हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम 2024
हार के कारणों का विश्लेषण
-- कैलाश शर्मा
(लेखक जयपुर जिला (पूर्व सांभर स्टेट) से प्रमुख कांग्रेस विचारक और ग्रासरूट वर्कर हैं)
1963 में मेरा जन्म हुआ था उसके पहले इंदिरा गांधी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष बन चुकी थी। 1967 में जब पढ़ना शुरू किया तो उसके पहले वे देश की प्रधानमंत्री बन चुकी थी। उनके कार्यकाल के दौरान ही हमारी पढ़ाई का सिलसिला चला और 1984 जून में हमने PG कर ली थी। जनता पार्टी के अढ़ाई साल के राज को छोड़ शेष पूरे छात्र जीवन के समय इंदिरा गाँधी को ही प्रधानमंत्री के रूप में देखा है ..
देश को हरित क्रांति के जरिए अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना,पोकरण परमाणु परीक्षण के जरिए देश को सामरिक दृष्टि से शक्तिशाली बनाना, वैश्विक मंच पर गुट निरपेक्ष देशों का नेतृत्व करना, राष्ट्रपति निक्सन के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी बेड़े को हिंद महासागर से बैरंग लौटाना...यह सब उन्हीं के साहस का परिणाम था।
कांग्रेस को विजयी बनाने के लिए चाहिए इंदिरा गाँधी सरीखा साहस
इतना ही नहीं 1977 में जनता पार्टी से कांग्रेस की हुई पराजय के बाद 1980 में लोकसभा की 350 से अधिक सीटें जीतकर शानदार वापसी के पीछे उन्हीं का साहस था .. वर्तमान परिदृश्य में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व (AICC) को उसी साहस की जरूरत है। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में यह साहस नहीं होने के कारण ही हम 2019 व 2024 का लोकसभा चुनाव हारे हैं ..AICC नेतृत्व में इंदिरा गांधी जैसा courage नहीं होने के कारण अधिकतर राज्यों में हम विधानसभा चुनाव भी हारते जा रहे हैं.. राजस्थान,मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, सरीखे कांग्रेस के गढ़ प्रांतों में हमारी सरकार तक नहीं है।
गुजरात लगातार अधिनायकवाद से त्रस्त है, उसे हम मुक्त नहीं करवा पा रहे पश्चिम बंगाल, ओडिशा व जम्मू-कश्मीर में हम बहुत कमजोर हैं।
मुझे कहने या लिखने में कोई हिचक नहीं है कि हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व की कमजोरी है और इंदिरा गांधी सरीखा साहस नहीं ..
आज विजय दशमी है ...कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व अपनी कमजोरी से उबरे, साहस जुटाए और दिखायें । तभी देश के 6 करोड़ कांग्रेस विचारधारा वाले परिवारों का मनोबल बनेगा व बढ़ेगा अन्यथा जिस तरह हम राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और हाल ही में हरियाणा हारे और लोकसभा चुनाव में लगातार तीन बार से दो अंकों में अटक रहे हैं। यही सिलसिला चलता रहेगा और इसके लिए AICC और कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व दोनों जवाबदेह होंगे ..
हम कांग्रेस जन तो तन मन से कांग्रेस के लिए समर्पित हैं और रहेंगे बस मलाल यह रहेगा कि राष्ट्रीय नेतृत्व की अक्षमता के कारण हम चुनाव हार रहे हैं।
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