कैराना में एमडीए की करतूत! बिना नोटिस महिला की नींव तोड़ी, फर्जी मुकदमे की धमकी – विभाग पर उठे गंभीर सवाल

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यह पहला मामला नहीं है जब एमडीए की मनमानी सामने आई हो..! 


✍️ गुलवेज़ आलम

स्वतंत्र पत्रकार, कैराना 

कैराना। मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण (एमडीए) की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कस्बे के मोहल्ला आलकला टीचर कॉलोनी निवासी निराश्रित महिला नूतन रानी ने विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 8 अगस्त को पानीपत रोड स्थित उनके प्लॉट पर एमडीए अधिकारी व कर्मचारी धावा बोलकर पहुंचे और मनमानी करते हुए नींव तुड़वा दी। हैरानी की बात यह है कि इस कार्रवाई से पहले विभाग ने महिला को कोई नोटिस तक नहीं थमाया।

Media Kesari, kairana Crime News, कैराना। मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण (एमडीए) की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कस्बे के मोहल्ला आलकला टीचर कॉलोनी निवासी निराश्रित महिला नूतन रानी ने विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 8 अगस्त को पानीपत रोड स्थित उनके प्लॉट पर एमडीए अधिकारी व कर्मचारी धावा बोलकर पहुंचे और मनमानी करते हुए नींव तुड़वा दी। हैरानी की बात यह है कि इस कार्रवाई से पहले विभाग ने महिला को कोई नोटिस तक नहीं थमाया।

नूतन रानी का कहना है कि उन्होंने यह जमीन कानूनी रूप से खरीदी थी और उससे जुड़े सभी दस्तावेज उनके पास मौजूद हैं। इसके बावजूद अधिकारियों ने न केवल नींव ढहा दी बल्कि विरोध करने पर खुलेआम धमकी दी कि “ज्यादा बोली तो फर्जी मुकदमे में फंसा देंगे।” महिला का आरोप है कि एमडीए ने नियम-कानून ताक पर रखकर सिर्फ अपनी दबंगई दिखाई।


लोगों का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है जब एमडीए की मनमानी सामने आई हो। विभाग अक्सर आम लोगों की वैध संपत्तियों को भी अवैध बताकर ध्वस्त कर देता है, जबकि बड़े-बड़े भू-माफिया और रसूखदार बिल्डरों पर कभी बुलडोज़र नहीं चलता। इस पूरे प्रकरण ने विभाग की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।


सवाल यह उठता है कि आखिर बिना नोटिस दिए नींव ढहाने का आदेश किसने दिया? क्या यह पूरी कार्रवाई व्यक्तिगत रंजिश और भ्रष्टाचार के चलते हुई? या फिर एमडीए के अधिकारियों ने किसी दबाव में आकर यह करतूत की? विभाग की चुप्पी ने इन शक़ों को और गहरा कर दिया है।


पीड़िता ने कैराना कोतवाली में तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई है। पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में एमडीए की मनमानी पर नकेल कसेगा या फिर यह प्रकरण भी विभाग की बदनामी के ढेर में दबकर रह जाएगा।

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