Kairana Crime News
पुलिस प्रशासन द्वारा 'महिला सुरक्षा' सिर्फ 'काग़ज़ों' में....??
स्थानीय नागरिकों ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
✍️ गुलवेज़ आलम
स्वतंत्र पत्रकार, कैराना
Media Kesari
शामली। कस्बा कैराना में इंसानियत को शर्मसार करने वाली वारदात ने पूरे इलाके में गुस्से की लहर पैदा कर दी है। घटना 10 अगस्त 2025 की रात एक बजे की है, जब कस्बे में ही रहने वाले एक युवक ने 19 वर्षीय युवती को शादी का झांसा देकर अपने घर बुलाया और जबरन उसकी अस्मत लूट ली। पीड़िता के चीखने-चिल्लाने पर मोहल्ले के लोग मौके पर पहुंचे और उसे बचाया, लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने पीड़ित परिवार के जख्म और गहरे कर दिए।
आरोपी युवक के परिवार के अन्य सदस्यों ने पीड़िता की महिला रिश्तेदार को भद्दी गालियां देते हुए बेरहमी से पीटा और घर से बाहर निकाल दिया।
यह गंभीर आरोप सीधे शिकायती पत्र में दर्ज हैं, जिसे पीड़ित पक्ष ने स्वयं पुलिस अधीक्षक शामली को भेजा है।
शिकायती पत्र के अनुसार, घटना 10 अगस्त 2025 की रात करीब 1 बजे की है। पीड़िता के पड़ोस में रहने वाले एक युवक ने उसे अपने घर बुलाया और शादी का वादा कर जबरन दुष्कर्म किया। युवती के शोर मचाने पर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और उसे बचाया। लेकिन आरोप यहीं खत्म नहीं होते—पत्र में यह भी कहा गया है कि आरोपी के परिवार के अन्य सदस्य भी मौके पर आए और पीड़िता को गालियां देते हुए मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि साफ-साफ गवाह और सबूत होने के बावजूद पुलिस ने न तो मुकदमा दर्ज किया और न ही आरोपियों को गिरफ्तार किया। इससे यह साफ झलकता है कि थाना स्तर पर आरोपी पक्ष को बचाने की कोशिश हो रही है। कस्बे के एक व्यापारी ने कहा, “कैराना की पुलिस अगर ऐसे ही रसूखदार अपराधियों को संरक्षण देती रही, तो आने वाले दिनों में बेटियां घर से बाहर निकलने से डरेंगी।”
कस्बे के कई प्रतिष्ठित लोगों ने भी इस घटना को लेकर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे समाज की इज्जत का सवाल है। लोगों का कहना है कि अगर इस बार पुलिस ने कार्रवाई नहीं की, तो वे थाने का घेराव कर उग्र आंदोलन करेंगे।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना के बाद से आरोपी खुलेआम कस्बे में घूम रहे हैं, जिससे परिवार पर दबाव और डर का माहौल है।
अब पीड़ित पक्ष ने पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाई है कि वे खुद इस मामले की निगरानी करें और थानाध्यक्ष को निर्देश दें कि आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही, पुलिस की इस देरी और कथित मिलीभगत की भी जांच हो।
“हमने पुलिस से इंसाफ मांगा, लेकिन हमें सिर्फ इंतजार मिला। अब हम जिलाधिकारी और एसपी से अपील कर रहे हैं कि वे खुद हस्तक्षेप करें,” पीड़ित परिवार ने कहा।
उधर कस्बे के लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या शामली पुलिस के लिए एक निर्दोष युवती की इज्जत से खेलना इतना मामूली मामला है कि चार दिन गुजर जाने के बाद भी कार्रवाई तक नहीं हुई? क्या पुलिस प्रशासन सिर्फ कागजों में ‘महिला सुरक्षा’ की बातें करने के लिए बैठा है?
अब देखना यह है कि जनता के गुस्से और आक्रोश के बाद भी क्या पुलिस इस वारदात में जागेगी, या फिर यह शर्मनाक मामला भी उन अनगिनत फाइलों में खो जाएगा जिनमें न्याय का सूरज कभी नहीं उगता।
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