों ने भगवान रामलला का दर्शन करने के बाद बैठक में भगवान राम लला मंदिर का इतिहास जाना। राम मंदिर प्रबंधक गोपाल  ने बताया कि सर्वप्रथम भगवान शंकराचार्य  की चारों मठ के महंत एक साथ 1966 में प्रयागराज कुंभ मेले में एक साथ बैठकर यह निर्णय  निकाला, चारों एक मंच पर बैठकर सनातनियों को हिंदुत्व की शिक्षा दी एवं धर्म परिवर्तित लोगों को कैसे वापस सनातन में लाया जाए इस विषय पर चर्चा की एवं भगवान रामलला का मंदिर कैसे बने, पुनर्निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा कैसे हो? भगवान रामलला का मंदिर जल्दी बाजी में प्राण प्रतिष्ठा क्यों हुई? 

शंकराचार्य  की चारों मठ के महंत एक साथ 1966 में प्रयागराज कुंभ मेले में एक साथ बैठकर यह निर्णय  निकाला, चारों एक मंच पर बैठकर सनातनियों को हिंदुत्व की शिक्षा दी एवं धर्म परिवर्तित लोगों को कैसे वापस सनातन में लाया जाए इस विषय पर चर्चा की एवं भगवान रामलला का मंदिर कैसे बने, पुनर्निर्माण एवं प्राण प्रतिष्ठा कैसे हो? भगवान रामलला का मंदिर जल्दी बाजी में प्राण प्रतिष्ठा क्यों हुई?

इस विषय में बताया कि जन भावना के कारण भक्तों की आंदोलनकारियों  की सभी की इच्छा के अनुरूप जल्दी से जल्दी भगवान का दर्शन कैसे हो? इस दर्शनाभिलाषा के कारण भगवान रामलला  का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम मंदिर पूरा बनने से पहले ही कर दिया गया।बहुत से संतों ने अपना जीवन आहूत कर बहुत से कारसेवकों ने अपना बलिदान देकर इस मंदिर को बनाने में सहयोग किया। लगभग सभी हिंदुओं ने राम मंदिर में सहयोग किया 1949 में राम प्रकाशमान हुए। एक संत अपने चार शिष्यों को लेकर अपनी जेब में भगवान की मूर्ति लेकर मंदिर में प्रवेश कर गए और मूर्ति स्थापित कर दी। उन संतो के कारण आज मंदिर पुनः निर्मित हो पाया। संत अवैद्यनाथ  महाराज, दिगंबर अखाड़ा के रामचंद्र दास  महाराज, विरक्त रामदेव महाराज, दक्षिण के विश्वजीत महाराज, देवरहा बाबा, अशोक सिंघल , कोठारी बंधु सभी ट्रस्ट के लोग कार सेवक इन्होंने भगवान राम और राष्ट्र की परिभाषा जन चेतना अभियान के माध्यम से बताई। कार सेवकों को बोरी में बांधकर डुबाया गया, घटनाएं हुई। शिलान्यास के 30 साल बाद मंदिर कार्य शुरू हुआ। केंद्र सरकार के सहयोग से न्यास बनाया गया। 70 एकड़ जमीन प्राप्त हुई। 25000 ट्रैकों द्वारा मिट्टी निकाल कर मजबूत जमीन पर मंदिर निर्माण कार्य दक्षिण के ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया। जिसमें लोहा बिल्कुल नहीं लगाया गया। 

संत अवैद्यनाथ  महाराज, दिगंबर अखाड़ा के रामचंद्र दास  महाराज, विरक्त रामदेव महाराज, दक्षिण के विश्वजीत महाराज, देवरहा बाबा, अशोक सिंघल , कोठारी बंधु सभी ट्रस्ट के लोग कार सेवक इन्होंने भगवान राम और राष्ट्र की परिभाषा जन चेतना अभियान के माध्यम से बताई। कार सेवकों को बोरी में बांधकर डुबाया गया, घटनाएं हुई। शिलान्यास के 30 साल बाद मंदिर कार्य शुरू हुआ। केंद्र सरकार के सहयोग से न्यास बनाया गया। 70 एकड़ जमीन प्राप्त हुई।

