गरीबों के हमदर्द और इंसाफ़ के पैरोकार को बरसी पर दी गई ख़िराज-ए-अक़ीदत, कुरान-ख़्वानी और दुआओं से महका रूहानी माहौल
✍️ गुलवेज़ आलम
स्वतंत्र पत्रकार, कैराना
Media Kesari
कैराना। कस्बे के मोहल्ला आर्यपुरी में रविवार को ग़मगीन माहौल में डूबा नज़र आया। हर गली-कूचे में एक ही नाम लिया जा रहा था...भूतपूर्व प्रधान अब्बास साहब। इंतकाल को पूरे तीन बरस बीत चुके हैं लेकिन लोगों के दिलों में उनकी यादें आज भी ज़िंदा हैं। उनकी तीसरी बरसी पर कुरान-ख़्वानी और फ़ातिहा की महफ़िलें सजीं।
सुबह से ही घरों के दरवाज़े मेहमानों के लिए खुले रहे। दूर-दराज़ के रिश्तेदार और क़रीबी अहबाब यहां पहुंचे। मस्जिदों की अज़ानों और कुरान की तिलावत के साथ माहौल रूहानी हो उठा। लोग कहते रहे...“अब्बास प्रधान सिर्फ़ नाम के प्रधान नहीं थे, वो मोहल्ले के हर शख़्स के दिल के प्रधान थे।”
बरसी की महफ़िल में बुज़ुर्गों ने याद किया कि अब्बास प्रधान ने हमेशा ग़रीबों का साथ दिया, मजबूरों की मदद की और अपने फ़ैसलों से इंसाफ़ की मिसाल क़ायम की। यही वजह है कि उनका इंतकाल भी कस्बे की तारीख़ का एक दर्दनाक वाक़या बन गया।
कुरान-ख़्वानी के बाद दुआओं में हाथ उठे और लंगर तक़सीम हुआ। बुज़ुर्गों ने कहा कि अब्बास प्रधान की शख़्सियत की कमी हमेशा महसूस होती रहेगी। उनके बेटे इमरान अब्बास (पत्रकार) ने आंसुओं भरी आवाज़ में कहा –
“आज भी जब अब्बा जान की बातें याद आती हैं तो दिल भर आता है। हम सब दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला उन्हें जन्नत-उल-फिरदौस में आला मक़ाम अता फ़रमाए।”
बरसी में शामिल बड़ी तादाद में लोगों ने अपनी मोहब्बत और अकीदत का इज़हार किया।
अख़िर में बरसी की महफ़िल में मौजूद लोगों के नाम दर्ज हुए –
मोहम्मद शमीम, राशिद हुसैन, नसीर अहमद, ताहिर कुरैशी, मुज़म्मिल खान, हबीबुर्रहमान, अब्दुल सत्तार, जुनैद रज़ा, साबिर अली, नईम अख़्तर, सलमान फ़ारूक़ी, साजिद अंसारी आदि।
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