Shamli Crime News
चोरी के दौरान दो शातिर चोर पुलिस वर्दी में भागते देखे गए, ग्रामीणों ने पुलिस पर मिलीभगत का लगाया आरोप और कड़ा विरोध जताया।
✍️ गुलवेज़ आलम
स्वतंत्र पत्रकार, कैराना
Media Kesari
शामली। झिंझाना थाने के चौसाना चौकी क्षेत्र के गांव लव्वा दाउदपुर में प्राचीन शिव मंदिर में हुई सनसनीखेज़ चोरी ने पूरे जिले की पुलिस पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। मंदिर की अलमारी से ढाई लाख रुपये नकद, साढ़े पांच तोले सोने के कुंडल और चांदी के जेवरात चोरी हो गए। लेकिन सबसे बड़ा धमाका तब हुआ, जब पुजारी ने आरोप लगाया कि चोरी की वारदात में पुलिस की वर्दी पहने लोग भी शामिल थे।
पुजारी राजनाथ (60) ने बताया कि रात करीब दो बजे उन्हें खटपट की आवाज सुनाई दी। बाहर आकर देखा तो चार-पांच लोग भाग रहे थे। चौंकाने वाली बात यह कि उनमें से दो पुलिस की वर्दी में थे। पुजारी का यह बयान पुलिस की कार्यशैली और ईमानदारी पर सीधा हमला है। सवाल यह है कि क्या मंदिर से चोरी करने वाले सिर्फ चोर थे या वर्दी की आड़ में लुटेरे भी?
शनिवार सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं और ग्रामीणों की भारी भीड़ उमड़ आई। गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस को खुली चेतावनी दी—“अगर वर्दी वाले ही मंदिर लूटेंगे तो सुरक्षा की उम्मीद किससे करें?” ग्राम प्रधान रामभूल सिंह ने भी पुलिस पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि “गांव में चोरियां बेलगाम हो गई हैं। लोग रातभर जागकर पहरा देने को मजबूर हैं, मगर पुलिस चोरों को पकड़ने की बजाय बचा रही है।”
फोरेंसिक टीम और पुलिस मौके पर पहुंची जरूर, लेकिन ग्रामीणों ने जांच को महज़ दिखावा बताया। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस चोरी को दबाने और वर्दी में शामिल लोगों को बचाने का खेल खेल रही है।
अब सवाल यह है कि जब कानून के रखवाले ही शक के घेरे में हों, तो जनता किस पर भरोसा करे? मंदिर में हुई इस चोरी ने न केवल धार्मिक आस्था को झकझोरा है, बल्कि पुलिस की वर्दी पर भी दाग लगा दिया है।
क्या पुलिस सचमुच चोरों के साथ मिली हुई है? या फिर यह मामला किसी बड़े रैकेट की तरफ इशारा कर रहा है? फिलहाल, ग्रामीणों में आक्रोश और अविश्वास चरम पर है।
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