2022, 1 जून को माननीय मुख्यमंत्री आदित्यनाथ जी महाराज द्वारा कार्य का पुनः प्रारंभ किया गया। प्रथम मंजिल बनने के बाद अभी डेढ़ लाख पत्थर और बाकी है, परिक्रमा मार्ग बनना बाकी है, फिर भी गर्भ ग्रह का निर्माण कर मूर्ति स्थापना कार्यक्रम संपन्न हुआ। अभी तक 60 लाख लोगों ने दर्शन कर लिया। प्रतिदिन डेढ़ लाख से ज्यादा लोग दर्शन सहज भाव से कर रहे हैं। प्राचीन संस्कृति नागरिक शैली में बना मंदिर अहमदाबाद के आर्किटेक्ट एवं आधुनिक तंत्रज्ञान के माध्यम से  निशुल्क इंजीनियरों द्वारा ढाई सौ यंत्रों के माध्यम से पांच मंडप रंग मंडप, गुण मंडप, प्रार्थना मंडप, कीर्तन मंडप, एवं शिखर निर्मित किया जाएगा। प्रतिदिन 150 फुट दूर से दर्शन होना शुरू हो जाता है, बल्कि विशेष दर्शन करने वालों को केवल एक क्षण का दर्शन होता है। ट्रस्ट के द्वारा भगवान राजा राम के मस्तक पर सूर्य भगवान का तिलक की योजना जल्दी पूरी होगी। 225 फीट ऊंचाई पर शिखर कलश एवं ध्वज लगाए जाएंगे। संपूर्ण परकोटा में 6 मंदिर बनेंगे। जिसमें बालाजी मंदिर, अन्नपूर्णा मैया, वाल्मीकि जी, विश्वामित्र जी, अगस्त्य ऋषि, अहिल्या, निषाद, शबरी एवं यज्ञ मंडप सीता रसोई का निर्माण किया जाएगा।  सभी दर्शनार्थियों की सभी प्रकार की सुविधाओं का न्यास के द्वारा व्यवस्था कार्य चल रहा है। दक्षिण के जग्गी वासुदेव महाराज, रविशंकर महाराज, मुरारी बापू, रमेश बाबा, आदि अनेक विश्व प्रसिद्ध संतों ने दर्शन किया है। फिल्मी दुनिया के अनेक प्रसिद्ध लोगों ने दर्शन किया है, नृत्य किया है। भगवान बालक स्वरूप राम का दर्शन कर पूरे विश्व के लोगों ने अश्रु धारा से भगवान का अभिषेक किया एवं रो-रोकर भगवान राम का दर्शन कर रहे हैं। 


एक घटना के माध्यम से बताया कि भगवान रामलला स्वयं अपना काम करवा रहे हैं, आतंकियों ने ग्रेनेड बम भी मंदिर पर डाल दिया था, लेकिन वह विस्फोट नहीं हो पाया। यह भगवान राम की लीला है, संपूर्ण विश्व राममय हो चुका है, और अब भगवान विश्वनाथ मंदिर भी जल्द ही संपूर्ण बनेगा। एवं भगवान कृष्ण भी जल्दी ही भारत में 16 कलाओं से विराजमान होंगे। गौ माता की रक्षा का हम सभी संतो के द्वारा संकल्पित होकर के कार्य हम सबको करना चाहिए, सनातन धर्म के सभी शास्त्रों का अध्ययन अध्यापन हम सभी की जिम्मेदारी है। अपने अमूल्य धर्म ग्रंथो को लुप्त ना होने दें, अपने आने वाली पीढियो को ग्रन्थों बारे में संपूर्ण जानकारी देवें। प्रथम सत्र में संतों का अभिवादन भगवान राम से पूजित राम नाम का दुपट्टा भेंट कर किया गया। हनुमान चालीसा एवं विजय मंत्र के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। 

संत योगी शांतिनाथ जी महाराज के शिष्य भगत राकेश महाराज, सुभाष सोनी, वरिष्ठ भाजपा नेता महेश बसावतिया, राजेंद्र शर्मा झेरली वाला, संत कुमार निर्मल, अनिल जोशी, प्रमोद बलौदा, आनंद हिसारिया, नरेंद्र निर्मल, अजय सोनी, शेखर सोनी, सुरेश जांगिड़ विकास सैनी संपूर्ण यात्रा में साथ रहे।

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