राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में क्या अध्यक्ष बदलेंगे ..?

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Will Rajasthan Congress Get a New Chief ?


उद्भव चौराणिया  ✍🏻

(लेखक नवोदित राजनीतिक विश्लेषक है) 

Media Kesari

Jaipur


क्या राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जायेंगे, यह चर्चा डूंगरपुर बांसवाड़ा से लेकर गुवाहाटी म्यांमार तक तथा श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ से चैन्नई-हैदराबाद तक है। 

वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) को हटाने तथा दूसरी तरफ बनाये रखने वालों की लाबी अपने अपने एंगल पर सक्रिय है। एक समूह ऐसा है जो दोनों का तमाशा देख रहा है। एक बड़े नेता ऐसे हैं, जिनकी कोशिश एक संभावित बनने वाले को रोकने की है।

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पहले चर्चा इस बात पर कि गोविंद डोटासरा को हटाने की कवायद कौन कर रहे हैं? जाहिर सी बात है कि जिन्हें बनना है, उन्हीं की लोकल और नेशनल लाबी प्रयास कर रही है ताकि राजस्थान में पदस्थापित हो सकें।

इस लाबी ने चार बातें आलाकमान तक पहुंचाई है -

पहली यह कि गोविंद सिंह डोटासरा(Govind Singh Dotasra) के प्रदेश अध्यक्ष रहते राजस्थान में कांग्रेस विगत विधानसभा चुनाव में जीत नहीं पाई और वह भी तब जबकि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में बेहतरीन काम किया था।

 दूसरी यह कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रदेश की 20 से अधिक सीटों पर जीतने में सक्षम थी, लेकिन आठ पर अटक गई। 

तीसरे यह कि हाल ही विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को चार सीटों का नुक़सान हुआ और सीटों की संख्या 70 से घटकर 66 पर रह गई। 

चौथे यह कि गोविंद सिंह डोटासरा एक जाति विशेष की जकड़न से त्रस्त हैं, उसके बाहर सोचते नहीं हैं इसका उदाहरण लोकसभा चुनाव में एक जाति विशेष को टिकट वितरण में दी गई अतिरिक्त वरीयता को बताया गया।


अब गेंद आलाकमान अर्थात केवल राहुल गांधी के पाले में है और उन्हें तय करना है कि गोविंद सिंह डोटासरा को हटायें या नहीं। लेकिन जो लोग पीसीसी को कब्जे में रखना चाहते हैं, वे दिल्ली में हैं और राहुल गांधी को कन्वींस कर रहे हैं। इस क्रम में एक अन्य PCC chief के जरिए रूट भी कर रहे हैं।


पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा को अगर हटाया जाता है तो किसे बनाया जाए..? 

 जहां तक आलाकमान की बात है वहां पहली पसंद अधिकारिक सूत्रों के अनुसार सचिन पायलट (Sachin Pilot) है, वे राजस्थान की कांग्रेस राजनीति को अपने हिसाब से चलाने के इच्छुक हैं। विकल्प की उनके कैंप से गुंजाइश नहीं है, हालांकि कुछ लोग दौसा सांसद मुरारीलाल मीणा का जिक्र कर रहे हैं। पर महत्वपूर्ण यह है कि सचिन पायलट (Sachin Pilot) के नाम से राजस्थान की 90 फीसदी से अधिक कांग्रेस सहमत नहीं है, इसलिए कि मानेसर प्रकरण, गवर्नमेंट होस्टल जयपुर पर राजस्थान की कांग्रेस सरकार के खिलाफ धरना और भांकरोटा में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ रैली से राजस्थान में कांग्रेस के 96 फीसदी से अधिक परिवार आहत हैं। यह बात राहुल गांधी की जानकारी में है, बावजूद इसके वे सचिन पायलट पर भरोसा कर रहे हैं। 

राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख विचारक कैलाश शर्मा के अनुसार गोविंद डोटासरा को हटाना थोड़ा टफ लग रहा है, फिर भी बदलाव अगर होता है तो सचिन पायलट (Sachin Pilot) को बनाना उचित नहीं है, इसलिए कि उनका जन्म न तो राजस्थान में हुआ और न ही वे यहां पले-बढ़े। फिर भी राहुल गांधी पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो कर अगर सचिन पायलट को राजस्थान पर थोपते हैं तो फिर राजस्थान में कांग्रेस की स्थिति पश्चिमी बंगाल या बिहार जैसी हो जायेगी। सचिन पायलट में कांग्रेस के प्रति निष्ठा होती तो मानेसर कांड, गवर्नमेंट होस्टल पर धरना और भांकरोटा रैली के जरिए कांग्रेस को नहीं कोसा जाता। 


जहां तक बात अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की है, उनकी समूचे परिदृश्य पर निगाह है और वस्तुत: क्या करना है यह वे जानते हैं। इसी तरह राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए श्रेष्ठ विकल्प की है तो इस समय बेहतरीन नाम रोहित बोहरा (Rohit Bohra) का है। इसलिए कि वे भरोसेमंद हैं, कांग्रेस के लिए समर्पित और विजनरी एप्रोच वाले। 

बाकी देखो क्या होता है।

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