राज्यसभा चुनाव :- क्या भाजपा के अंतर्द्वंद्व का लाभ लेगी कांग्रेस ?

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Rajya Sabha Election 2024

Rajasthan Assembly


कैलाश शर्मा ✍🏻

( लेखक प्रमुख राजनीतिक व आर्थिक विश्लेषक हैं) 


राजस्थान भारतीय जनता पार्टी में इस समय जो अंतर्द्वंद्व, अनिश्चितता व आपसी अविश्वसनीयता की स्थिति बनी है, वह राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए लाभकारी परिदृश्य है। गेंद कांग्रेस के पाले में है और कांग्रेस के राजनीतिक प्रबंधक true politics करें तो राज्यसभा चुनाव में भाजपा की डू डू फुर्रे करा सकते हैं। 


Media Kesari, Jaipur news today, मीडिया केसरी, rajysabha election,2024, rajasthan political crisis, ashok gehlot,  राजस्थान भारतीय जनता पार्टी में इस समय जो अंतर्द्वंद्व, अनिश्चितता व आपसी अविश्वसनीयता की स्थिति बनी है, वह राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए लाभकारी परिदृश्य है। गेंद कांग्रेस के पाले में है और कांग्रेस के राजनीतिक प्रबंधक true politics करें तो राज्यसभा चुनाव में भाजपा की डू डू फुर्रे करा सकते हैं।  2021 में जब कोरोना चरम पर था, तब भाजपा ने राजस्थान में सचिन पायलट का उपयोग कर कांग्रेस सरकार गिराने की कोशिश की थी, यह बात पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अनेक अवसरों पर कह चुके हैं और भाजपा की ओर से अधिकारिक तौर पर आरोप का खंडन भी नहीं किया गया।


2021 में जब कोरोना चरम पर था, तब भाजपा ने राजस्थान में सचिन पायलट का उपयोग कर कांग्रेस सरकार गिराने की कोशिश की थी, यह बात पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अनेक अवसरों पर कह चुके हैं और भाजपा की ओर से अधिकारिक तौर पर आरोप का खंडन भी नहीं किया गया। वह तो सचिन पायलट खुद समेत 19 विधायक ही जोड़ पाए थे, जबकि आवश्यकता 30 की थी। यह 11 विधायकों का गैप कवर नहीं होने के कारण भाजपा अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को हटाने में कामयाब नहीं रही। 

पर वर्तमान में जो भाजपा के अंदरूनी हालात हैं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि कांग्रेस में कोई सूरमा पहल करे, तो राजपूताने की भूमि पर भाजपा को चारों खाने चित्त किया जा सकता है। 

इसके पीछे निम्न चार बड़े कारण हैं --

1. मंत्रियों की अपने विभागों में चलत नहीं है, नतीजा वे हताश और निराश हैं। यहां तक कि अपनी पसंद के पी एस भी नहीं लगवा पा रहे।

2. जो विधायक हैं, उनकी क्षेत्रीय उपखंड अधिकारी, तहसीलदार, पंचायत समिति विकास अधिकारी तक बात नहीं सुन रहे।

3. भाजपा सरकार में चलत किस की है, इसका जवाब यही आता है। ऊपर के आदेश हैं, यह ऊपर वाला कौन है, इस पर सब ख़ामोश हैं। 

4. राजस्थान में भाजपा सरकार का नवां महीना चल रहा है, लेकिन कोई आस नजर नहीं आ रही। विधायक अपनी हैसियत को लेकर हतप्रभ हैं और अनेक अपनी नाराज़गी घोषित अघोषित रूप से जता भी रहे हैं। राजस्थान विधानसभा में अनेक भाजपा विधायकों ने अपना रौद्र रूप दिखाया भी है।

महत्वपूर्ण है कि भाजपा के इन अंदरुनी हालातों को देखते हुए कांग्रेस कोई प्रयास करती है कि नहीं? 

राजस्थान विधानसभा में अभी 194 विधायक हैं। राज्यसभा सदस्य की जीत के लिए भाजपा को 98 विधायकों के वोट चाहिए। भाजपा विधायकों की संख्या 114 है। इनमें 18 विधायक क्रास वोटिंग करें तो भाजपा का बैंड बज सकता है। जब भाजपा के प्रयासों से कांग्रेस के 19 विधायक मानेसर पहुंच सकते हैं, तो कांग्रेस कोशिश करे तो भाजपा के 18-19 विधायक या तो अनुपस्थित रह सकते हैं या क्रास वोटिंग कर सकते हैं।

लेकिन यह तीन स्थितियों में संभव है --

1. कांग्रेस के पास विल पावर और तदनुसार पालीटिकल प्रबंधन हो।

2. कांग्रेस में कोई सूरमा इस टास्क को हाथ में ले और परफेक्ट एक्शन प्लान के साथ एफर्ट्स करें।

3. कांग्रेस एक सक्षम व सबल उम्मीदवार मैदान में उतारे।

खास बात यह है कि यह टास्क न तो मुश्किल है और न ही असंभव। 

राजनीति में मोटे तौर पर खेला करना आना चाहिए, तभी इसका आनंद है।

15 अगस्त को जिस तरह का बर्ताव राहुल गांधी के साथ केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में किया, उसका जवाब राजस्थान में कांग्रेस दे सकती है। इंतजार है कोशिश होती है या नहीं।

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