#DarkDaysOfEmergency - इंदिरा गांधी सत्ता के दंभ में धीरे-धीरे तानाशाह हो गईं, उस समय भ्रष्टाचार ने महामारी का रूप ले लिया था, सत्ता निरंकुश हो गई : डॉ. पूनियां

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कांग्रेस ने आपातकाल की गलतियों से सबक नहीं लिया, देश एवं प्रदेशों की राजनीति से सिमटती चली गई : डॉ. पूनियां


  Media Kesari ✍🏻


जयपुर, 25 जून। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) द्वारा आज ही के दिन 25 जून, 1975 को देश मे आपातकाल (Emergency)

लगाया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री  द्वारा लगाये गये आपातकाल की आज  46 वीं बरसी पर भाजपा ने प्रदेशभर में काला दिवस मनाया (black day) एवं प्रेस वार्ताओं के माध्यम से जनजागरूकता को लेकर संदेश भी दिया। 

ट्विटर पर भी हैशटैग #DarkDaysOfEmergency अभियान चलाया गया, जो दिनभर नेशनल ट्रेंड में रहा।

भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ( Dr Satish Poonia) ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि, भारत में 25 जून, 1975 को लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला हुआ था, देश में आपातकाल लगाकर  तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सभी मौलिक अधिकारों को निरस्त कर दिया, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी, विपक्षी नेताओं व लाखों लोगों को जेलों में बंद कर प्रताड़ित किया गया।

उन्होंने कहा कि, आपातकाल के काले कालखंड की चोट कलम एवं जुबां पर भी चली थी, आजादी के बाद दूसरा बड़ा आंदोलन आपातकाल के खिलाफ संघर्ष था, देश के बहुत लोगों ने संघर्ष किया, शहादत दी।

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डॉ. पूनियां ने कहा कि, लोकतंत्र की स्थापना से देश को बहुत खुशी हुई थी, लेकिन देश का दुर्भाग्य था कि उस समय की भोली भाली जनता के बीच में  प्रचारित किया गया कि देश को आजादी कांग्रेस ने दिलाई, देश पर राज करने का हक कांग्रेस का है, कांग्रेस पार्टी में भी एक वंश और खानदान का है, उसी पारिवारिक विरासत की पृष्ठभूमि में कांग्रेस नेहरू से लेकर इंदिरा तक आ गई, आज उस आपातकाल को 46 वर्ष पूरे हो गये और भाजपा हर वर्ष इस दिन को काले दिवस के रूप में मनाती है, जिससे नई पीढी को जानकारी मिल सके।


उन्होंने कहा कि, विभाजन के बाद दूसरी बड़ी गलती आपातकाल थी, 1971 में इंदिरा गांधी बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आईं, उस समय इंदिरा गांधी के सचिव परमेश्वर नारायण हुआ करते थे, उन्होंने आपातकाल डायरी (Aapatkal Diary) नाम से किताब लिखी, सैकड़ों से ज्यादा पुस्तकें आपातकाल पर लिखी गई।


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डॉ. पूनियां ने कहा कि, राजस्थान के बारे में बार-बार याद दिलाना पड़ता है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot) अपनी हर बात लोकतंत्र एवं नैतिकता से शुरु करते हैं, लेकिन कांग्रेस के किसी भी नेता ने आपातकाल के बारे में कुछ नहीं कहा, वो भी लोकतंत्र पर हमले का था हिस्सा था।


उन्होंने कहा कि, इंदिरा गांधी सत्ता के दंभ में धीरे-धीरे तानाशाह के रूप में तब्दील हो गईं, कांग्रेस की अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री दोनों ही पदों पर काबिज थी, उस समय भ्रष्टाचार ने महामारी का रूप ले लिया, सत्ता निरंकुश हो गई, उस जमाने में चापलूसी इस कदर हावी थी कि इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा (Indira Is India,India Is Indira ), यह उस समय के संदर्भों में देखा गया और लिखा गया।


आपातकाल को लेकर डॉ. पूनियां का कहना है कि, इंदिरा के शासन में  संवैधानिक संस्थाओं, सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग होने लगा, 12 हजार हड़ताले अकेले मुंबई में हुई, 1974 में गुजरात में छात्र आंदोलन के कारण वहां के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना, बिहार में भी भ्रष्टाचार एवं बेरोजगारी को लेकर छात्रों ने आंदोलन किये, समग्र कांति आंदोलन जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुआ।


डॉ. पूनियां का कहना है कि, अपना निर्वाचन खारिज होने एवं इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद इंदिरा ने अनुच्छेद 352 के दुरुपयोग को दवाब से लागू करवाया, और 25 जून 1975 को मध्य रात्रि को देश में आपातकाल की घोषणा हुई, 1.40 लाख से ज्यादा लोग जेलों में ठूंस दिये गये, संघ, जनसंघ एवं तमाम प्रतिपक्षी दलों के लोग उस समय का उदाहरण देते हैं कि जेलों की दशा जंगल की तरह हो गई थी, उनको लोकतंत्र सेनानी कहा जाता है, उनको आप सुनेंगे तो कई परिवारों पर इतनी विकट समस्या आई कि प्रताड़ित किया गया, जनता को यातनायें दी गईं, 83 लाख लोगों की जबरन नसबंदी की गई। नसबंदी के तीन दलाल, ऐसे नारे लगते थे, ये देखो इंदिरा के खेल, खा गई राशन, पी गई तेल, देश के ऐसे हालात थे।


डॉ. पूनियां ने कहा कि, आंदोलनों के दवाब के कारण 1977 में इमरजेंसी को खत्म करना पड़ा, कांग्रेस ने आपातकाल की गलतियों से सबक नहीं लिया, वो धीरे-धीरे देश एवं प्रदेशों की राजनीति से सिमटती चली गई, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता के लिये जरूरी संख्या भी उनके पास नहीं रही। कुछ प्रदेशों में रीजनल पार्टी की तरह हो गई, जहां सत्ता में थी वहां जीरो पर सिमट गई, चंद प्रदेशों में काबिज है, पहले की तरह ही सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग, प्रतिशोध, विद्वेष कांग्रेस करती है।

डॉ. पूनियां के साथ प्रेस वार्ता में भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु शर्मा, प्रदेश मीडिया प्रभारी विमल कटियार (Vimal Katiyar) इत्यादि मौजूद रहे।

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